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ठंड आते ही कड़कनाथ की बढ़ी डिमांड, रोगियों के लिए क्यों है वरदान, देखें खबर

ठंड बढ़ने के साथ ही कड़कनाथ मुर्गे की मांग में भी इजाफा होने लगा है. मूल रूप से कालामांसी कहे जाने वाले झाबुआ के कड़कनाथ का मीट ना सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि शौकीन लोगों की पहली पसंद भी है.

ठंड आते ही कड़कनाथ की बढ़ी डिमांड
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Published : Nov 22, 2019, 11:53 AM IST

Updated : Nov 22, 2019, 12:40 PM IST

झाबुआ। अगर आप मांसाहारी हैं तो आपने कड़कनाथ मुर्गे का नाम तो सुना ही होगा. कड़कनाथ मुर्गे का नाम सुनते ही कई लोगों के मुंह में पानी तक आ जाता है. इसके साथ ही कड़कनाथ कई तरह के पोषक तत्व से भरपूर हैं. इसके सेवन से अस्थमा, किडनी की बीमारी, क्षय रोग, कार्डियक और डायबिटीज आदि में दवाई का काम करता है. यह सभी जानते हैं कि ठंड का मौसम भी शुरु हो गया है साथ ही इसको खानों की डिमांड भी.

ठंड आते ही कड़कनाथ की बढ़ी डिमांड


काले रंग से है इसकी खास पहचान
कड़कनाथ मुर्गा दिखने में काला होता है और इसका खून भी काले रंग का होता है. इसके मांस में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये स्त्री रोग जैसे बांझपन, अनियमिताएं महावारी और एनीमिया को दूर करने में ये लोहा मनवा चुका है. डॉक्टर प्रसूता को प्रसव के बाद कड़कनाथ के अंडों का सेवन करने की सलाह देते हैं.


सर्दियों के मौसम में रहती है खास डिमांड
सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गे की मांग बढ़ जाती है लिहाजा झाबुआ में बड़े पैमाने पर कुक्कुट पालन करने वाले विक्रेता कड़कनाथ की बिक्री करते हैं. इसके लिए सरकार ने पशुपालन विभाग के माध्यम से झाबुआ में कुक्कुट पालन केंद्र स्थापित किया है. केंद्र में डेढ़ लाख के आसपास कड़कनाथ मुर्गे-मुर्गी तैयार किए जाते हैं.


कड़कनाथ उत्पादन में कृषि विज्ञान केन्द्र की मेहनत
कृषि विज्ञान केन्द्र देशभर में कड़कनाथ के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को इसके लिए प्रेरित करता है. इसकी मांग इतनी ज्यादा होती है कि लगभग डेढ़ से 2 महीनों की वेटिंग यहां हमेशा बनी रहती है.


कीमतों में उछाल
कड़कनाथ का ज्यादातर सेवन ठंड में किया जाता है. इसकी डिमांड को देखते हुए इसके भाव दो से चार गुना बढ़ जाते हैं.

झाबुआ। अगर आप मांसाहारी हैं तो आपने कड़कनाथ मुर्गे का नाम तो सुना ही होगा. कड़कनाथ मुर्गे का नाम सुनते ही कई लोगों के मुंह में पानी तक आ जाता है. इसके साथ ही कड़कनाथ कई तरह के पोषक तत्व से भरपूर हैं. इसके सेवन से अस्थमा, किडनी की बीमारी, क्षय रोग, कार्डियक और डायबिटीज आदि में दवाई का काम करता है. यह सभी जानते हैं कि ठंड का मौसम भी शुरु हो गया है साथ ही इसको खानों की डिमांड भी.

ठंड आते ही कड़कनाथ की बढ़ी डिमांड


काले रंग से है इसकी खास पहचान
कड़कनाथ मुर्गा दिखने में काला होता है और इसका खून भी काले रंग का होता है. इसके मांस में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं. ये स्त्री रोग जैसे बांझपन, अनियमिताएं महावारी और एनीमिया को दूर करने में ये लोहा मनवा चुका है. डॉक्टर प्रसूता को प्रसव के बाद कड़कनाथ के अंडों का सेवन करने की सलाह देते हैं.


