जबलपुर। सीधी पेशाब कांड में हाईकोर्ट की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता के जवाब पर सरकार को पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 1 सितम्बर को निर्धारित की है. याचिकाकर्ता कंचन शुक्ला की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि उनका पति प्रवेश शुक्ला एक पार्टी का नेता है. पति द्वारा एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का वीडियो वायरल होने के बाद इसे राजनीतिक मुद्दा बना लिया गया. प्रशासन द्वारा भी उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की गई है.
एनएसए कार्रवाई का विरोध : याचिका में एनएसए कार्रवाई की वैधता को चुनौती दी गयी है. याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. मामले को राजनीतिक मुददे का रूप दिया गया. जिसके कारण प्रशासन ने एनएसए की कार्रवाई की है. एनएसए की कार्रवाई अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने सरकारी अधिवक्ता से कार्रवाई को लेकर डिटेल मांगी. सरकार की तरफ से पेश किये गये जवाब में कहा गया कि पब्लिक आर्डर के तहत आरोपी के खिलाफ कार्रवाई की गयी है.
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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला : इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश का हवाला भी दिया गया. युगलपीठ को बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा भी एनएसआई की कार्रवाई पर सहमति प्रदान कर दी गयी है. याचिकाकर्ता की तरफ से पेश जवाब में कहा गया कि वायरल वीडियों साल 2020 का है. तीन साल बाद वीडियो के आधार पर एनएसए की कार्रवाई अवैधानिक है. किसी प्रकार के दंगे या विवाद की कोई स्थिति निर्मित नहीं हुई थी. सीएम द्वारा सोशल मीडिया पर की गयी पोस्ट का हवाला देते हुए कहा गया कि यह पब्लिक आर्डर के तहत नहीं, सीएम आर्डर के तहत कार्रवाई की गयी है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अनिरुद्ध मिश्रा ने पैरवी की.