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सतना में आखिर क्यों बढ़ रही है मातृ मृत्यु दर ? - Causes of maternal deaths

सतना में मातृ मृत्यु दर का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. 2018 से अब तक मातृ मृत्यु दर के आंकड़े में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है.

Increasing maternal mortality in Satna
सतना में बढ़ रही मातृ मृत्यु दर
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Published : Jan 9, 2020, 3:04 PM IST

Updated : Jan 9, 2020, 7:40 PM IST

सतना। मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में कमी लाने में सतना जिले के जिम्मेदार विभाग पूरी तरह फेल हो गए हैं. मातृ मृत्यु दर के आंकड़े में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. 2018 से अब तक 15 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है. इसे कम करने के लिए मातृ वंदना योजना भी लाई गई, ताकि गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी ना हो. लेकिन इस योजना का भी अभी तक कोई असर नहीं दिखा है.

सतना में बढ़ रही है मातृ मृत्यु दर

मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में गिरावट की बजाए बढ़ोत्तरी हो रही है. जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 173 प्रसूताओं की मौत हुई थी. लेकिन नए आंकड़ों के अनुसार 2.18 के बाद से अब तक 188 हो चुकी हैं. कुल मिलाकर जिन आंकड़ों में कमी आनी चाहिए, उसमें संख्या बढ़ रही है. गर्भवती महिलाओं की मौत के आंकड़े को महिला एवं बाल विकास विभाग कम करने में सफल नहीं हो पा रहा है.

प्रसूताओं की मौत के कारण-

जानें प्रसूताओं की मौत के क्या है प्रमुख कारण और कैसे रखें गर्भवती महिला का ध्यान

एनीमिया

गर्भवती महिलाओं की मौत गर्भावस्था या प्रसव के दौरान ज्यादा होती है. मातृ मृत्यु दर कम ना होने की सबसे बड़ी वजह एनीमिया है. एनीमिया ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से महिलाओं में खून की कमी हो जाती है, गर्भावस्था के दौरान खून की कमी से भी प्रसूता की मौत का खतरा बढ़ जाता है.

ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी

ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को अकसर समय पर एंबुलेंस या जननी एक्सप्रेस नहीं मिल पाती. सही समय पर अस्पताल ना पहुंचा पाने से भी मौत का खतरा बढ़ जाता है.

जागरूकता की कमी

गर्भवती महिला या उसके परिवार में गर्भावस्था के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना होता है, इसकी जानकारी नहीं होती, इसकी वजह से भी अक्सर प्रसूताओं की मौत हो जाती है.

गर्भावस्था के समय कैसे रखें प्रसूता का ध्यान-

  • गर्भावस्था के दौरान महिला की बेहतर मेडिकल केयर होनी चाहिए.
  • महिला एनीमिक है, तो उसके खान-पान का ध्यान देना चाहिए.
  • गर्भवती महिला को नियमित रूप से मेडिकल जांच करानी चाहिए.
  • गर्भावस्था के दौरान शरीर में ब्लड प्रेशर की नियमित जांच होनी चाहिए.
  • हाई रिस्क है तो उसकी पहचान कर समय पर इलाज मिलना चाहिए.
  • आयरन के साथ कैल्शियम को भी आवश्यकता के अनुसार देना चाहिए.

सतना। मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में कमी लाने में सतना जिले के जिम्मेदार विभाग पूरी तरह फेल हो गए हैं. मातृ मृत्यु दर के आंकड़े में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. 2018 से अब तक 15 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है. इसे कम करने के लिए मातृ वंदना योजना भी लाई गई, ताकि गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी ना हो. लेकिन इस योजना का भी अभी तक कोई असर नहीं दिखा है.

सतना में बढ़ रही है मातृ मृत्यु दर

मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में गिरावट की बजाए बढ़ोत्तरी हो रही है. जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 173 प्रसूताओं की मौत हुई थी. लेकिन नए आंकड़ों के अनुसार 2.18 के बाद से अब तक 188 हो चुकी हैं. कुल मिलाकर जिन आंकड़ों में कमी आनी चाहिए, उसमें संख्या बढ़ रही है. गर्भवती महिलाओं की मौत के आंकड़े को महिला एवं बाल विकास विभाग कम करने में सफल नहीं हो पा रहा है.

प्रसूताओं की मौत के कारण-

जानें प्रसूताओं की मौत के क्या है प्रमुख कारण और कैसे रखें गर्भवती महिला का ध्यान

एनीमिया

गर्भवती महिलाओं की मौत गर्भावस्था या प्रसव के दौरान ज्यादा होती है. मातृ मृत्यु दर कम ना होने की सबसे बड़ी वजह एनीमिया है. एनीमिया ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से महिलाओं में खून की कमी हो जाती है, गर्भावस्था के दौरान खून की कमी से भी प्रसूता की मौत का खतरा बढ़ जाता है.

ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी

ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को अकसर समय पर एंबुलेंस या जननी एक्सप्रेस नहीं मिल पाती. सही समय पर अस्पताल ना पहुंचा पाने से भी मौत का खतरा बढ़ जाता है.

जागरूकता की कमी

गर्भवती महिला या उसके परिवार में गर्भावस्था के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना होता है, इसकी जानकारी नहीं होती, इसकी वजह से भी अक्सर प्रसूताओं की मौत हो जाती है.

गर्भावस्था के समय कैसे रखें प्रसूता का ध्यान-

  • गर्भावस्था के दौरान महिला की बेहतर मेडिकल केयर होनी चाहिए.
  • महिला एनीमिक है, तो उसके खान-पान का ध्यान देना चाहिए.
  • गर्भवती महिला को नियमित रूप से मेडिकल जांच करानी चाहिए.
  • गर्भावस्था के दौरान शरीर में ब्लड प्रेशर की नियमित जांच होनी चाहिए.
  • हाई रिस्क है तो उसकी पहचान कर समय पर इलाज मिलना चाहिए.
  • आयरन के साथ कैल्शियम को भी आवश्यकता के अनुसार देना चाहिए.
Intro: एंकर --
सतना जिले में महिला मातृ मृत्यु दर 15 फ़ीसदी बढ़ चुकी है. स्वास्थ्य विभाग एवं महिला बाल विकास के द्वारा किए जा रहे विकास का इंतजाम फेल होते नजर आ रहे हैं. सरकारी योजनाएं जिले के आंचलिक क्षेत्रों में पहुंच नहीं पा रही हैं. सरकारी दावों की बात करें तो लोगों को योजनाएं सिर्फ सुनाई देती है लेकिन उन तक पहुंचना नामुमकिन है ।


Body:Vo --
मातृ मृत्यु दर पर कमी लाने के लिए सरकार के द्वारा सारे इंतजाम किए जा रहे हैं. जिसको लेकर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास महिला मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है. मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में लगाम लगाने के लिए सतना जिले के जिम्मेदार विभाग के सारे इंतजाम फेल होते नजर आ रहे हैं. मातृ मृत्यु दर में कोई भी कंट्रोल नहीं है आलम यह है कि इसके आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं. मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में कमी लाने के लिए और लगातार समीक्षा की जा रही है. लेकिन इनकी आंकड़ों पर कंट्रोल नहीं किया जा रहा. सरकार मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए लाख दावे करती है. सारे दावे जमीनी स्तर पर फेल होते नजर आ रहे हैं. सतना जिले में जानकारी के अनुसार महिलाओं की मौत के आंकड़े 15 फीसद इजाफा हुआ है. जबकि सरकार की मंशा है कि इस पर गिरावट लाई जाए. इसे कम करने के लिए मातृ वंदना योजना भी लाई गई ताकि गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी ना हो. जानकारों की माने तो गर्भवती महिलाओं की मौत गर्भावस्था या प्रसव के दौरान ज्यादा होती है इसका एक सबसे बड़ा कारण खून की कमी होती है. मातृ मृत्यु दर कम ना होने की एक बड़ी वजह एनीमिया हैं. एनीमिया ऐसी बीमारी है जिसकी वजह से महिलाओं को खून की कमी होती है और गर्भावस्था के दौरान खून की कमी से प्रसूता की मौत हो जाती है. मातृ मृत्यु दर की आंकड़ों में गिरावट की बजाए बढ़ोत्तरी हो रही है. जिले में सर्वे रिपोर्ट के अनुसार मातृ मृत्यु दर पिछले साल तक 173 होती थी. लेकिन नए आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष अब 188 हो चुकी है. कुल मिलाकर जिन आंकड़ों में कमी आनी चाहिए उसमें संख्या बढ़ रही है गर्भवती महिलाओं की मौत में स्वास्थ्य महिला बाल विकास में कमी लाने के सफल नहीं हो पा रहे हैं ।

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मातृ मृत्यु दर के बचाव के लिए --
प्रसव के दौरान एनसीसी केयर बेहतर होना चाहिए. महिला एनीमिक है तो उसके खान-पान का ध्यान देना चाहिए. गर्भावस्था के दौरान शरीर में ब्लड प्रेशर की नियमित जांच होनी चाहिए. हाई रिस्क है तो उसकी पहचान कर समय पर उपचार देना चाहिए. आयरन के साथ कैल्शियम कटोच आवश्यकता अनुसार देना चाहिए. एएनएम को नियमित रूप से प्रसूता की जांच हुआ सलाह करना चाहिए ।


Conclusion:byte --
अशोक अवधिया -- मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला सतना ।
Last Updated : Jan 9, 2020, 7:40 PM IST
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