झाबुआ। कांग्रेस द्वारा विधानसभा प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के दो दिन बाद भी विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रदेश कांग्रेस के महासचिव व पूर्व विधायक जेवियर मेड़ा के समर्थकों ने झाबुआ विधायक कांतिलाल भूरिया के साथ झाबुआ से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ विक्रांत भूरिया का पुतला फूंककर प्रदर्शन किया. साथ ही कांतिलाल भूरिया और विक्रांत भूरिया मुर्दाबाद के नारे भी लगाए. उधर, जेवियर मेड़ा 2008 की तरह टिकट बदलने की उम्मीद में दिल्ली में डटे हैं.
गौरतलब है कि कांग्रेस ने नवरात्रि के पहले दिन रविवार को कांग्रेस प्रत्याशियों की पहली सूची जारी की थी. इसमें झाबुआ विधानसभा से युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ विक्रांत भूरिया का भी नाम था. इससे प्रदेश कांग्रेस के महासचिव व पूर्व विधायक जेवियर के समर्थकों को तगड़ा झटका लगा, क्योंकि उन्हें पूरा यकीन था कि इस बार जेवियर को टिकट पक्का है. अपने नेता को टिकट नहीं दिए जाने से नाराज जेवियर के समर्थक मंगलवार को विवेकानंद कॉलोनी में उनके घर के बाहर एकत्रित हो गए. यहां दोपहर करीब 12 बजे उन्होंने नारेबाजी करते हुए झाबुआ विधायक व कांग्रेस की चुनाव प्रचार अभियान समिति के प्रदेश अध्यक्ष व उनके बेटे डॉ विक्रांत भूरिया का पुतला जलाया.
इस दौरान जमकर नारेबाजी की. साथ ही ये भी कहा कि झाबुआ में केवल एक भूरिया परिवार ही है. अन्य नेता और कार्यकर्ता क्या केवल झंडे उठाने के लिए हैं. जेवियर के समर्थकों ने दो टूक कह दिया कि यदि टिकट नहीं बदला तो हम पूरे विधानसभा क्षेत्र में प्रदर्शन करेंगे.
कमलनाथ के वादे का जिक्र: जेवियर मेड़ा के समर्थक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के उस वादे का बार-बार जिक्र कर रहे हैं, जो 2019 में झाबुआ के उप चुनाव के दौरान उन्होंने जेवियर से किया था. समर्थकों के अनुसार कमलनाथ ने कहा था कि उप चुनाव कांतिलाल भूरिया को लड़ लेने दो, अगले विधानसभा चुनाव में तुम्हें टिकट दिया जाएगा. अब टिकट नहीं दिया तो समर्थक कह रहे हैं, कमलनाथ अपने वादे से मुकर गए. हालांकि इस वादे और दावे की पुष्टि के लिए किसी के भी पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है.
2008 में झाबुआ में बदल गया था टिकट: वर्ष 2008 में कांग्रेस ने झाबुआ में टिकट बदल दिया था. उस वक्त तत्कालीन जिला पंचायत अध्यक्ष कलावती भूरिया को पार्टी ने प्रत्याशी घोषित किया था. तब कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं ने जेवियर की पैरवी की थी. इसके बाद कांग्रेस ने झाबुआ से कलावती के स्थान पर जेवियर मेड़ा को उम्मीदवार घोषित कर दिया था. अपने इस पहले ही चुनाव में जेवियर ने 18751 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. हालांकि 2013 के चुनाव में जेवियर को 15858 मतों के अंतर से हार झेलनी पड़ी.
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टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय मैदान में उतरे: 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने जेवियर का टिकट काट दिया. उनके स्थान पर डॉ विक्रांत भूरिया को झाबुआ विधानसभा से उम्मीदवार बनाया गया. ऐसे में जेवियर ने बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में उन्हें 35 हजार 943 मत मिले थे. इससे ही कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था.
आगे क्या: जेवियर मेड़ा फिलहाल दिल्ली में जमे हुए हैं. उनके करीबियों का कहना है कि यदि दो दिन में कोई नतीजा नहीं निकलता है तो फिर वे न केवल झाबुआ बल्कि थांदला, पेटलावद, जोबट, आलीराजपुर, रतलाम ग्रामीण और बड़वानी में भी अपने समर्थित कार्यकर्ताओं को चुनाव मैदान में उतारते हुए चुनाव के पूरे समीकरण बदल देंगे.