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कई गांवों में बिजली गुल, ब्लैक आउट से किसान हो रहे परेशान - Kamal Nath government

झाबुआ जिले में ग्रामीण क्षेत्र के लोग बिजली नहीं होने से परेशान हैं. साथ ही किसानों को सिंचाई के लिए भी बिजली नहीं मिल रही है, जबकि किसानों ने बिलों का भुगतान कर दिया है.

कई गांवों में बिजली गुल
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Published : Nov 20, 2019, 12:40 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 3:00 PM IST

झाबुआ। आदिवासी बाहुल्य जिले झाबुआ में सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली देने का दावा करने वाली कमलनाथ सरकार वादे पूरा करने में विफल नजर आ रही है. ग्रामीणों और किसानों से हजारों रुपए के बिलों का भुगतान कराने के बावजूद गांव में बिजली आपूर्ति नहीं की जा रही है, जिसके चलते ब्लैक आउट की स्थिति है.

कई गांवों में बिजली गुल

गांव में ट्रांसफॉर्मर कई महीनों से खराब पड़े हैं, जिन्हें अभी तक सुधारा नहीं गया है. किसानों को गेहूं और चने की फसल की सिंचाई करने के लिए बिजली चाहिए, लेकिन गांवों में बिजली गुल है. पहले अतिवृष्टि के चलते किसानों की फसलें बर्बाद हो गई और अब बिजली आपूर्ति नहीं होने के चलते किसान मायूस होने लगे हैं. ग्रामीण अपने खर्च पर निजी वाहन से ट्रांसफर्मर लेने के लिए बिजली कंपनी के धक्के खा रहे हैं, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं. वहीं गांव में ट्रांसफॉर्मर भी नहीं लगाया जा रहा है.

एक ओर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने किसानों को सिंगल बत्ती कनेक्शन के साथ इंदिरा ज्योति योजना में बिजली हाफ करने का दावा किया था, लेकिन झाबुआ के कई गांवों में किसानों को सिंचाई के लिए बिजली नहीं मिल रही है, साथ ही बच्चों को अंधेरे में पढ़ाई करनी पड़ रही है. जहां थोड़ी-बहुत बिजली पहुंच भी रही है, वहां के लोग भारी भरकम बिजली बिल से परेशान हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती को लेकर विभागीय अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. वहीं बीजेपी ने इस मामले में सुधार नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

झाबुआ। आदिवासी बाहुल्य जिले झाबुआ में सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली देने का दावा करने वाली कमलनाथ सरकार वादे पूरा करने में विफल नजर आ रही है. ग्रामीणों और किसानों से हजारों रुपए के बिलों का भुगतान कराने के बावजूद गांव में बिजली आपूर्ति नहीं की जा रही है, जिसके चलते ब्लैक आउट की स्थिति है.

कई गांवों में बिजली गुल

गांव में ट्रांसफॉर्मर कई महीनों से खराब पड़े हैं, जिन्हें अभी तक सुधारा नहीं गया है. किसानों को गेहूं और चने की फसल की सिंचाई करने के लिए बिजली चाहिए, लेकिन गांवों में बिजली गुल है. पहले अतिवृष्टि के चलते किसानों की फसलें बर्बाद हो गई और अब बिजली आपूर्ति नहीं होने के चलते किसान मायूस होने लगे हैं. ग्रामीण अपने खर्च पर निजी वाहन से ट्रांसफर्मर लेने के लिए बिजली कंपनी के धक्के खा रहे हैं, लेकिन अधिकारी सुनने को तैयार नहीं हैं. वहीं गांव में ट्रांसफॉर्मर भी नहीं लगाया जा रहा है.

एक ओर मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार ने किसानों को सिंगल बत्ती कनेक्शन के साथ इंदिरा ज्योति योजना में बिजली हाफ करने का दावा किया था, लेकिन झाबुआ के कई गांवों में किसानों को सिंचाई के लिए बिजली नहीं मिल रही है, साथ ही बच्चों को अंधेरे में पढ़ाई करनी पड़ रही है. जहां थोड़ी-बहुत बिजली पहुंच भी रही है, वहां के लोग भारी भरकम बिजली बिल से परेशान हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कटौती को लेकर विभागीय अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं. वहीं बीजेपी ने इस मामले में सुधार नहीं होने पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है.

Intro:झाबुआ: जिन किसानों के सहारे मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता एक बार फिर से काबिज हुई है उन्हीं किसानों पर अधिकारी सितम ढाने से बाज नहीं आ रहे। ताजा मामला पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी का है । आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में सिंचाई के लिए पर्याप्त बिजली देने का दावा करने वाली सरकार कहीं न कहीं अपने दावों से फिसलती नजर आ रही है। ग्रामीणों और किसानों ने हजारों रुपए के बिलों का भुगतान लेने के बाद भी गांव में बिजली आपूर्ति नही की जा रही, जिसके चलते गांव में अंधेरा छाया हुआ है ।


Body:गांव में जले ट्रांसफार्मर कई महीनों से सुधरने का नाम नहीं ले रहे। ग्रामीण किसान अपनी गेहूं और चने की फसल में सिंचाई के लिए बिजली चाहते हैं ,मगर गांव तक बिजली नहीं पहुंच रही । पहले अतिवृष्टि के चलते चलते किसानों की फसलें बर्बाद हो गई और अब बिजली आपूर्ति ना होने के चलते इन गांवों में किसान मायूस होने लगे हैं । ग्रामीण अपने खर्च पर निजी वाहन से ट्रांसफार्मर लेने के लिए रोज बिजली कंपनी के धक्के खा रहे हैं मगर अधिकारी ना तो उनकी सुनने को तैयार है और ना ही निकाले गए ट्रांसफर वापस गांव में लगा रहे हैं।


Conclusion:एक और मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने किसानों को सिंगल बत्ती कनेक्शन के साथ इंदिरा ज्योति योजना में बिजली बिल हाफ करने का दावा किया था मगर झाबुआ के कालापीपल, हत्यादेली, भूरा डाबरा, रुपाखेड़ा ,मोगड़ा ,कलदेला ,अंबापाड़ा जैसे दर्जनों गांवों में किसानों को न तो सिंचाई के लिए बिजली मिल रही है और ना ही बच्चों को पढ़ाई के लिए। जहा थोड़ी बहुत बिजली पहुच रही है वहाँ के ग्रामीणों बिजली के बिल भारी भरकम आ रहे हैं, इसेमें सरकार का यह दावा कि किसानों को कम दर पर बिजली उपलब्ध की जा रही है कहीं न कहीं बेमानी सा लगता है। गांवों में बिजली कटौती को लेकर विभागीय अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं वहीं भाजपा ने इस मामले में सुधार ना होने पर आंदोलन करने की चेतावनी भी दे डाली है ।
बाइट: कांजी भूरिया , किसान , ग्राम कालापीपल
बाइट: खून सिंह खड़िया, ग्राम हत्या देली किसान
बाइट : मंगलिया , ग्राम बुरा डाबरा,किसान
बाइट : धन्ना कटारा ,ग्राम रूपा खेड़ा, किसान
बाइट: अनसिंग, ग्राम मोरुडा किसान
बाइट : भानु भुरिया , भाजपा नेता

नोट : इस मामले में बिजली वितरण कंपनी के एसी अवकाश पर हैं साथी डीई कार्यालय में उपलब्ध नहीं हो सके जिसके चलते बिजली वितरण कंपनी के अधिकारियों की बाइट नहीं हो पाई।
Last Updated : Nov 20, 2019, 3:00 PM IST
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