झाबुआ। जनजाति सुरक्षा मंच ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. जनजाति सुरक्षा मंच ने मुख्यमंत्री से आदिवासी संस्कृति, परंपरा और मान्यताओं को ना मानने वाले और जनजाति में रहते हुए धर्म बदलने वाले को संवैधानिक आरक्षण का लाभ न देने की मांग की है और मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा है.
दो करोड़ के लगभग आदिवासियों ने बदला धर्म
जनजाति सुरक्षा मंच ने धर्म परिवर्तन करने वालो को जनजातियों आरक्षण सूची से बाहर करने की मांग को लेकर देश भर में जनजागरण अभियान चलाया है. जनजाति समुदाय पूर्व में राज्यपाल को लाखों लोगों के हस्ताक्षर वाले पत्र भी भेज चुके हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में 14 करोड़ से ज्यादा जनजाति समुदाय के लोग निवास करते हैं, जिनमें से दो करोड़ के लगभग लोगों ने अपना धर्म परिवर्तन कर अन्य धर्मों में शामिल हो गए हैं.
धर्मांतरण की समस्या का होगा समाधान
धर्म परिवर्तन को लेक लेकर जनजाति सुरक्षा मंच के एक प्रतिनिधिमंडल ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की. जनजाति सुरक्षा मंच के क्षेत्र जनजाति संपर्क प्रमुख श्यामा ताहेड ने बताया कि मंच ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि जो लोग धर्म परिवर्तन करके अन्य धर्मों में प्रवेश कर रहे हैं, उन्हें आरक्षण का लाभ से वंचित रखा जाए. इससे वनवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण की समस्या ठीक होगी और धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों में भी जागरुकता आएगी.
2010 से की जा रही आरक्षण खत्म करने की मांग
वर्ष 2010 में जनजाति सुरक्षा मंच ने इसके लिए जनमत संग्रह और हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था, जिसमें 27 लाख से ज्यादा जनजाति वर्ग के लोगों ने हस्ताक्षर किए थे. सन् 1970 में तत्कालीन सांसद और जनजाति नेता दिवंगत कार्तिक उरांव ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाया था और कई सांसदों का उन्हें समर्थन भी मिला था. मध्य प्रदेश सहित देश के आदिवासी बहुल इलाकों में धर्मांतरण की बढ़ती समस्या के चलते जनजाति समूह द्वारा इस मंच का गठन किया गया है. इस मुद्दे को लेकर एक बार फिर से जनजाति सुरक्षा मोर्चा मंच ने धर्म परिवर्तन करने वाले लोगों से आरक्षण का लाभ वापस लिए जाने की मांग की है.