नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अन्ना नगर नाबालिग यौन उत्पीड़न मामले की जांच के लिए दो महिला आईपीएस अधिकारियों वाली तीन सदस्यीय विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया. न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने तीन आईपीएस अधिकारियों की एक नई एसआईटी गठित की, जिसमें दो महिला अधिकारी तमिलनाडु की नहीं हैं.
घटनाक्रम से परिचित एक वकील के अनुसार, तीन अधिकारी हैं: सरोज कुमार ठाकुर, डीआईजी, संयुक्त पुलिस आयुक्त, पूर्वी क्षेत्र, जीसीपी (बिहार से); अयमान जमाल, एसपी, पुलिस उपायुक्त, एल एंड ओ, अवाडी कमिश्नरेट (उत्तर प्रदेश से); और, बृंदा, एसपी, (कानून व्यवस्था) उत्तर सलेम सिटी, कर्नाटक से सलेम सिटी (कर्नाटक से). ये तीन अधिकारी अब मामले की जांच करेंगे.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एसआईटी अपनी रिपोर्ट मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करेगी, जो उचित समझे जाने पर पीठ का गठन कर सकते हैं. पीठ ने कहा कि एसआईटी को इन कार्यवाहियों से इतर निष्पक्ष और निष्पक्ष रूप से आगे बढ़ना चाहिए तथा जांच के तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने तक नियत पीठ को, अधिमानतः सप्ताह में एक बार, समय-समय पर रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए.
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा 1 अक्टूबर को पारित एक आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के एक मामले की जांच चेन्नई के अन्ना नगर अखिल महिला पुलिस स्टेशन से सीबीआई को स्थानांतरित कर दी गई थी.
सर्वोच्च न्यायालय ने 11 नवंबर को पारित एक आदेश में कहा था कि सीबीआई को जांच सौंपने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश स्थगित रहेंगे. तमिलनाडु राज्य आईपीएस कैडर (सीधी भर्ती) के पांच से सात अधिकारियों की सूची प्रस्तुत करेगा, जो तमिलनाडु के अलावा अन्य राज्यों से संबंधित हैं, लेकिन तमिलनाडु कैडर में सेवारत हैं. इनमें से तीन महिला अधिकारी होनी चाहिए. उनकी रैंक, वर्तमान पदस्थापना का स्थान और मूल राज्य का भी खुलासा किया जाना चाहिए. वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अधिवक्ता डी. कुमानन तमिलनाडु सरकार की ओर से शीर्ष अदालत में पेश हुए.