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जबलपुर: कोरोना संक्रमण के दौरान कैसे बच गई प्रदेश की सबसे बड़ी जेल

नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में अभी तक कोरोना वायरस का एक भी मरीज नहीं पाया गया है. वजह है इस बीमारी से जागरूक होना. बाहर से आए बंदियों को जेल के बजाए पहले जिला असपताल ले जाया जाता है, ताकि कोरोना पॉजिटिव होने का पता लग सकें.

there is not a single corona patient found
केंद्रीय जेल में नहीं मौजूद कोरोना मरीज
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Published : May 22, 2020, 11:40 AM IST

Updated : May 22, 2020, 4:24 PM IST

जबलपुर। पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस की गिरफ्त में फंसता जा रहा है. देश में लगातार कोरोना के पॉजिटिव मरीज बढ़ रहे हैं. मध्य प्रदेश के हालात भी कुछ ज्यादा अच्छे नहीं है. मिनी मुंबई सहित राजधानी और संस्कारधानी का भी यहीं हाल है. ऐसी स्थिति में भी कोरोना वायरस प्रदेश की सबसे बड़ी नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल की दीवारों तक नहीं पहुंच पाया है. अभी भी यह जेल कोविड-19 से बची हुई है.

केंद्रीय जेल में नहीं मौजूद कोई भी कोरोना मरीज

इंदौर में जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम पर हमला करने वाले एनएसए के अपराधी जावेद और सलीम को जबलपुर की केंद्रीय जेल में शिफ्ट करना था. दोनों ही आरोपियों को गेट पर 11 अप्रैल को लाया गया था. जेल प्रहरी आरोपियों को जेल के अंदर शिफ्ट कर ही रहे थे, तभी वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने ऐहतियात के तौर पर दोनों को गेट पर ही रोक दिया और वहां से तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच के दौरान जावेद कोरोना पॉजिटिव पाया गया, जबकि सलीम की रिपोर्ट निगेटिव आई.

चूक की होती तो आज पूरी जेल होती कोरोना पॉजिटिव

नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में आज करीब 2100 से ज्यादा कैदी सजा काट रहे हैं. माना जा रहा है कि, अगर इतनी बड़ी चूक हो जाती, तो आज प्रदेश की सबसे बड़ी जेल सुरक्षित नहीं होती. वरिष्ठ जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार की मानें तो, जावेद के पिता के चलते ही इंदौर जेल में कोरोना फैला है.

अभी भी है प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक बंदी

जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों का होना यह जेल प्रशासन के लिए हमेशा से ही परेशानी का सबब बना हुआ है. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर से लेकर जबलपुर की जेलों में भी क्षमता से कहीं अधिक बंदी हैं. जबलपुर में स्थित केंद्रीय जेल में मार्च तक 2750 बंदी सजा काट रहे थे, जबकि क्षमता जेल की 2400 ही है. ऐसी स्थिति में कोर्ट के निर्देश पर करीब साढे 4 सौ कैदियों को पैरोल पर छोड़ा गया था,

कोरोना मरीज मिलने से पहले ही बचाव का काम था शुरू

प्रदेश की सबसे बड़ी केंद्रीय जेल नेताजी सुभाष चंद्र बोस में कोरोना वायरस की बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 15 मार्च से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना शुरू कर दिए गए थे. जेल में कैदियों द्वारा मास्क बनाने का काम शुरू था, जो कि आज पूरे प्रदेश की जेलो में चल रहा है. केंद्रीय जेल में बने करीब एक लाख मास्क बांटे भी जा चुके हैं. इसके अलावा जेल में कैदियों के लिए अलग से लगभग 130 क्वारंटाइन वार्ड बनाए गए हैं, जिसकी बदौलत आज प्रदेश का सबसे बड़ा केंद्रीय जेल सुरक्षित है.

जबलपुर। पूरा देश इन दिनों कोरोना वायरस की गिरफ्त में फंसता जा रहा है. देश में लगातार कोरोना के पॉजिटिव मरीज बढ़ रहे हैं. मध्य प्रदेश के हालात भी कुछ ज्यादा अच्छे नहीं है. मिनी मुंबई सहित राजधानी और संस्कारधानी का भी यहीं हाल है. ऐसी स्थिति में भी कोरोना वायरस प्रदेश की सबसे बड़ी नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल की दीवारों तक नहीं पहुंच पाया है. अभी भी यह जेल कोविड-19 से बची हुई है.

केंद्रीय जेल में नहीं मौजूद कोई भी कोरोना मरीज

इंदौर में जांच के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम पर हमला करने वाले एनएसए के अपराधी जावेद और सलीम को जबलपुर की केंद्रीय जेल में शिफ्ट करना था. दोनों ही आरोपियों को गेट पर 11 अप्रैल को लाया गया था. जेल प्रहरी आरोपियों को जेल के अंदर शिफ्ट कर ही रहे थे, तभी वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने ऐहतियात के तौर पर दोनों को गेट पर ही रोक दिया और वहां से तत्काल जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच के दौरान जावेद कोरोना पॉजिटिव पाया गया, जबकि सलीम की रिपोर्ट निगेटिव आई.

चूक की होती तो आज पूरी जेल होती कोरोना पॉजिटिव

नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल में आज करीब 2100 से ज्यादा कैदी सजा काट रहे हैं. माना जा रहा है कि, अगर इतनी बड़ी चूक हो जाती, तो आज प्रदेश की सबसे बड़ी जेल सुरक्षित नहीं होती. वरिष्ठ जेल अधीक्षक गोपाल ताम्रकार की मानें तो, जावेद के पिता के चलते ही इंदौर जेल में कोरोना फैला है.

अभी भी है प्रदेश की जेलों में क्षमता से अधिक बंदी

जेलों में क्षमता से अधिक बंदियों का होना यह जेल प्रशासन के लिए हमेशा से ही परेशानी का सबब बना हुआ है. भोपाल, इंदौर, ग्वालियर से लेकर जबलपुर की जेलों में भी क्षमता से कहीं अधिक बंदी हैं. जबलपुर में स्थित केंद्रीय जेल में मार्च तक 2750 बंदी सजा काट रहे थे, जबकि क्षमता जेल की 2400 ही है. ऐसी स्थिति में कोर्ट के निर्देश पर करीब साढे 4 सौ कैदियों को पैरोल पर छोड़ा गया था,

कोरोना मरीज मिलने से पहले ही बचाव का काम था शुरू

प्रदेश की सबसे बड़ी केंद्रीय जेल नेताजी सुभाष चंद्र बोस में कोरोना वायरस की बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 15 मार्च से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करना शुरू कर दिए गए थे. जेल में कैदियों द्वारा मास्क बनाने का काम शुरू था, जो कि आज पूरे प्रदेश की जेलो में चल रहा है. केंद्रीय जेल में बने करीब एक लाख मास्क बांटे भी जा चुके हैं. इसके अलावा जेल में कैदियों के लिए अलग से लगभग 130 क्वारंटाइन वार्ड बनाए गए हैं, जिसकी बदौलत आज प्रदेश का सबसे बड़ा केंद्रीय जेल सुरक्षित है.

Last Updated : May 22, 2020, 4:24 PM IST
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