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जबलपुर के संकल्प सिंह ने की दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती, ढाई लाख रुपए प्रति किलो है कीमत

जापान में 'टाइयो नो टमागो' के नाम से मशहूर आम की एक खास वरायटी है, जिसे इंग्लिश में 'एग ऑफ द सन' का नाम दिया गया है. अब आम की इस वरायटी को जबलपुर में सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है.

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Published : Jul 12, 2019, 1:40 PM IST

दुनिया का सबसे मंहगा आम 'टाइयो नो टमागो'

जबलपुर। जापान में 'टाइयो नो टमागो' के नाम से मशहूर आम की एक खास वरायटी है, जिसे इंग्लिश में 'एग ऑफ द सन' का नाम दिया गया है. जापान में इस वरायटी के आम लगभग ढाई लाख रुपए किलो बेचे गए हैं. आम की इस खास वरायटी को अब जबलपुर में भी सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है. जिले की तिलवारा घाट के पास अपनी बंजर पड़ी जमीन पर संकल्प सिंह परिहार इसकी खेती कर रहे हैं.

जबलपुर में दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती

आम की ये विशेष प्रजाति 'टाइयो नो टमागो' इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है. यह आम अंडे की शक्ल का होता है. बैंगनी और लाल कलर के साथ ही पकने पर इसका कुछ हिस्सा पीला पड़ जाता है. इसमें रेशे नहीं पाए जाते और स्वाद में यह बहुत मीठा होता है. आम की यह प्रजाति जापान में संरक्षित वातावरण में उगाई जाती है, लेकिन संकल्प सिंह परिहार ने अपनी बंजर पड़ी जमीन पर इसे खुले वातावरण में ही उगाया है. इस आम को मल्लिका भी कहते हैं.

संकल्प ने बताया कि इस आम की खेती में किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है. उन्होंने कुछ देशी हाइब्रिड और कुछ विदेशी हाइब्रिड किस्म के आमों की किस्में लगाई हैं. इनमें सबसे ज्यादा सफल मल्लिका किस्म के आम की खेती में मिली है. संकल्प का कहना है कि यह आम अल्फांसों से भी बेहतर है. इसमें ज्यादा पल्प होता है. मल्लिका की यह वरायटी काफी स्वादिष्ट बताई जा रही है.

जबलपुर। जापान में 'टाइयो नो टमागो' के नाम से मशहूर आम की एक खास वरायटी है, जिसे इंग्लिश में 'एग ऑफ द सन' का नाम दिया गया है. जापान में इस वरायटी के आम लगभग ढाई लाख रुपए किलो बेचे गए हैं. आम की इस खास वरायटी को अब जबलपुर में भी सफलतापूर्वक उगाया जा रहा है. जिले की तिलवारा घाट के पास अपनी बंजर पड़ी जमीन पर संकल्प सिंह परिहार इसकी खेती कर रहे हैं.

जबलपुर में दुनिया के सबसे महंगे आम की खेती

आम की ये विशेष प्रजाति 'टाइयो नो टमागो' इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है. यह आम अंडे की शक्ल का होता है. बैंगनी और लाल कलर के साथ ही पकने पर इसका कुछ हिस्सा पीला पड़ जाता है. इसमें रेशे नहीं पाए जाते और स्वाद में यह बहुत मीठा होता है. आम की यह प्रजाति जापान में संरक्षित वातावरण में उगाई जाती है, लेकिन संकल्प सिंह परिहार ने अपनी बंजर पड़ी जमीन पर इसे खुले वातावरण में ही उगाया है. इस आम को मल्लिका भी कहते हैं.

संकल्प ने बताया कि इस आम की खेती में किसी केमिकल का इस्तेमाल नहीं किया गया है. उन्होंने कुछ देशी हाइब्रिड और कुछ विदेशी हाइब्रिड किस्म के आमों की किस्में लगाई हैं. इनमें सबसे ज्यादा सफल मल्लिका किस्म के आम की खेती में मिली है. संकल्प का कहना है कि यह आम अल्फांसों से भी बेहतर है. इसमें ज्यादा पल्प होता है. मल्लिका की यह वरायटी काफी स्वादिष्ट बताई जा रही है.

Intro:जापान का टाइयो नो टमागो या एक ऑफ द सन नाम का दुनिया का सबसे महंगा आम जबलपुर में सफलतापूर्वक उगाया गया बंजर जमीन पर खुले आसमान में हो रही है इस आम की सफल खेती


Body:जबलपुर जापान में टाइयो नो टमागो के नाम से मशहूर आम की एक खास वैरायटी जिसे इंग्लिश में एग ऑफ द सन का नाम दिया गया है जापान मैं इस वैरायटी के आम लगभग ढाई लाख रुपया किलो बेचे गए हैं आम की एक खास वैरायटी जबलपुर मैं सफलतापूर्वक उगाई जा रही है

आम की एक विशेष प्रजाति जो इन दिनों पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बनी हुई है यह आम अंडे की शक्ल का होता है बैगनी और लाल कलर के साथ ही पकने पर इसका कुछ हिस्सा पीला पड़ जाता है इसमें रेशे नहीं पाए जाते और स्वाद में यह बहुत मीठा होता है आम की यह प्रजाति जापान में संरक्षित वातावरण में उगाई जाती है लेकिन जबलपुर की तिलवारा घाट के पास बंजर पड़ी जमीन पर संकल्प सिंह परिहार ने इसे खुले वातावरण में उग आया है

दरअसल जबलपुर में आम के बगीचे नहीं है और ज्यादातर आम उत्तर भारत या आंध्र प्रदेश से आता है और यह आम कार्बाइड लगाकर पकाया जाता है संकल्प ने तय किया गिना तो वे खुद ऐसा केमिकल वाला हम खाएंगे और ना ही किसी को खाने देंगे बंजर पड़ी अपनी जमीन पर उन्होंने कुछ देसी हाइब्रिड और कुछ विदेशी हाइब्रिड किस्म के आमों की किस्में लगाएं इनमें सबसे ज्यादा सफल मल्लिका किस्म का नाम है संकल्प का कहना है कि यह आम अल्फाजों से भी बेहतर है इसमें ज्यादा पल्प होता है मल्लिका की यह वैरायटी स्वाद में बहुत अच्छी है

आम का ऐसा बगीचा जबलपुर के आसपास नहीं हैं लिहाजा जो भी इस सड़क से गुजरता है वह पेड़ से पके हुए आम को तोड़ कर ले जाता है संकल्प का यह सोच है कि आम केवल खास लोगों के लिए ना हो इसलिए इसकी कीमत भी बहुत कम है संकल्प का कहना है कि उन्होंने जो प्रयास किया है यह प्रयास सरकार को और बेरोजगार लोगों को जरूर करना चाहिए इससे ना सिर्फ लोगों को जैविक फल खाने को मिलेंगे बल्कि अच्छा खासा रोजगार भी मिलेगा


Conclusion:जबलपुर हॉर्टिकल्चर विभाग के पास करोड़ों रुपए का बजट है लेकिन उनके पास खाने के लिए एक आम तक नहीं है वहीं संकल्प ने अपनी मेहनत से बंजर जमीन पर एक बगीचा बना दिया इससे साफ होता है कि सरकार की योजनाएं और जमीनी हकीकत अलग अलग होती है
बाइट संकल्प सिंह परिहार आम उत्पादक किसान
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