झाबुआ। पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजवादी नेता रहे मामा बालेश्वर दयाल की आज 21वीं पुण्यतिथि है. इस अवसर पर राजस्थान से हजारों की संख्या में उनके अनुयाई उनके समाधि स्थल बामणिया पर दर्शन करने के लिए पहुंचे.
मामा बालेश्वर दयाल मूल रूप से इटावा उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और आजादी के पहले 1931 में झाबुआ पहुंचे थे. यहां उन्होंने थांदला में शिक्षक की नौकरी की, लेकिन बाद में उन्होंने अपना पूरा जीवन आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए जीवंत प्रयास किए. मामा बालेश्वर दयाल की मृत्यु 26 दिसंबर 1998 में झाबुआ जिले के बामणिया में हुई थी.
मामा बालेश्वर दयाल ने ही झाबुआ के पहले विधायक के रुप में प्रदेश की पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी को चुनाव लड़ाया और जिताया था. मामा बालेश्वर दयाल ने अपने जीवन काल में खुद कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा, मगर 15 से अधिक लोगों को विधायक और सांसद का चुनाव लड़ाकर उन्हें संसद और विधानसभा भेजा.
समाजवादी पार्टी की ओर से मामा बालेश्वर दयाल एक बार राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए. मामा बालेश्वर दयाल का आदिवासी क्षेत्र में ग्राम सभाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है. आदिवासियों के हित के लिए काम करने के कारण उन्हें कई जिलों में देवता कुलदीप माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है.