सर्दियों के मौसम में रहती है खास डिमांड
सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गे की मांग बढ़ जाती है लिहाजा झाबुआ में बड़े पैमाने पर कुक्कुट पालन करने वाले विक्रेता कड़कनाथ की बिक्री करते हैं. इसके लिए सरकार ने पशुपालन विभाग के माध्यम से झाबुआ में कुक्कुट पालन केंद्र स्थापित किया है. केंद्र में डेढ़ लाख के आसपास कड़कनाथ मुर्गे-मुर्गी तैयार किए जाते हैं.


कड़कनाथ उत्पादन में कृषि विज्ञान केन्द्र की मेहनत
कृषि विज्ञान केन्द्र देशभर में कड़कनाथ के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को इसके लिए प्रेरित करता है. इसकी मांग इतनी ज्यादा होती है कि लगभग डेढ़ से 2 महीनों की वेटिंग यहां हमेशा बनी रहती है.


कीमतों में उछाल
कड़कनाथ का ज्यादातर सेवन ठंड में किया जाता है. इसकी डिमांड को देखते हुए इसके भाव दो से चार गुना बढ़ जाते हैं.

Intro:झाबुआ: झाबुआ के कड़कनाथ मुर्गे की मांग ठंड बढ़ने के साथ ही अब बढ़ने लगी है। मूल रूप से कालामासी कहे जाने वाले झाबुआ के कड़कनाथ का मीट ना सिर्फ औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि शौकीन लोगों की पहली पसंद भी है। कड़कनाथ मुर्गा दिखने में काला होता है और इसका खून और हड्डियां भी काले रंग की होती है । इसके मांस(मीट) में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं जो अस्थमा, किडनी की बीमारी, क्षय रोग ,का कार्डियक और डायबिटीज के रोगों में दवाई का काम करता है । नर्वसनेस डिसऑर्डर को ठीक करने में सहायक होने के साथ ही स्त्री रोग जैसे बांझपन ,अनियमितता महावारी और एनीमिया को दूर करने में इसका मीट सहायक सिद्ध होता है। प्रसव के बाद कड़कनाथ के अंडों का सेवन होने वाले असहनी दर्द से भी छुटकारा दिलाता है , यह दर्जनभर बीमारियों में गुणकारी साबित होता हैं ।


Body:सर्दियों में कड़कनाथ मुर्गे की मांग बढ़ने लगती है लिहाजा झाबुआ में बड़े पैमाने पर कुक्कुट पालन करने वाले विक्रेता कड़कनाथ की बिक्री करते हैं। इसके लिए सरकार ने पशुपालन विभाग के माध्यम से झाबुआ में कुक्कुट पालन केंद्र स्थापित किया हुआ है जहां डेढ़ लाख के लगभग कड़कनाथ मुर्गे -मुर्गी तैयार किए जाते हैं। साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र ( केवीके) के माध्यम से भी देशभर में कड़कनाथ के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को चूजे वितरित किए जाते हैं। इसकी मांग इतनी ज्यादा होती है कि लगभग डेढ़ से 2 महीनों की वेटिंग यहां हमेशा बनी रहती है।


Conclusion:कड़कनाथ मुर्गे को लोक देसी वियाग्रा के रूप में भी जानते हैं, विशेषज्ञ मानते हैं कि इसके मीट में इतने पोषक तत्व होते हैं जिसके चलते पुरुषार्थ की शक्ति में भी वृद्धि होती है और इससे सेक्सुअल पावर भी बढ़ता है । ज्यादातर ठंड में इसका सेवन किया जाता है इसके चलते इसकी मांग बढ़ जाती है ठंड में देसी मुर्गे के साथ-साथ कड़कनाथ के भाव में भी वृद्धि हो जाती है ।

बाइट : आईएस तोमर डायरेक्टर एवं विज्ञानिक केवीके झाबुआ
Last Updated : Nov 22, 2019, 12:40 PM IST
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