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एकता परिषद का किसानों को समर्थन, जल-जंगल-जमीन के साथ किसानों के लिए लड़ी जाएगी लड़ाई- राजगोपाल पीवी - Unity council

देश भर में किसानों द्वारा किए जा रहे कृषि कानून के विरोध में कई पार्टियां उनका समर्थन कर रही हैं. वहीं एकता परिषद ने भी प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन किया है. इसके लिए एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पीवी ने छत्तीसगढ़ से कटनी तक समर्थन यात्रा निकाली, जो अब मुरैना भी पहुंचेगी.

katni
एकता परिषद
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Published : Dec 16, 2020, 12:25 PM IST

कटनी। जहां एक तरफ किसानों के समर्थन में कई राजनीतिक पार्टियां उतर चुकी हैं, तो वहीं दूसरी तरफ एकता परिषद ने भी किसानों के समर्थन में रैली निकालना शुरू कर दिया है. जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ने वाले एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पीवी ने छत्तीसगढ़ से यात्रा निकाली है, जो यात्रा छत्तीसगढ़ से होते हुए कटनी पहुंची है और कटनी से सागर, बीना और ललितपुर होते हुए कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र मुरैना पहुंचेगी.

एकता परिषद एकता परिषद

कटनी में पत्रकारों से बात करते हुए राजगोपाल पीवी ने कहा कि 'मौजूदा तीन कानून किसान विरोधी कानून हैं. यह कॉरपोरेट को आबाद करने के लिए बनाए गए हैं' उन्होंने कहा कि 'किसान उत्पाद, व्यापार, वाणिज्य, संवर्धन और सुधार कानून 2020 के तहत किसानों के साथ सीधे-सीधे बेइमानी की जा रही है.' राजगोपाल के मुताबिक शुरुआती दौर में किसानों को मंडी से बाहर अनाज बेचने में फायदा मिलेगा, जिसके चलते मंडिया समाप्त हो जाएंगी, और मंडियों के खत्म होने के बाद कॉरपोरेट घराने मनमानी कीमत पर किसानों से अनाज खरीदेंगे, जिससे सीधे-सीधे किसानों को नुकसान होगा.'

उन्होंने बताया कि 'भारत देश में 67% किसान ऐसे हैं, जिनके पास एक हेक्टेयर से कम जमीन है जबकि 18% के पास एक से दो हेक्टेयर जमीन है, ऐसे में अनुबंध वाली खेती में किसान फंस कर रह जाएंगे, इस लिहाज से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग इन किसानों के नुकसान का मसौदा बना हुआ है. कुल मिलाकर कॉरपोरेट घराने खुद को बड़ा किसान बनने और किसान को नौकर बनाने की फिराक में इस कानून को लेकर आए हैं.' राजगोपाल ने यह भी बताया कि आवश्यक वस्तु संशोधन कानून 2020 में कोई भी व्यापारिक कितना भी सामान खरीद कर स्टॉक कर सकता है, ऐसे में कालाबाजारी बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है.

उन्होंने इस इसी बात का विरोध जताते हुए कहा कि वह मुरैना पहुंचने के बाद वहां से दिल्ली तक किसानों के साथ समर्थन में पैदल यात्रा निकालेंगे. राजगोपाल पीवी ने देश के तमाम जनता से अपील की है, कि वह किसानों का आंदोलन में साथ दें, क्योंकि इसमें नुकसान सिर्फ किसानों का नहीं, इस नए कानून में नुकसान देश के उन तमाम लोगों का है, जो लोग रोज कमाने खाने वाले हैं.

कटनी। जहां एक तरफ किसानों के समर्थन में कई राजनीतिक पार्टियां उतर चुकी हैं, तो वहीं दूसरी तरफ एकता परिषद ने भी किसानों के समर्थन में रैली निकालना शुरू कर दिया है. जल जंगल जमीन की लड़ाई लड़ने वाले एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पीवी ने छत्तीसगढ़ से यात्रा निकाली है, जो यात्रा छत्तीसगढ़ से होते हुए कटनी पहुंची है और कटनी से सागर, बीना और ललितपुर होते हुए कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र मुरैना पहुंचेगी.

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कटनी में पत्रकारों से बात करते हुए राजगोपाल पीवी ने कहा कि 'मौजूदा तीन कानून किसान विरोधी कानून हैं. यह कॉरपोरेट को आबाद करने के लिए बनाए गए हैं' उन्होंने कहा कि 'किसान उत्पाद, व्यापार, वाणिज्य, संवर्धन और सुधार कानून 2020 के तहत किसानों के साथ सीधे-सीधे बेइमानी की जा रही है.' राजगोपाल के मुताबिक शुरुआती दौर में किसानों को मंडी से बाहर अनाज बेचने में फायदा मिलेगा, जिसके चलते मंडिया समाप्त हो जाएंगी, और मंडियों के खत्म होने के बाद कॉरपोरेट घराने मनमानी कीमत पर किसानों से अनाज खरीदेंगे, जिससे सीधे-सीधे किसानों को नुकसान होगा.'

उन्होंने बताया कि 'भारत देश में 67% किसान ऐसे हैं, जिनके पास एक हेक्टेयर से कम जमीन है जबकि 18% के पास एक से दो हेक्टेयर जमीन है, ऐसे में अनुबंध वाली खेती में किसान फंस कर रह जाएंगे, इस लिहाज से कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग इन किसानों के नुकसान का मसौदा बना हुआ है. कुल मिलाकर कॉरपोरेट घराने खुद को बड़ा किसान बनने और किसान को नौकर बनाने की फिराक में इस कानून को लेकर आए हैं.' राजगोपाल ने यह भी बताया कि आवश्यक वस्तु संशोधन कानून 2020 में कोई भी व्यापारिक कितना भी सामान खरीद कर स्टॉक कर सकता है, ऐसे में कालाबाजारी बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है.

उन्होंने इस इसी बात का विरोध जताते हुए कहा कि वह मुरैना पहुंचने के बाद वहां से दिल्ली तक किसानों के साथ समर्थन में पैदल यात्रा निकालेंगे. राजगोपाल पीवी ने देश के तमाम जनता से अपील की है, कि वह किसानों का आंदोलन में साथ दें, क्योंकि इसमें नुकसान सिर्फ किसानों का नहीं, इस नए कानून में नुकसान देश के उन तमाम लोगों का है, जो लोग रोज कमाने खाने वाले हैं.

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