जबलपुर। जबलपुर के आसपास चार टाइगर रिजर्व हैं. इनमें कान्हा टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर रिजर्व, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व और पैच टाइगर रिजर्व में हर साल लाखों लोग टाइगर देखने के लिए आते हैं. 1 अक्टूबर से एक बार फिर इन टाइगर रिजर्व को खोल दिया गया है. लेकिन ये बीते 4 महीने से बंद थे. बरसात के चार महीने राष्ट्रीय उद्यानों के कोर इलाकों में पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं होती. वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार बरसात के समय ज्यादातर जानवरों का प्रसवकाल चलता है. इसलिए जानवर ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं और इस बात की संभावना बनी रहती है कि कहीं कोई जानवर किसी पर्यटक के ऊपर हमला न कर दे. Tiger Reserve Tourism
बारिश के मौसम में अलग ही नजारा : बरसात के समय जंगल बेहद खूबसूरत हो जाते हैं. इसलिए केवल कोर इलाकों में ही नहीं, बल्कि बफर एरिया में भी जंगल की खूबसूरती देखते बनती है. वहीं इस साल बफर इलाकों में भी कई बार टाइगर देखा गया. कान्हा गांव में रहने वाले टूरिस्ट गाइड और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफर रामकुमार यादव ने कान्हा के बफर इलाके में कई बार टाइगर को मूवमेंट करते हुए अपने कमरे में कैद किया. इसमें बाघिन और इसका एक बच्चा अठखेलियां करते हुए नजर आ रहा है. मध्य प्रदेश की इन टाइगर रिजर्व में 4 महीने काम पूरी तरह से बंद हो जाता है. इसकी वजह से हजारों लोगों का रोजगार छिन जाता है. यहां आने वाले टूरिस्ट की मांग है कि बफर इलाके में सुविधाएं बढ़ाई जाएं ताकि बरसात में भी लोग यहां आ सकें.
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4 माह की बेरोजगारी खत्म हो सकती है : यहां काम करने वाले लोगों ने मांग की है कि बफर इलाके में टूरिज्म बढ़ाया जाए ताकि 4 महीने का आर्थिक नुकसान कम हो सके और लोगों को स्थाई रोजगार मिलता रहे. पर्यटकों के आने की वजह से इन इलाकों में रिजॉर्ट टूरिस्ट गाइड और स्थानीय बाजार को बहुत आर्थिक बल मिलता है. वहीं बरसात का मौसम जंगल में बेहद खूबसूरत होता है इसलिए सरकार को बफर जोन में कुछ सुविधाएं बढ़ानी चाहिए. मध्य प्रदेश में टाइगर रिजर्व के आसपास कई रिजॉर्ट्स हैं. इनमें हजारों लोगों को काम मिला है. इसके अलावा टूरिस्ट गाइड ड्राइवर जैसे कई रोजगार पर्यटकों की वजह से चलते हैं लेकिन बरसात में पर्यटक नहीं आते. इसकी वजह से ज्यादातर रिजॉर्ट बंद हो जाते हैं.