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गरीबों को मिलने वाला अनाज आखिर कारोबारियों तक कैसे पहुंचा, अब जांच की आंच में माफिया

आदिवासियों और गरीबों को दो वक्त का भोजन देने के लिए पीडीएस सिस्टम के माध्यम से 2 लाख 14 हजार हितग्राहियों को 355 राशन दुकानों के माध्यम से अनाज भेजा जाता है, लेकिन ये अनाज कहां जाता है, इसकी किसी को खबर तक नहीं है. देखिए ईटीवी भारत की पड़ताल...

jhabua
झाबुआ
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Published : Sep 24, 2020, 3:16 PM IST

झाबुआ। राज्य सरकार झाबुआ जिले के आदिवासियों और गरीबों को दो वक्त का भोजन देने के लिए पीडीएस सिस्टम के माध्यम से 2 लाख 14 हजार हितग्राहियों को 355 राशन दुकानों के माध्यम से अनाज भेजती है, लेकिन ये अनाज कहां जाता है इसकी किसी को खबर तक नहीं है, दरअसल ये अनाज गरीबों को मिलने के बजाय मिल मालिकों के पास पहुंचता है. और इस कारनामें की शिकायत सैकड़ों बार हितग्राहियों ने जिला मुख्यालय के अधिकारियों को दी, लेकिन लाचार सिस्टम अब तक सुध नहीं ले पाया, और जब हालात काफी बिगड़ गए तो अब मामले में संज्ञान लिया गया है.

पीडीएस सिस्टम में सुधार कब

गरीबों का अनाज माफिया तक

अनाज सप्लाई से लेकर वितरण के बीच माफिया की चेन इतनी गहरी और मजबूत होती चली गई कि झाबुआ में सरकारी अनाज का बड़ा कारोबार होने लगा. इस कारोबार को पर्दे के पीछे से कई राजनेता और आला अधिकारियों का आशीर्वाद मिलता रहा, लिहाजा जिले में करोड़ों रूपए का राशन घोटाला हो गया. अब इस घोटाले की पूरी जांच पुलिस कर रही है, यदि जांच सही दिशा में हुई तो प्रदेश के कई आला अधिकारियों और बड़े व्यापारियों की शामत आ सकती है.

दूसरे राज्यों के अनाज माफिया तक पहुंचा अनाज

जिले के गरीबों और आदिवासियों के लिए आने वाला गेंहू माफियाओं ने कभी गुजरात, तो कभी महाराष्ट्र की मिलों में खपा दिया. पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीडीएस माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश प्रदेश के सभी कलेक्टर ओर कमिश्नर को दिए थे, जिसके बाद झाबुआ में दो बड़ी कारवाई देखने को मिली है.

जांच में हो सकता है बड़ा खुलासा

इस मामले में पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष दौलत भावसार का मानना है कि यदि उस समय कलेक्टर ने कार्रवाई की होती तो आज जिले में इस तरह के माफिया पनप नहीं पाते. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद जिले में हुई इस कार्रवाई से भाजपा भी सकते में है, बीजेपी नेता ने उल्टा तत्कालीन जिला कलेक्टर पर आरोप लगाया है, और कहा है कि सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने मामले में संज्ञान लिया है, और इस पूरे मामले की अब जांच हो रही है.

पीएम के नाम 'पोस्टकार्ड अभियान'

आखिरकार सालों से पीडीएस सिस्टम की बदहाली पर किसी का ध्यान नहीं गया, लेकिन नवागत कलेक्टर रोहित सिंह ने गरीब लोगों की व्यथा को गंभीरता से लिया, और अब मामले की जांच कर चल रही है, जिसके चलते आदिवासी युवाओं में खुशी है. और कई संगठन इस मामले की जांच सीबीआई से करने को लेकर प्रधानमंत्री के नाम पोस्टकार्ड अभियान चला रहे हैं . लिहाजा देखना होगा कि जिले में हुई ये कार्रवाई अपने अंजाम तक पहुंचेगी या यूं ही सिमट जाएगी.

झाबुआ। राज्य सरकार झाबुआ जिले के आदिवासियों और गरीबों को दो वक्त का भोजन देने के लिए पीडीएस सिस्टम के माध्यम से 2 लाख 14 हजार हितग्राहियों को 355 राशन दुकानों के माध्यम से अनाज भेजती है, लेकिन ये अनाज कहां जाता है इसकी किसी को खबर तक नहीं है, दरअसल ये अनाज गरीबों को मिलने के बजाय मिल मालिकों के पास पहुंचता है. और इस कारनामें की शिकायत सैकड़ों बार हितग्राहियों ने जिला मुख्यालय के अधिकारियों को दी, लेकिन लाचार सिस्टम अब तक सुध नहीं ले पाया, और जब हालात काफी बिगड़ गए तो अब मामले में संज्ञान लिया गया है.

पीडीएस सिस्टम में सुधार कब

गरीबों का अनाज माफिया तक

अनाज सप्लाई से लेकर वितरण के बीच माफिया की चेन इतनी गहरी और मजबूत होती चली गई कि झाबुआ में सरकारी अनाज का बड़ा कारोबार होने लगा. इस कारोबार को पर्दे के पीछे से कई राजनेता और आला अधिकारियों का आशीर्वाद मिलता रहा, लिहाजा जिले में करोड़ों रूपए का राशन घोटाला हो गया. अब इस घोटाले की पूरी जांच पुलिस कर रही है, यदि जांच सही दिशा में हुई तो प्रदेश के कई आला अधिकारियों और बड़े व्यापारियों की शामत आ सकती है.

दूसरे राज्यों के अनाज माफिया तक पहुंचा अनाज

जिले के गरीबों और आदिवासियों के लिए आने वाला गेंहू माफियाओं ने कभी गुजरात, तो कभी महाराष्ट्र की मिलों में खपा दिया. पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीडीएस माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई के निर्देश प्रदेश के सभी कलेक्टर ओर कमिश्नर को दिए थे, जिसके बाद झाबुआ में दो बड़ी कारवाई देखने को मिली है.

जांच में हो सकता है बड़ा खुलासा

इस मामले में पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष दौलत भावसार का मानना है कि यदि उस समय कलेक्टर ने कार्रवाई की होती तो आज जिले में इस तरह के माफिया पनप नहीं पाते. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश के बाद जिले में हुई इस कार्रवाई से भाजपा भी सकते में है, बीजेपी नेता ने उल्टा तत्कालीन जिला कलेक्टर पर आरोप लगाया है, और कहा है कि सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने मामले में संज्ञान लिया है, और इस पूरे मामले की अब जांच हो रही है.

पीएम के नाम 'पोस्टकार्ड अभियान'

आखिरकार सालों से पीडीएस सिस्टम की बदहाली पर किसी का ध्यान नहीं गया, लेकिन नवागत कलेक्टर रोहित सिंह ने गरीब लोगों की व्यथा को गंभीरता से लिया, और अब मामले की जांच कर चल रही है, जिसके चलते आदिवासी युवाओं में खुशी है. और कई संगठन इस मामले की जांच सीबीआई से करने को लेकर प्रधानमंत्री के नाम पोस्टकार्ड अभियान चला रहे हैं . लिहाजा देखना होगा कि जिले में हुई ये कार्रवाई अपने अंजाम तक पहुंचेगी या यूं ही सिमट जाएगी.

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