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MP High Court: सांसद गुमान सिंह डामोर 600 करोड़ के घोटाले के आरोप से बरी - डामोर 600 करोड़ के घोटाले के आरोप से बरी

जबलपुर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में रतलाम-झाबुआ से भाजपा सांसद गुमान सिंह डामोर को 600 करोड़ रुपए के घोटाले के आरोप से बरी कर दिया है. हाई कोर्ट ने अलीराजपुर कोर्ट के उस आदेश को भी खारिज कर दिया है, जिसमें सांसद के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने को कहा गया था. शनिवार को सांसद के निवास के बाहर समर्थकों ने आतिशबाजी कर जश्न मनाया.

acquitted MP Guman Singh Damore
सांसद गुमान सिंह डामोर 600 करोड़ के घोटाले के आरोप से बरी
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Published : Apr 22, 2023, 5:03 PM IST

सांसद गुमान सिंह डामोर 600 करोड़ के घोटाले के आरोप से बरी

झाबुआ। महू निवासी याचिकाकर्ता धर्मेंद्र शुक्ला ने वर्ष 2021 में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अलीराजपुर अमित जैन के समक्ष वाद दायर करते हुए सांसद गुमान सिंह डामोर और अलीराजपुर के तत्कालीन कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ 600 करोड़ रुपए के कथित घोटाले में लिप्त होने संबंधी प्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. इस मामले में जेएमएफसी अलीराजपुर ने बजाए दस्तवेजों का परीक्षण करवाने के तत्काल एक्शन लेते हुए 4 दिसंबर 2021 को सांसद डामोर सहित अन्य अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध करने के आदेश दिया.

क्या है मामला : इस प्रकरण में जबलपुर हाई कोर्ट से सांसद को पहले ही स्टे मिल गया था. अब हाई कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए सांसद को सभी आरोप से बरी कर दिया है. आरोप था कि जब वे इंदौर में कार्यपालन यंत्री फ्लोरोसिस नियंत्रण परियोजना के रूप में पदस्थ थे, तब घोटोले हुए. उन्होंने अलीराजपुर और झाबुआ क्षेत्र में फ्लोरोसिस नियंत्रण एवं पाइप सप्लाई मटेरियल खरीदी और अन्य कई योजनाओं के करोड़ों रुपए के बिल स्वयं ही पास कर दिए. यह भी आरोप था कि आदिवासी क्षेत्र में कोई फ्लोरोसिस नियंत्रण का काम नहीं किया. इसके अंतर्गत क्षेत्र में ना तो हैंडपंप लगवाए और ना ही यूनिट की स्थापना की.

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बरी होने के बाद क्या बोले सांसद : न्यायालय का फैसला आने के बाद सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा कि जब ये आरोप लगा तब मैं ही नहीं, मेरा पूरा परिवार बहुत मानसिक रूप से प्रताड़ित हुआ. हम लोगों को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे. हम जहां भी जाते थे तो लोग कहते सांसद द्वारा इतना बड़ा भ्रष्टाचार. हम लोगों को जवाब नहीं दे पा रहे थे. ईश्वर की कृपा से हम दोषमुक्त हुए. जैसा कहते हैं कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं. हम इस प्रकरण में विजयी हुए और विरोधियों को मुंह की खानी पड़ी. मेरे आदेश में उच्च न्यायालय ने यह भी लिखा कि हमने याचिकाकर्ता धर्मेंद्र शुक्ला और उनके वकील को बहुत समय दिया, लेकिन वे लगातार अनुपस्थित रहे. उन्होंने अपने आरोपों के संबंध में एक भी दस्तावेज या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया. इससे साफ जाहिर है कि मेरे विरुद्ध राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया था.

सांसद गुमान सिंह डामोर 600 करोड़ के घोटाले के आरोप से बरी

झाबुआ। महू निवासी याचिकाकर्ता धर्मेंद्र शुक्ला ने वर्ष 2021 में न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी अलीराजपुर अमित जैन के समक्ष वाद दायर करते हुए सांसद गुमान सिंह डामोर और अलीराजपुर के तत्कालीन कलेक्टर गणेश शंकर मिश्रा सहित अन्य अधिकारियों के खिलाफ 600 करोड़ रुपए के कथित घोटाले में लिप्त होने संबंधी प्रमाणित दस्तावेज प्रस्तुत किए थे. इस मामले में जेएमएफसी अलीराजपुर ने बजाए दस्तवेजों का परीक्षण करवाने के तत्काल एक्शन लेते हुए 4 दिसंबर 2021 को सांसद डामोर सहित अन्य अधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध करने के आदेश दिया.

क्या है मामला : इस प्रकरण में जबलपुर हाई कोर्ट से सांसद को पहले ही स्टे मिल गया था. अब हाई कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए सांसद को सभी आरोप से बरी कर दिया है. आरोप था कि जब वे इंदौर में कार्यपालन यंत्री फ्लोरोसिस नियंत्रण परियोजना के रूप में पदस्थ थे, तब घोटोले हुए. उन्होंने अलीराजपुर और झाबुआ क्षेत्र में फ्लोरोसिस नियंत्रण एवं पाइप सप्लाई मटेरियल खरीदी और अन्य कई योजनाओं के करोड़ों रुपए के बिल स्वयं ही पास कर दिए. यह भी आरोप था कि आदिवासी क्षेत्र में कोई फ्लोरोसिस नियंत्रण का काम नहीं किया. इसके अंतर्गत क्षेत्र में ना तो हैंडपंप लगवाए और ना ही यूनिट की स्थापना की.

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बरी होने के बाद क्या बोले सांसद : न्यायालय का फैसला आने के बाद सांसद गुमान सिंह डामोर ने कहा कि जब ये आरोप लगा तब मैं ही नहीं, मेरा पूरा परिवार बहुत मानसिक रूप से प्रताड़ित हुआ. हम लोगों को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे. हम जहां भी जाते थे तो लोग कहते सांसद द्वारा इतना बड़ा भ्रष्टाचार. हम लोगों को जवाब नहीं दे पा रहे थे. ईश्वर की कृपा से हम दोषमुक्त हुए. जैसा कहते हैं कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं. हम इस प्रकरण में विजयी हुए और विरोधियों को मुंह की खानी पड़ी. मेरे आदेश में उच्च न्यायालय ने यह भी लिखा कि हमने याचिकाकर्ता धर्मेंद्र शुक्ला और उनके वकील को बहुत समय दिया, लेकिन वे लगातार अनुपस्थित रहे. उन्होंने अपने आरोपों के संबंध में एक भी दस्तावेज या साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया. इससे साफ जाहिर है कि मेरे विरुद्ध राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया था.

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