झाबुआ। लोकसभा चुनाव में झाबुआ विधायक गुमान सिंह डामोर के सांसद निर्वाचित होने के बाद विधायक के पद से इस्तीफा देने से ये सीट रिक्त हुई है. ऐसे में कांग्रेस यहां अपना जनाधार मजबूत करने में जुट गई है तो बीजेपी अपने किले को मजबूत करने में लगी है.
झाबुआ विधानसभा सीट पर नवंबर-दिसंबर में उप चुनाव के कयास लगाए जा रहे हैं. मालवा अंचल की ये सीट कभी कांग्रेस का गढ़ मानी जाती थी, लेकिन कांग्रेस के आपसी मतभेदों के चलते बीजेपी इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब हो गई. इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया को करारी शिकस्त मिली है. प्रेदश में कांग्रेस की सरकार होने के बावजूद इस सीट से हारना कांतिलाल भूरिया को नागवार लगा क्योंकि केंद्र और राज्य के मंत्रिमंडल में रहने के बाद बिना पद के रहने से उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
यही वजह है कि कांतिलाल भूरिया की नजर झाबुआ विधानसभा उप चुनाव पर टिकी है और वो टिकट की दावेदारी में सबसे आगे हैं. वहीं, बात करें बीजेपी की तो जीएस डामोर ने केवल 200 दिनों के अंतराल में ही कांग्रेस के किले को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया था. पहले झाबुआ विधानसभा फिर रतलाम संसदीय सीट पर कब्जा जमाकर डामोर यहां बीजेपी में पावर सेंटर के रूप में उभर चुके हैं. उप चुनाव में डामोर की पसंद के उमीदवार को टिकट मिलना तय माना जा रहा है.
झाबुआ विधानसभा उपचुनाव केंद्र व राज्य सरकारों के बीच होगा. कांग्रेस एक बार फिर कांतिलाल भूरिया और बीजेपी जीएस डामोर के सहारे इस सीट को जिताने का प्रयास करेगी.