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मेडिकल का पीजी कोर्स करने वाले स्टूडेंट को हाई कोर्ट से मिली राहत, एनओसी देने के निर्देश

जबलपुर हाई कोर्ट ने मेडिकल का पीजी कोर्स करने वाले स्टूडेंट को राहत प्रदान की है. कोर्ट ने कहा कि तय अविध में नियुक्ति नहीं करने से बांड की शर्त खुद ही समाप्त हो जाती है.(Relief from High Court to medical student) (Instructions for giving NOC to student)

Relief from High Court to medical student
मेडिकल छात्र को हाईकोर्ट से राहत
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Published : Apr 22, 2022, 11:45 AM IST

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डीडी बंसल की युगलपीठ ने अपने अहम फैसले में कहा है कि मेडिकल का पीजी कोर्स पूरा करने के बाद निर्धारित समय अवधि में नियुक्ति नहीं दी गई. इसलिए एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने के बांड की शर्त स्वतः समाप्त हो जाती है. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता छात्र को दस्तावेज तथा एनओसी प्रदान करने के निर्देश जारी किए हैं.

तीन माह में क्यों नहीं दी नियुक्ति : याचिकाकर्ता राहुत मित्तल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि पीजी मेडिकल कोर्स मार्च 2017 में उत्तीर्ण किया था. मध्यप्रदेश चिकित्सा और स्नातकोत्तर पाठयकम प्रवेश नियम की धारा 11 के तहत पीजी कोर्स करने के बाद मेडिकल ऑफिसर के तौर पर एक साल ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करना आवश्यक है. इसके लिए पीजी कोर्स करने वाले छात्रों से बांड भरवाया जाता है. कोर्स पूरा करने के बाद तीन माह की निर्धारित समय सीमा में नियुक्ति प्रदान करने का प्रावधान है.

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सरकार ने रखा अपना पक्ष : याचिका में राहत चाही गई थी कि निर्धारित समय अवधि में नियुक्ति प्रदान करने के बाद बांड की शर्तों उसके लिए बंधनकारी नहीं है. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि बांड भरवाए जाने के खिलाफ याचिकाकर्ता छात्र ने एक अन्य याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी. इसके कारण याचिकाकर्ता छात्र को नियुक्ति प्रदान नहीं की गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से युगल पीठ को बताया गया कि उक्त याचिका का मुद्दा अलग था. युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता छात्र को राहत प्रदान करते हुए उक्त आदेश जारी किए. याकिचाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की. ( Relief from High Court to PG medical student) (Instructions for giving NOC to student)

जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस डीडी बंसल की युगलपीठ ने अपने अहम फैसले में कहा है कि मेडिकल का पीजी कोर्स पूरा करने के बाद निर्धारित समय अवधि में नियुक्ति नहीं दी गई. इसलिए एक साल तक ग्रामीण क्षेत्र में सेवा देने के बांड की शर्त स्वतः समाप्त हो जाती है. युगलपीठ ने याचिकाकर्ता छात्र को दस्तावेज तथा एनओसी प्रदान करने के निर्देश जारी किए हैं.

तीन माह में क्यों नहीं दी नियुक्ति : याचिकाकर्ता राहुत मित्तल की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि पीजी मेडिकल कोर्स मार्च 2017 में उत्तीर्ण किया था. मध्यप्रदेश चिकित्सा और स्नातकोत्तर पाठयकम प्रवेश नियम की धारा 11 के तहत पीजी कोर्स करने के बाद मेडिकल ऑफिसर के तौर पर एक साल ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करना आवश्यक है. इसके लिए पीजी कोर्स करने वाले छात्रों से बांड भरवाया जाता है. कोर्स पूरा करने के बाद तीन माह की निर्धारित समय सीमा में नियुक्ति प्रदान करने का प्रावधान है.

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सरकार ने रखा अपना पक्ष : याचिका में राहत चाही गई थी कि निर्धारित समय अवधि में नियुक्ति प्रदान करने के बाद बांड की शर्तों उसके लिए बंधनकारी नहीं है. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि बांड भरवाए जाने के खिलाफ याचिकाकर्ता छात्र ने एक अन्य याचिका हाईकोर्ट में दायर की थी. इसके कारण याचिकाकर्ता छात्र को नियुक्ति प्रदान नहीं की गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से युगल पीठ को बताया गया कि उक्त याचिका का मुद्दा अलग था. युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता छात्र को राहत प्रदान करते हुए उक्त आदेश जारी किए. याकिचाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की. ( Relief from High Court to PG medical student) (Instructions for giving NOC to student)

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