जबलपुर। बदलते इस दौर में लोग जहां सिर्फ खुद की सोच रहे हैं, वहीं कोरोना वायरस ने लोगों को अपनों से भी दूर कर दिया है. जान और माल दोनों का नुकसान करने वाले कोरोना ने इतने लोगों को मजबूर कर दिया कि लोग अपनों का अंतिम संस्कार करने से भी डर रहे हैं, ऐसे में जबलपुर के कुछ युवाओं ने मानवसेवा का जीता-जागता उदाहरण पेश किया है और 23 मार्च के बाद अब तक कोरोना से मरने वाले करीब 40 लोगों का अंतिम संस्कार कर दिया.
जबलपुर के युवाओं की एक टीम में 24 से अधिक वे लोग शामिल हैं, जो निजी कंपनियों में काम करते थे. लॉकडाउन की वजह से काम बंद के बाद इन युवाओं ने मोक्ष संस्था के साथ एक टीम बनाई और इस काम में जुट गए, युवाओं के परिवार ने पहले तो इस काम के लिए मना किया, लेकिन फिर मान गए. युवाओं का कहना है कि जब मानव सेवा करनी है तो डर का सवाल ही नहीं उठता.
कोरोना मरीजों की मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार करने वाले इन युवाओं को न तो पैसा मिल रहा है और न ही कोई दूसरा सपोर्ट, इसके बावजूद इन सभी ने कोरोना संकट के समय में इस काम को करने का बीड़ा उठाया है.
टीम को आशीष ठाकुर लीड करते हैं और उनके साथ काम करने वाले सभी लोग खुश हैं. उनका मानना है कि उन्हें मानवसेवा करने का मौका मिला है, जिसे वे पूरी शिद्दत से कर रहे हैं.
टीम में शामिल सभी लोग हर हफ्ते कोरोना वायरस का टेस्ट करवाते हैं, पीपीई किट और दूसरे प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करते हैं, परिवार के लोग ये काम करने से मना करते हैं, इसके बाद भी समाज को संकट में देख ये सभी मदद में जुटे हैं.
सरकार की गाइडलाइन का पालन
कोरोना संक्रमण के चलते 23 मार्च से पूरे प्रदेश में लॉकडाउन लागू किया गया था और तब से लेकर अब तक कई लोगों ने कोरोना की चपेट में आने से जान गंवा दी है. लिहाजा अब प्रशासन ने इन युवाओं से गुजारिश की है कि वो नगर निगम के लोगों को भी कोरोना वायरस पीड़ित लोगों का अंतिम संस्कार करना सिखा दें, ताकि नगर निगम के कर्मचारी ये काम कर सकें.
हालांकि युवाओं का मानना है कि ये सेवा और मन से किया जाने वाला काम है, इसको सरकारी तरीके से अंजाम नहीं दिया जा सकता. अंतिम संस्कार के दौरान ये सभी सरकार की गाइडलाइन का पालन भी करते हैं.
सैनिक की तरह काम कर रहे युवा
कोरोना काल में देखा जाए तो इन युवाओं का काम किसी सैनिक से कम नहीं है, क्योंकि जिस तरीके से युद्ध में जान जाने का खतरा है कुछ ऐसा ही खतरा इन लोगों के सामने है, इसके बाद भी इनमें सेवा करने का जज्बा है कि जो डर को इनके पास ही नहीं आने देता.