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पार्षदों के चुनाव खर्च पर सुस्त राज्य सरकार, याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट की शरण में जाने की कही बात - social organization

नगर निगम के महापौर का चुनाव अब पार्षदों द्वारा किए जाने के फैसले पर एक सामाजिक संस्था ने सवाल उठाए हैं. संस्था ने पार्षदों के चुनाव खर्च की राशि निर्धारित करने की मांग की है.

पार्षदों के चुनाव खर्च पर सुस्त राज्य सरकार
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Published : Sep 27, 2019, 1:29 PM IST

Updated : Sep 27, 2019, 3:13 PM IST

जबलपुर। प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. इस बार कमलनाथ सरकार ने निकाय चुनाव में एक बड़ा फेरबदल किया है. जिसके तहत नगर निगम के महापौर का चुनाव अब पार्षदों द्वारा किया जाएगा, लेकिन एक सामाजिक संस्था ने स्थानीय निकाय चुनाव पर पहले से ही सरकार से पार्षदों के चुनाव खर्च की राशि निर्धारित करने की मांग की है.

पार्षदों के चुनाव खर्च पर सुस्त राज्य सरकार

इधर तीन महीने बीत जाने पर भी राज्य निवार्चन आयोग की अनुशंसा के बाद भी राज्य सरकार ने इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है और न ही इसका राजपत्र में प्रकाशन किया है.

पार्षदों के चुनाव की तय हो सीमा

जनहित याचिकाकर्ता रजत भार्गव ने बताया कि नगरीय निकाय चुनाव की खर्च सीमा तय की जानी चाहिए. राज्य निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव को इस मामले में एक ड्राफ्ट भी भेजा है, जिसमें लिखा है कि पार्षदों की खर्च की सीमा तय की जानी चाहिए.

जानिए पार्षदों के खर्च का खांका
नगर निगम पार्षद- 3 लाख 75 से 8 लाख 75 हजार रुपये
नगर पालिका - 1 लाख से 2.50 लाख रुपये

पार्षदों द्वारा महापौर के चुने जाने पर उठाए सवाल

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.पीजी नाज ने बताया कि अगर पार्षद ही महापौर का चुनाव करने लगेंगे, तो इसका मतलब इसमें धांधली होगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. नाज ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक वित्तीय खेल है.

हाईकोर्ट में देंगे चुनौती
डॉ. नाज ने कहा कि अगर महापौर का चुनाव पार्षद करेंगे, तो हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.

जबलपुर। प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. इस बार कमलनाथ सरकार ने निकाय चुनाव में एक बड़ा फेरबदल किया है. जिसके तहत नगर निगम के महापौर का चुनाव अब पार्षदों द्वारा किया जाएगा, लेकिन एक सामाजिक संस्था ने स्थानीय निकाय चुनाव पर पहले से ही सरकार से पार्षदों के चुनाव खर्च की राशि निर्धारित करने की मांग की है.

पार्षदों के चुनाव खर्च पर सुस्त राज्य सरकार

इधर तीन महीने बीत जाने पर भी राज्य निवार्चन आयोग की अनुशंसा के बाद भी राज्य सरकार ने इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है और न ही इसका राजपत्र में प्रकाशन किया है.

पार्षदों के चुनाव की तय हो सीमा

जनहित याचिकाकर्ता रजत भार्गव ने बताया कि नगरीय निकाय चुनाव की खर्च सीमा तय की जानी चाहिए. राज्य निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव को इस मामले में एक ड्राफ्ट भी भेजा है, जिसमें लिखा है कि पार्षदों की खर्च की सीमा तय की जानी चाहिए.

जानिए पार्षदों के खर्च का खांका
नगर निगम पार्षद- 3 लाख 75 से 8 लाख 75 हजार रुपये
नगर पालिका - 1 लाख से 2.50 लाख रुपये

पार्षदों द्वारा महापौर के चुने जाने पर उठाए सवाल

सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.पीजी नाज ने बताया कि अगर पार्षद ही महापौर का चुनाव करने लगेंगे, तो इसका मतलब इसमें धांधली होगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. नाज ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक वित्तीय खेल है.

हाईकोर्ट में देंगे चुनौती
डॉ. नाज ने कहा कि अगर महापौर का चुनाव पार्षद करेंगे, तो हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.

Intro:स्थानीय निकाय के चुनाव में होगा पैसे का खेल इसलिए राज्य सरकार ने नहीं मानी हाई कोर्ट और चुनाव आयोग की सिफारिश अब तक तय नहीं किया पार्षद का चुनाव खर्च जनहित याचिका लगाने वाली संस्था ने दोबारा हाई कोर्ट जाने की धमकी दी


Body:जबलपुर राज्य सरकार ने स्थानीय निकाय के चुनावों में एक बदलाव किया है और अब नगर निगम में महापौर का चुनाव पार्षदों के जरिए होगा जबलपुर की एक सामाजिक संस्था ने स्थानीय निकाय चुनाव पर पहले से ही हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगा रखी है जिसमें पार्षदों के चुनाव खर्च की राशि निर्धारित करने की मांग की गई थी बीते दिनों हुई इसकी सुनवाई में हाईकोर्ट में चुनाव आयोग को आदेश दिया था और पार्षदों के चुनाव खर्च की राशि निर्धारित भी कर दी गई थी इस आशय का एक पत्र हाईकोर्ट में जनहित याचिका के दौरान चुनाव आयोग ने पेश किया था लेकिन राज्य सरकार ने अब तक चुनाव आयोग के इस फैसले पर अमल नहीं किया है और पार्षदों के चुनाव खर्च की सीमा तय नहीं की है बल्कि महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से पार्षदों के जरिए करवाने की बात कही जा रही है जबलपुर की इस सामाजिक संस्था के कार्यकर्ताओं को कहना है कि इस तरीके से स्थानीय निकाय के चुनाव में बड़ी तादाद में पैसे का लेन देन होगा पार्षदों की खरीद-फरोख्त होगी और जिसको महापौर बनना है वह बेहिसाब पैसा खर्च करेगा यहां तक कि दूसरे पार्षदों के चुनाव में भी वह पैसा खर्च करेगा जिससे पूरा चुनाव पैसे पर आधारित हो जाएगा और सामान्य सामाजिक कार्यकर्ता पार्षद जैसा चुनाव भी नहीं लड़ पाएगा

सामाजिक संस्था के कार्यकर्ताओं का कहना है यदि सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार पार्षदों की चुनाव खर्च सीमा तय नहीं की तो वे कैबिनेट के इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती देंगे और इस फैसले को रद्द करवाने की मांग करेंगे


Conclusion:बाइक रजत भार्गव जनहित याचिकाकर्ता जबलपुर
बाइट डॉक्टर पी जी नाज पांडे सामाजिक कार्यकर्ता जबलपुर
Last Updated : Sep 27, 2019, 3:13 PM IST
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