ETV Bharat / state

झाबुआ: जनजाति समुदाय की अनोखी परंपरा, अच्छे स्वास्थ्य के लिए 'गल देवता' से मांगते हैं मन्नत - villegers

आदिवासी समुदाय के यह मन्नतधारी अपने हाथों में श्रीफल और एक छोटा आईना भी रखते हैं. इस प्रथा का प्रचलन सैकड़ों सालों से होता आया है वहीं एक मन्नत धारी जब दूसरे मन्नत धारी के सामने आता है, तो उसका तिलक लगाकर उसका अभिवादन करता है.

समुदाय के ग्रामीण
author img

By

Published : Mar 22, 2019, 12:08 AM IST

झाबुआ। जनजाति समुदाय के ग्रामीण कई अनोखी परंपरा का निर्वाह सैकड़ों सालों से करते आ रहे हैं, इन्हीं परंपराओं में से एक परंपरा है गल देवता की मन्नत. इस परंपरा के तहत ग्रामीण आदिवासियों का मानना है कि घर परिवार में यदि कोई बीमार होता है और उसके स्वास्थ्य के लिए परिवार का कोई सदस्य गल देवता की मन्नत लेता है तो उसके स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है.


बीमार व्यक्ति की मन्नत के बाद स्वास्थ्य में यदि सुधार हो जाता है तो मन्नतधारी होलिका दहन के 8 दिन पहले से इस मन्नत को पूरा करने के लिए शरीर पर हल्दी का लेप लगाकर सफेद और लाल कपड़े पहन कर बाजारों में घूमते हैं. आदिवासी समुदाय के यह मन्नतधारी अपने हाथों में श्रीफल और एक छोटा आईना भी रखते हैं. इस प्रथा का प्रचलन सैकड़ों सालों से होता आया है वहीं एक मन्नत धारी जब दूसरे मन्नत धारी के सामने आता है, तो उसका तिलक लगाकर उसका अभिवादन करता है.

समुदाय के ग्रामीण


आदिवासी बहुल झाबुआ में इस परंपरा को गल परंपरा कहा जाता है। इसके तहत मन्नत धारी 8 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करता है और अंतिम दिन गल देवता की पूजा कर ,पशु बलि देकर मन्नत पूर्ण होने पर ईश्वर का अभिवादन करता है। जिले में प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में ऐसे मन्नत धारी होलिका दहन के पूर्व बाजारों में नजर आते हैं.

झाबुआ। जनजाति समुदाय के ग्रामीण कई अनोखी परंपरा का निर्वाह सैकड़ों सालों से करते आ रहे हैं, इन्हीं परंपराओं में से एक परंपरा है गल देवता की मन्नत. इस परंपरा के तहत ग्रामीण आदिवासियों का मानना है कि घर परिवार में यदि कोई बीमार होता है और उसके स्वास्थ्य के लिए परिवार का कोई सदस्य गल देवता की मन्नत लेता है तो उसके स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है.


बीमार व्यक्ति की मन्नत के बाद स्वास्थ्य में यदि सुधार हो जाता है तो मन्नतधारी होलिका दहन के 8 दिन पहले से इस मन्नत को पूरा करने के लिए शरीर पर हल्दी का लेप लगाकर सफेद और लाल कपड़े पहन कर बाजारों में घूमते हैं. आदिवासी समुदाय के यह मन्नतधारी अपने हाथों में श्रीफल और एक छोटा आईना भी रखते हैं. इस प्रथा का प्रचलन सैकड़ों सालों से होता आया है वहीं एक मन्नत धारी जब दूसरे मन्नत धारी के सामने आता है, तो उसका तिलक लगाकर उसका अभिवादन करता है.

समुदाय के ग्रामीण


आदिवासी बहुल झाबुआ में इस परंपरा को गल परंपरा कहा जाता है। इसके तहत मन्नत धारी 8 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करता है और अंतिम दिन गल देवता की पूजा कर ,पशु बलि देकर मन्नत पूर्ण होने पर ईश्वर का अभिवादन करता है। जिले में प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में ऐसे मन्नत धारी होलिका दहन के पूर्व बाजारों में नजर आते हैं.

Intro:झाबुआ: झाबुआ जिले में जनजाति समुदाय के ग्रामीण कहीं अनोखी परंपरा का निर्वाह सैकड़ों सालों से करते आ रहे हैं ,इन्हीं परंपराओं में से एक परंपरा है गल देवता की मन्नत की। इस परंपरा के तहत ग्रामीण आदिवासियों का मानना है कि घर परिवार में यदि कोई बीमार होता है और उसके स्वास्थ्य के लिए परिवार का कोई सदस्य गल देवता की मन्नत लेता है तो उसके स्वास्थ्य में सुधार हो जाता है ।


Body:बीमार व्यक्ति का मन्नत के बाद स्वास्थ्य में यदि सुधार हो जाता है तो मन्नत धारी होलिका दहन के 8 दिनों के पूर्व से इस मन्नत को पूरा करने के लिए शरीर पर हल्दी का लेप लगाकर श्वेत और लाल कपड़े पहन कर बाजारों में घूमते हैं ।आदिवासी समुदाय के यह मन्नत धारी अपने हाथों में श्रीफल और एक छोटा आईना भी रखते हैं। इस प्रथा का प्रचलन सैकड़ों सालों से होता आया है लिहाजा एक मन्नत धारी जब दूसरे मन्नत धारी के सामने आता है तो जय बोलकर उसे तिलक लगाकर उसका अभिवादन करता है।


Conclusion:आदिवासी बहुल झाबुआ में इस परंपरा को गल परंपरा कहा जाता है। इसके तहत मन्नत धारी 8 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करता है और अंतिम दिन गल देवता की पूजा कर ,पशु बलि देकर मन्नत पूर्ण होने पर ईश्वर का अभिवादन करता है। जिले में प्रतिवर्ष सैकड़ों की संख्या में ऐसे मन्नत धारी होलिका दहन के पूर्व बाजारों में नजर आते हैं ।
बाइट ग्रामीण मन्नत धारी बाबू
बाइट ग्रामीण मन्नत धारी गोदा
बाइट ग्रामीण

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.