जबलपुर। प्रदेश में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई है. इस बार कमलनाथ सरकार ने निकाय चुनाव में एक बड़ा फेरबदल किया है. जिसके तहत नगर निगम के महापौर का चुनाव अब पार्षदों द्वारा किया जाएगा, लेकिन एक सामाजिक संस्था ने स्थानीय निकाय चुनाव पर पहले से ही सरकार से पार्षदों के चुनाव खर्च की राशि निर्धारित करने की मांग की है.
इधर तीन महीने बीत जाने पर भी राज्य निवार्चन आयोग की अनुशंसा के बाद भी राज्य सरकार ने इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है और न ही इसका राजपत्र में प्रकाशन किया है.
पार्षदों के चुनाव की तय हो सीमा
जनहित याचिकाकर्ता रजत भार्गव ने बताया कि नगरीय निकाय चुनाव की खर्च सीमा तय की जानी चाहिए. राज्य निर्वाचन आयोग ने मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव को इस मामले में एक ड्राफ्ट भी भेजा है, जिसमें लिखा है कि पार्षदों की खर्च की सीमा तय की जानी चाहिए.
जानिए पार्षदों के खर्च का खांका
नगर निगम पार्षद- 3 लाख 75 से 8 लाख 75 हजार रुपये
नगर पालिका - 1 लाख से 2.50 लाख रुपये
पार्षदों द्वारा महापौर के चुने जाने पर उठाए सवाल
सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.पीजी नाज ने बताया कि अगर पार्षद ही महापौर का चुनाव करने लगेंगे, तो इसका मतलब इसमें धांधली होगी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा. नाज ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह एक वित्तीय खेल है.
हाईकोर्ट में देंगे चुनौती
डॉ. नाज ने कहा कि अगर महापौर का चुनाव पार्षद करेंगे, तो हम इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे.