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मंडला MP टूरिज्म होटल मामले में यथास्थिति के निर्देश

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Published : Mar 12, 2021, 10:51 PM IST

मंडला में स्थित एमपी टूरिज्म होटल को 90 साल की लीज पर दिये जाने को चुनौती देने वाले मामले को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया. मंडला MP टूरिज्म होटल मामले में यथास्थिति के निर्देश दिए हैं.

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जबलपुर। मंडला में स्थित एमपी टूरिज्म होटल को 90 साल की लीज पर दिये जाने को चुनौती देने वाले मामले को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस व्हीपीएस चौहान की एकलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद मामले में यथास्थिति के निर्देश देते हुए अनावेदक टूरिज्म विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

यह जनहित का मामला मंडला निवासी समाजसेवी शैलेष दुबे की ओर से दायर किया गया है. जिसमें एमपी टूरिज्म बोर्ड की होटलों को लीज पर दिये जाने वाली पॉलिसी को कटघरे में रखा गया है. आवेदक का कहना है कि मंडला की एमपीटी प्राफिट में होने के बाद भी उसे 90 साल की लीज पर निजी लोगों को दे दिया गया जो कि अनुचित है. आवेदक का कहना है कि पूरी पॉलिसी में कोई पैमाना निर्धारित नहीं किया गया है. जबकि होना ये चाहिये कि जो होटल घाटे में हो उन्हीं को बेचा जाये, लेकिन एमपीटी के मामले में ऐसा नहीं किया गया. जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है. मामले की प्रारंभिक सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने मामले में यथास्थिति के निर्देश देते हुए अनावेदक टूरिज्म विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रेयश पंडित ने पक्ष रखा.

जबलपुर। मंडला में स्थित एमपी टूरिज्म होटल को 90 साल की लीज पर दिये जाने को चुनौती देने वाले मामले को हाईकोर्ट ने काफी गंभीरता से लिया. चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक व जस्टिस व्हीपीएस चौहान की एकलपीठ ने मामले की प्रारंभिक सुनवाई के बाद मामले में यथास्थिति के निर्देश देते हुए अनावेदक टूरिज्म विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.

यह जनहित का मामला मंडला निवासी समाजसेवी शैलेष दुबे की ओर से दायर किया गया है. जिसमें एमपी टूरिज्म बोर्ड की होटलों को लीज पर दिये जाने वाली पॉलिसी को कटघरे में रखा गया है. आवेदक का कहना है कि मंडला की एमपीटी प्राफिट में होने के बाद भी उसे 90 साल की लीज पर निजी लोगों को दे दिया गया जो कि अनुचित है. आवेदक का कहना है कि पूरी पॉलिसी में कोई पैमाना निर्धारित नहीं किया गया है. जबकि होना ये चाहिये कि जो होटल घाटे में हो उन्हीं को बेचा जाये, लेकिन एमपीटी के मामले में ऐसा नहीं किया गया. जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई है. मामले की प्रारंभिक सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने मामले में यथास्थिति के निर्देश देते हुए अनावेदक टूरिज्म विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रेयश पंडित ने पक्ष रखा.

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