जबलपुर। कलचुरी काल के बड़े शहर की खोज के दौरान अच्छे परिणाम मिले हैं. खोज में बड़े मंदिरों के अवशेष खुदाई में मिले है और बेहद खूबसूरत मूर्तियां पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की खुदाई में मिली है. वहीं इतिहासकारों का दावा यह भारत की एक बड़ी सभ्यता की खोज है. जबलपुर के तेवर गांव में मिट्टी के नीचे आज से लगभग 1500 साल पहले का भव्य शहर छुपा हुआ है. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की खुदाई में इसके अवशेष भी मिलना शुरू हो गए हैं.
बड़े मंदिरों के अवशेष मिले
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अब तक की खुदाई में मंदिरों के नक्काशी किए हुए अवशेष मिल रहे हैं. काले पत्थर पर बड़ी बारीकी से नक्काशी की गई है. एक दूसरी साइट पर मिट्टी के बर्तन मिल रहे हैं, खुदाई अभी जारी है बड़ी बारीकी से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण इन दोनों साइट पर खुदाई करवा रहा है. उस समय की ईट यहां पर बरामद हुई हैं. ऐसा दावा किया जा रहा है कि उस समय लोग ईट पकाकर घर बनाना सीख गए थे. फिलहाल खुदाई जारी है.
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अद्भुत कलाकृति वाली मूर्तियां
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण खुदाई के साथ-साथ आसपास के लोगों से मूर्तियां भी इकट्ठे कर रहे हैं. इसमें कुछ ऐसी मूर्तियां सामने आई हैं जिनकी नक्काशी देखते ही बनती है. दो मूर्तियां बहुत अच्छी हालत में बरामद हुई हैं. इन मूर्तियों पर प्राकृत भाषा में कुछ लिखा हुआ भी है, हालांकि इसको पढ़ा नहीं जा सका है, लेकिन इन मूर्तियों की खूबसूरती का बयान शब्दों में नहीं किया जा सकता. आज से 1000 साल पहले जब इस इलाके में कलचुरी राजाओं का राज हुआ करता था. तब इन मूर्तियों की नक्काशी की गई होगी. उस जमाने की संस्कृति इन मूर्तियों के जरिए समझी जा सकती है. मूर्ति में जिन आभूषणों से देवी को सजाया गया है. वे बहुत उन्नत हैं और बहुत खूबसूरत हैं. संभवत उस जमाने में इन आभूषणों का इस्तेमाल लोग करते रहे होंगे.
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12 किलोमीटर परिधि का शहर रहा होगा
जबलपुर के मान कुरवाई कॉलेज में इतिहास की अध्यापिका डॉ. रंजना जैन का कहना है कि इस इलाके में कलचुरी काल का एक जीता जागता शहर था जो तेवर से लेकर भेड़ाघाट तक फैला हुआ था. इस पूरे इलाके में 15 सौ साल बाद भी उसके अवशेष मिलते हैं और यह बड़ा शहर था जिसकी लंबाई लगभग 12 किलोमीटर की थी, इसलिए इस 12 किलोमीटर के इलाके में मंदिर मूर्तियां पत्थर के अवशेष मिलते हैं. रंजना जैन का कहना है कि इतिहास पुरातत्व पर आधारित होता है लेकिन इस इलाके की खुदाई पहले नहीं की गई. इसलिए पहली बार इस से पर्दा उठ रहा है और ऐसी संभावना है कि भारत की एक बड़ी संस्कृति के बारे में पहली बार लोग जानेंगे.
पूरे महाकौशल में फैला था कलचुरी राजवंश
डॉ. रंजना जैन का कहना है कि यह केवल जबलपुर के आसपास ही नहीं बल्कि उस समय काल की मूर्तियां नोहटा जबलपुर के ही कई दूसरे क्षेत्रों में भी मिलती हैं. यदि इन सब को जोड़ा जाए तो कलचुरी राजवंश जो जबलपुर और जबलपुर के आसपास बड़े भूभाग में फैला था. वह देश का एक बड़ा राजवंश हुआ करता था. हालांकि यहां से बहुत सारी मूर्तियां चोरी भी हो चुकी हैं. ईएसआई के पास थोड़ी सी जमीन ही है, जिस पर खुदाई होनी है जबकि इस बड़े भूभाग में कई इलाकों में मूर्तियां बिक्री और मिट्टी में दबी हुई पड़ी हैं. अब सवाल यह है कि क्या एएसआई इतने बड़े स्तर पर खुदाई करेगी.