जबलपुर। शहर के तिलवारा श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए उपयोग में ली जाने वाली लकड़ियों की कीमत को लेकर विरोध हो रहा है. अंतिम संस्कार के लिए 3 क्विंटल लकड़ी के लिए 3300 रुपए लेने का कई लोग विरोध कर रहे हैं. इस दौरान गरीबों के लिए काम करने वाली एक संस्था के श्मशान घाट में सस्ती लकड़ियां डलवा दी तो ठेकेदार ने इसका विरोध कर दिया.
वसूला जा रहा 3 गुना दाम
जबलपुर की समाज सेवी संस्था मोक्ष लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करती है. कोरोना वायरस के संकट काल में संस्था ने हजारों कोरोना वायरस से पीड़ित और कोरोना वायरस के संदेही मृतकों का अंतिम संस्कार किया. इसमें बहुत से लोगों ने अंतिम संस्कार का पैसा दिया और कुछ लोगों ने पैसा नहीं भी दिया. मोक्ष के कार्यकर्ता आशीष ठाकुर का कहना है कि वह किसी से पैसा नहीं मांगते लेकिन लकड़ी का खर्चा बहुत ज्यादा हो जाता है. बीते डेढ़ महीने में वह लाखों रुपए की लकड़ी का इस्तेमाल लाशों का अंतिम संस्कार करने में कर चुके हैं. क्योंकि यह लकड़ी श्मशान घाट से महंगी पड़ रही थी इसलिए उन्होंने 400 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से एक ट्रक लकड़ी तिलवारा घाट श्मशान घाट में डलवाई थी. लेकिन नगर निगम के अधिकारी कर्मचारियों ने स्थानीय ठेकेदार के दबाव में मोक्ष को सस्ती लकड़ी से अंतिम संस्कार करवाने से मना कर दिया.
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कई लोगों ने जताई आपत्ति
कई लोगों ने महंगी लकड़ी पर आपत्ति जताई लेकिन नगर निगम के कर्मचारियों अधिकारियों और ठेकेदार की वजह से लोगों को न्याय नहीं मिल पाया. सवाल यह खड़ा होता है कि आखिर कोरोना काल में क्या अंतिम संस्कार के उपयोग में ली जाने वाली लकड़ी से कमाई करना वाजिब है. क्या बाजार में 400 रुपए प्रति क्विंटल के दर पर मिल रही लकड़ियों का श्मशान घाट में तीन गुना रेट वसूलना सही है. लोगों का आरोप है कि इसमें नगर निगम की भी मिली भगत है. ऐसे में नगर निगम को इसपर सख्त एक्शन लेने की जरूरत है.