ETV Bharat / state

इस वजह से लोगों को रौंदते हुए निकल जाती हैं गोमाता

झाबुआ में गाय गोहरी पर्व सोमवार को धूमधाम से मनाया गया. जहां ग्रामीणों ने गायों को सजाया और गोवर्धन पूजा की. इस दौरान मन्नतधारी जमीन पर लेट गए और सजी-धजी गोमाता उन्हें रौंदते हुए निकल गईं.

गोवंश के पैरों के नीचे लेट कर होती है मनोकामनाएं पूरी
author img

By

Published : Oct 29, 2019, 12:39 PM IST

Updated : Oct 29, 2019, 2:28 PM IST

झाबुआ। दीपावली के दो दिन बाद तक विभिन्न अंचलों में गाय गोहरी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. झाबुआ का गाय गोहरी पर्व इसलिए हर साल चर्चा में रहता है क्योंकि यहां मन्नतधारी गोवंश के पैरों के नीचे लेटकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस दौरान गायों को मोर पंख के साथ ही सुंदर-आकर्षक रंगों से सजाया-संवारा भी जाता है. जिसके बाद इन गायों से मन्नतधारियों को रौंदवाया जाता है.

गोवंश के पैरों के नीचे लेट कर होती है मनोकामनाएं पूरी

झाबुआ में गोवर्धन नाथ मंदिर के सामने गाय गोहरी का पर्व पड़वा यानि नव वर्ष के दिन के रूप में मनाया जाता है. राणापुर क्षेत्र के कन्जावानी, समोई, रूपा खेड़ा, छायन जैसे गांवों में गाय गोहरी का पर्व उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है. सोमवार को गाय गोहरी देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. इसे आप आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन सच्चाई ये है कि इस पर्व के दौरान मैदान में लेटे लोगों के ऊपर से गायें दौड़ती हुई निकल जाती हैं, पर उन्हें कुछ नहीं होता. यहां के आदिवासी समाज में ये मान्यता है कि गाय के पैरों के नीचे बैकुंठ होता है.

गाय गोहरी के पूर्व खुले मैदान में भव्य आतिशबाजी भी की जाती है. मन्नतधारी अपनी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए, घर में सुख- शांति और समृद्धि के साथ-साथ संतान प्राप्ति के लिए भी ऐसा करते हैं. आदिवासी जिले में मनाए जाने वाले इस पर्व की अपनी विविधता के चलते पूरे देश में आकर्षण का केंद्र भी रहता है.

झाबुआ। दीपावली के दो दिन बाद तक विभिन्न अंचलों में गाय गोहरी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. झाबुआ का गाय गोहरी पर्व इसलिए हर साल चर्चा में रहता है क्योंकि यहां मन्नतधारी गोवंश के पैरों के नीचे लेटकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस दौरान गायों को मोर पंख के साथ ही सुंदर-आकर्षक रंगों से सजाया-संवारा भी जाता है. जिसके बाद इन गायों से मन्नतधारियों को रौंदवाया जाता है.

गोवंश के पैरों के नीचे लेट कर होती है मनोकामनाएं पूरी

झाबुआ में गोवर्धन नाथ मंदिर के सामने गाय गोहरी का पर्व पड़वा यानि नव वर्ष के दिन के रूप में मनाया जाता है. राणापुर क्षेत्र के कन्जावानी, समोई, रूपा खेड़ा, छायन जैसे गांवों में गाय गोहरी का पर्व उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है. सोमवार को गाय गोहरी देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. इसे आप आस्था कहें या अंधविश्वास, लेकिन सच्चाई ये है कि इस पर्व के दौरान मैदान में लेटे लोगों के ऊपर से गायें दौड़ती हुई निकल जाती हैं, पर उन्हें कुछ नहीं होता. यहां के आदिवासी समाज में ये मान्यता है कि गाय के पैरों के नीचे बैकुंठ होता है.

गाय गोहरी के पूर्व खुले मैदान में भव्य आतिशबाजी भी की जाती है. मन्नतधारी अपनी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए, घर में सुख- शांति और समृद्धि के साथ-साथ संतान प्राप्ति के लिए भी ऐसा करते हैं. आदिवासी जिले में मनाए जाने वाले इस पर्व की अपनी विविधता के चलते पूरे देश में आकर्षण का केंद्र भी रहता है.

Intro:झाबुआ : आदिवासी बहुल झाबुआ जिले में पारंपरिक लोक पर्वों का अपना महत्व है ।
दीपावली पर्व के 2 दिनों बाद तक जिले के विभिन्न अंचलों में गाय गोहरी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है मन्नतधारी गोवंश के पैरों के नीचे लेट कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं इस दौरान गवाहों को मोर पंख सुंदर और आकर्षक रंगों से सजाया और संवारा जाता है । Body:झाबुआ में गोवर्धन गोवर्धन नाथ मंदिर के सामने गाय गोरी का पर्व पड़वा याने नव वर्ष के दिन मनाया जाता है। राणापुर क्षेत्र के कन्जावानी, समोई, रूपा खेड़ा, छायन , जैसे छोटे-छोटे गांव में गाय गोहरी का पर्व उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है । यह पर्व आदिवासी समुदाय में वर्षों से मनाया जाने वाले पर्व के रूप में माना जाता है जिसमें हजारों की संख्या में लोग इसे देखने के लिए गांव में पहुंचते हैं ।Conclusion:गाय गोहरी के पूर्व खुले मैदान में भव्य आतिशबाजी भी की जाती है । मन्नत धारी अपनी बीमारी से छुटकारा पाने तो कोई घर में सुख- शांति और समृद्धि के साथ-साथ संतान प्राप्ति के लिए भी ऐसा करते नजर आते हैं । आदिवासी जिले में मनाए जाने वाले पर्व अपनी विविधता के चलते आकर्षण का केंद्र भी रहते हैं ।
Last Updated : Oct 29, 2019, 2:28 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.