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झाबुआ में मामा बालेश्वर दयाल की 21वीं पुण्यतिथि पर जुटे हजारों अनुयाई

मामा बालेश्वर दयाल की 21वीं पुण्यतिथि पर हजारों अनुयाई उनके समाधि स्थल पर दर्शन करने के लिए पहुंचे.

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झाबुआ में मामा बालेश्वर दयाल की 21वीं पुण्यतिथि पर जुटे हजारों अनुयाई
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Published : Dec 26, 2019, 2:46 PM IST

झाबुआ। पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजवादी नेता रहे मामा बालेश्वर दयाल की आज 21वीं पुण्यतिथि है. इस अवसर पर राजस्थान से हजारों की संख्या में उनके अनुयाई उनके समाधि स्थल बामणिया पर दर्शन करने के लिए पहुंचे.

झाबुआ में मामा बालेश्वर दयाल की 21वीं पुण्यतिथि पर जुटे हजारों अनुयाई

मामा बालेश्वर दयाल मूल रूप से इटावा उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और आजादी के पहले 1931 में झाबुआ पहुंचे थे. यहां उन्होंने थांदला में शिक्षक की नौकरी की, लेकिन बाद में उन्होंने अपना पूरा जीवन आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए जीवंत प्रयास किए. मामा बालेश्वर दयाल की मृत्यु 26 दिसंबर 1998 में झाबुआ जिले के बामणिया में हुई थी.

मामा बालेश्वर दयाल ने ही झाबुआ के पहले विधायक के रुप में प्रदेश की पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी को चुनाव लड़ाया और जिताया था. मामा बालेश्वर दयाल ने अपने जीवन काल में खुद कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा, मगर 15 से अधिक लोगों को विधायक और सांसद का चुनाव लड़ाकर उन्हें संसद और विधानसभा भेजा.

समाजवादी पार्टी की ओर से मामा बालेश्वर दयाल एक बार राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए. मामा बालेश्वर दयाल का आदिवासी क्षेत्र में ग्राम सभाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है. आदिवासियों के हित के लिए काम करने के कारण उन्हें कई जिलों में देवता कुलदीप माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है.

झाबुआ। पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजवादी नेता रहे मामा बालेश्वर दयाल की आज 21वीं पुण्यतिथि है. इस अवसर पर राजस्थान से हजारों की संख्या में उनके अनुयाई उनके समाधि स्थल बामणिया पर दर्शन करने के लिए पहुंचे.

झाबुआ में मामा बालेश्वर दयाल की 21वीं पुण्यतिथि पर जुटे हजारों अनुयाई

मामा बालेश्वर दयाल मूल रूप से इटावा उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और आजादी के पहले 1931 में झाबुआ पहुंचे थे. यहां उन्होंने थांदला में शिक्षक की नौकरी की, लेकिन बाद में उन्होंने अपना पूरा जीवन आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. मध्यप्रदेश, गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए जीवंत प्रयास किए. मामा बालेश्वर दयाल की मृत्यु 26 दिसंबर 1998 में झाबुआ जिले के बामणिया में हुई थी.

मामा बालेश्वर दयाल ने ही झाबुआ के पहले विधायक के रुप में प्रदेश की पूर्व उपमुख्यमंत्री जमुना देवी को चुनाव लड़ाया और जिताया था. मामा बालेश्वर दयाल ने अपने जीवन काल में खुद कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा, मगर 15 से अधिक लोगों को विधायक और सांसद का चुनाव लड़ाकर उन्हें संसद और विधानसभा भेजा.

समाजवादी पार्टी की ओर से मामा बालेश्वर दयाल एक बार राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए. मामा बालेश्वर दयाल का आदिवासी क्षेत्र में ग्राम सभाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है. आदिवासियों के हित के लिए काम करने के कारण उन्हें कई जिलों में देवता कुलदीप माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है.

Intro:झाबुआ : पूर्व स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और समाजवादी नेता रहे मामा बालेश्वर दयाल की आज 21वीं पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर राजस्थान से हजारों की संख्या में उनके अनुयाई आज बामणिया उनकी समाधि स्थल पर दर्शनार्थ के लिए पहुंचे ।


Body:मामा बालेश्वर दयाल मूल रूप से इटावा उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे और आजादी के पहले 1931 में झाबुआ पहुंचे थे। यहां उन्होंने थांदला में शिक्षक की नौकरी की किन्तु बाद में उन्होंने अपना पूरा जीवन आदिवासियों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। मध्य प्रदेश गुजरात और राजस्थान के कई जिलों में उन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए जीवंत प्रयास किए।


Conclusion:मामा बालेश्वर दयाल ने ही झाबुआ के पहले विधायक के रुप में प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री जमुना देवी को चुनाव लड़ाया ओर जीताया था। मामा बालेश्वर दयाल ने अपने जीवन काल में खुद कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा मगर 15 से अधिक लोगों को विधायक और सांसद का चुनाव करवाया और उन्हें विधानसभा और संसद में भेजा । समाजवादी पार्टी की ओर से मामा बालेश्वर दयाल एक बार राज्यसभा के सदस्य मनोनीत किए गए उन्होंने आदिवासी क्षेत्र में ग्राम सभाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है आदिवासियों के हित के लिए काम करने के चलते उन्हें आज राजस्थान के कई जिलों में देवता कुलदीप ही माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है मामा बालेश्वर दयाल की मृत्यु 26 दिसंबर 1998 को झाबुआ जिले के बामणिया में हुई थी।
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