सतना। मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में कमी लाने में सतना जिले के जिम्मेदार विभाग पूरी तरह फेल हो गए हैं. मातृ मृत्यु दर के आंकड़े में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. 2018 से अब तक 15 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया है. इसे कम करने के लिए मातृ वंदना योजना भी लाई गई, ताकि गर्भावस्था के दौरान पोषण की कमी ना हो. लेकिन इस योजना का भी अभी तक कोई असर नहीं दिखा है.
मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों में गिरावट की बजाए बढ़ोत्तरी हो रही है. जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 173 प्रसूताओं की मौत हुई थी. लेकिन नए आंकड़ों के अनुसार 2.18 के बाद से अब तक 188 हो चुकी हैं. कुल मिलाकर जिन आंकड़ों में कमी आनी चाहिए, उसमें संख्या बढ़ रही है. गर्भवती महिलाओं की मौत के आंकड़े को महिला एवं बाल विकास विभाग कम करने में सफल नहीं हो पा रहा है.
प्रसूताओं की मौत के कारण-
एनीमिया
गर्भवती महिलाओं की मौत गर्भावस्था या प्रसव के दौरान ज्यादा होती है. मातृ मृत्यु दर कम ना होने की सबसे बड़ी वजह एनीमिया है. एनीमिया ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से महिलाओं में खून की कमी हो जाती है, गर्भावस्था के दौरान खून की कमी से भी प्रसूता की मौत का खतरा बढ़ जाता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी
ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं को अकसर समय पर एंबुलेंस या जननी एक्सप्रेस नहीं मिल पाती. सही समय पर अस्पताल ना पहुंचा पाने से भी मौत का खतरा बढ़ जाता है.
जागरूकता की कमी
गर्भवती महिला या उसके परिवार में गर्भावस्था के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना होता है, इसकी जानकारी नहीं होती, इसकी वजह से भी अक्सर प्रसूताओं की मौत हो जाती है.
गर्भावस्था के समय कैसे रखें प्रसूता का ध्यान-
- गर्भावस्था के दौरान महिला की बेहतर मेडिकल केयर होनी चाहिए.
- महिला एनीमिक है, तो उसके खान-पान का ध्यान देना चाहिए.
- गर्भवती महिला को नियमित रूप से मेडिकल जांच करानी चाहिए.
- गर्भावस्था के दौरान शरीर में ब्लड प्रेशर की नियमित जांच होनी चाहिए.
- हाई रिस्क है तो उसकी पहचान कर समय पर इलाज मिलना चाहिए.
- आयरन के साथ कैल्शियम को भी आवश्यकता के अनुसार देना चाहिए.