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डॉ एसएन बोस हॉस्पिटल में हंगामा, डॉक्टरों पर लगा फर्जी ऑपरेशन का आरोप - Fake operation

जबलपुर के डॉ एसएन बोस हॉस्पिटल में फर्जी ऑपरेशन करने को लेकर मरीजों के परिजनों ने जमकर हंगामा किया. वहीं परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के नाम पर खानापूर्ति करने और अवैध वसूली के आरोप लगाए हैं.

Dr SN Bose Hospital
डॉ एसएन बोस हॉस्पिटल
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Published : Feb 7, 2020, 10:33 PM IST

जबलपुर। ग्वारीघाट थाना अंतर्गत डॉ एसएन बोस हॉस्पिटल में फर्जी ऑपरेशन करने को लेकर हंगामा खड़ा हो गया. मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के नाम पर खानापूर्ति करने और अवैध वसूली करने के आरोप लगाए हैं.

डॉ एसएन बोस हॉस्पिटल में मरीजों के परिजनों ने किया हंगामा

चार दिन पहले ग्वारीघाट क्षेत्र के ही लखन अहिरवार को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था, जिसे किड़नी में इंफेक्शन बताया गया. इसके बाद डॉक्टरों ने परिजनों को ऑपरेशन की जरूरत बताकर फीस के रूप में पहले 75 हजार रूपए जमा करने के लिए कहा.

परिजनों ने पैसों का इंतजाम किया और फीस जमा की. ऑपरेशन के एक दिन बाद युवक की हालत बिगड़ने लगी, जिसके बाद परिजन उसे लेकर मेडिकल अस्पताल पहुंचे. जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि लखन का कोई ऑपरेशन ही नहीं किया गया, बल्कि छोटा सा चीरा लगाकर उनसे निजी अस्पताल ने पैसे ऐंठ लिए.

परिजनों ने इसके बाद अस्पताल पहुंचकर जमकर हंगामा किया. वहीं एक अन्य युवक ने भी अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उसकी मां को यहां इलाज के लिए भर्ती किया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर औपचारिकता निभाई और उसकी मां की हालत खराब होती चली गई. दो दिन बाद उसकी मां ने अस्पताल में ही इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. जबकि इलाज के नाम पर उससे 60 हजार रूपए वूसल किए गए.

मरीजों के परिजनों के आरोपों पर डॉक्टरों ने लापरवाही से इनकार किया है. उनका कहना है कि वे अपनी ओर से मरीजों का इलाज करने और उन्हें बचाने का प्रयास करते हैं, लेकिन जो मरीज पहले ही कमजोर हो उसकी जान बचाने की गारंटी नहीं दी जा सकती.

जबलपुर। ग्वारीघाट थाना अंतर्गत डॉ एसएन बोस हॉस्पिटल में फर्जी ऑपरेशन करने को लेकर हंगामा खड़ा हो गया. मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के नाम पर खानापूर्ति करने और अवैध वसूली करने के आरोप लगाए हैं.

डॉ एसएन बोस हॉस्पिटल में मरीजों के परिजनों ने किया हंगामा

चार दिन पहले ग्वारीघाट क्षेत्र के ही लखन अहिरवार को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था, जिसे किड़नी में इंफेक्शन बताया गया. इसके बाद डॉक्टरों ने परिजनों को ऑपरेशन की जरूरत बताकर फीस के रूप में पहले 75 हजार रूपए जमा करने के लिए कहा.

परिजनों ने पैसों का इंतजाम किया और फीस जमा की. ऑपरेशन के एक दिन बाद युवक की हालत बिगड़ने लगी, जिसके बाद परिजन उसे लेकर मेडिकल अस्पताल पहुंचे. जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने कहा कि लखन का कोई ऑपरेशन ही नहीं किया गया, बल्कि छोटा सा चीरा लगाकर उनसे निजी अस्पताल ने पैसे ऐंठ लिए.

परिजनों ने इसके बाद अस्पताल पहुंचकर जमकर हंगामा किया. वहीं एक अन्य युवक ने भी अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उसकी मां को यहां इलाज के लिए भर्ती किया गया था, लेकिन डॉक्टरों ने इलाज के नाम पर औपचारिकता निभाई और उसकी मां की हालत खराब होती चली गई. दो दिन बाद उसकी मां ने अस्पताल में ही इलाज के दौरान दम तोड़ दिया. जबकि इलाज के नाम पर उससे 60 हजार रूपए वूसल किए गए.

मरीजों के परिजनों के आरोपों पर डॉक्टरों ने लापरवाही से इनकार किया है. उनका कहना है कि वे अपनी ओर से मरीजों का इलाज करने और उन्हें बचाने का प्रयास करते हैं, लेकिन जो मरीज पहले ही कमजोर हो उसकी जान बचाने की गारंटी नहीं दी जा सकती.

Intro: जबलपुर के ग्वारीघाट थाना अंतर्गत डाॅ. एस. एन. बोस हाॅस्पिटल में मरीजों के साथ फर्जी आॅपरेशन करने को लेकर हंगामा खड़ा हो गया। Body:मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज के नाम पर खानापूर्ति करने और अवैध वसूली करने के आरोप लगाए हैं। दरअसल चार दिन पूर्व ग्वारीघाट क्षेत्र के ही लखन अहिरवार को अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती किया गया था, जिसे किड़नी में इंफेक्शन बताया गया। इसके बाद अस्पताल के डाॅक्टरों ने परिजनों को आॅपरेशन करने के लिए कहा और बकायदा फीस के रूप में पहले 75 हजार रूपए जमा करने के लिए कहा। परिजनों ने अपनी गरीब परिस्थिति के बावजूद पैसों का इंतजाम किया और फीस जमा की। आॅपरेशन के एक दिन बाद युवक की हालत बिगड़ने लगी जिसके बाद परिजन उसे लेकर मेडिकल अस्पताल पहंुचे जहां जांच के बाद डाॅक्टरों ने कहा कि लखन का कोई आॅपरेशन ही नहीं किया गया बल्कि छोटा सा चीरा लगाकर उनसे निजी अस्पताल ने पैसे ऐंठ लिए। परिजनों ने इसके बाद अस्पताल पहंुचकर जमकर हंगामा किया और अस्पताल प्रबंधन पर फर्जी आॅपरेशन कर अवैध वसूली करने के आरोप लगाए।

वहीं एक अन्य युवक ने भी अस्पताल प्रबंधन पर आरोप लगाया कि उसकी मां को यहां इलाज के लिए भर्ती किया गया था लेकिन डाॅक्टरों ने इलाज के नाम पर औपचारिकता निभाई और उसकी मां की हालत खराब होती चली गई। दो दिन बाद उसकी मां ने अस्पताल में ही इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। जबकि इलाज के नाम पर उससे 60 हजार रूपए वूसल किए गए।

बाइट- प्रेमबाई अहिरवार, पीड़ित
यते - बंटीलाल, मरीज के परिजन
बाइट- डाॅ. प्रियंका,Conclusion:मरीजों के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप के बाद जब अस्पताल के डाॅक्टरों से पूछा गया तो उन्होंने किसी भी प्रकार की लापरवाही से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि वे अपनी ओर से मरीजों का इलाज करने और उन्हें बचाने का प्रयास करते हैं लेकिन जो मरीज पहले ही कमजोर हो उसकी जान बचाने की गारंटी नहीं दी जा सकती।
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