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MP High Court के आदेश के खिलाफ अंतरजातीय विवाह के मामले में SC में दायर होगी SLP - धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10

धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम की धारा 10 (Section 10 Religious Freedom Act) के तहत अंतरजातीय विवाह के लिए कलेक्टर के समक्ष आवेदन पेश करने की अनिर्वायता को हाईकोर्ट ने समाप्त कर दिया है. इसके खिलाफ राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर (SLP in SC case of intercaste marriage) करेगी. पहले नियम था कि प्रशासन यह देखेगा कि अंतरजातीय विवाह या धर्मांतरण किसी दबाव या लालच में तो नहीं किया गया है.

SLP against order of MP High Court
अंतरजातीय विवाह के मामले में SC में दायर होगी SLP
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Published : Nov 19, 2022, 10:18 AM IST

जबलपुर। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया कि धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1998 में भी अंतरजातीय विवाह करने के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन देने का प्रावधान था. संशोधित अधिनियम में पूर्व के अनुसार उसे शामिल किया गया था. अंतरजातीय विवाह व धर्मांतरण प्रलोभन व दवाब में नहीं किया जाए. इसलिए यह नियम बनाया गया था. प्रशासन को इस संबंध में जानकारी होना चाहिए.

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ये है हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश : संशोधित कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गयी थीं. हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में धारा 10 के तहत अंतरजातीय विवाह के लिए कलेक्टर के समक्ष आवेदन पेश करने की अनिर्वायता को समाप्त कर दिया है. इसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करेगी. हाईकोर्ट ने संविधान अनुच्छेद 21 में शादी की स्वतंत्रता का उल्लेख किया है. संविधान में प्राप्त अधिकार सभी नागरिकों के लिए है, परंतु किसी व्यक्ति से दवाब व प्रलोभन देकर कार्य करवाना अवैधानिक है.

जबलपुर। महाधिवक्ता प्रशांत सिंह ने बताया कि धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 1998 में भी अंतरजातीय विवाह करने के लिए जिला कलेक्टर के समक्ष आवेदन देने का प्रावधान था. संशोधित अधिनियम में पूर्व के अनुसार उसे शामिल किया गया था. अंतरजातीय विवाह व धर्मांतरण प्रलोभन व दवाब में नहीं किया जाए. इसलिए यह नियम बनाया गया था. प्रशासन को इस संबंध में जानकारी होना चाहिए.

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ये है हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश : संशोधित कानून के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गयी थीं. हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में धारा 10 के तहत अंतरजातीय विवाह के लिए कलेक्टर के समक्ष आवेदन पेश करने की अनिर्वायता को समाप्त कर दिया है. इसके खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करेगी. हाईकोर्ट ने संविधान अनुच्छेद 21 में शादी की स्वतंत्रता का उल्लेख किया है. संविधान में प्राप्त अधिकार सभी नागरिकों के लिए है, परंतु किसी व्यक्ति से दवाब व प्रलोभन देकर कार्य करवाना अवैधानिक है.

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