जबलपुर। बंटवारा होने के बाद रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी का कद कम हो गया है, आलम ये है कि सरकार की घोषणा के बाद से सतपुड़ा की वादियों में नया विश्वविद्यालय अस्तित्व में आ गया है और जबलपुर का हक छिंदवाड़ा ने छीन लिया है, यही वजह है कि छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय की अधिसूचना जारी होने के बाद से रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय को छात्रों के साथ-साथ रेवेन्यु का भी नुकसान उठाना पड़ा.
रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी से बीए-बी कॉम से लेकर एमए-एम कॉम तक सभी विषयों के फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाले लगभग एक लाख छात्र छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय में चले गए हैं, साथ ही इन छात्रों से हर साल विश्वविद्यालय को मिलने वाले तकरीबन 16 करोड़ रुपये की राशि भी कम हो गयी है.
महाकौशल के 3 जिले सिवनी, छिंदवाड़ा और बालाघाट के कॉलेजों का एफलिएशन जबलपुर की रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी से था, जिसकी वजह से इन तीनों जिलों के छात्र-छात्राओं को रिजल्ट से लेकर डिग्रियों तक के लिए करीब 200 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता था, जिससे छात्रों की पढ़ाई का नुकसान होता था, बल्कि उन्हें कई तरह की परेशानियां भी उठानी पड़ रही थी.
इन समस्याओं को देखते हुए छात्रों की मांग पर कमलनाथ सरकार ने छिंदवाड़ा में नया विश्वविद्यालय खोला और इन तीनों जिलों के कॉलेजों को आरडीवीवी से अलग कर छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय में जोड़ दिया, जिसके बाद प्रदेश शासन ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले 3 जिलों के कॉलेजों को छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय में मर्ज कर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया था. नोटिफिकेशन जारी होने के बाद सिवनी और बालाघाट जिले के कॉलेज भी नए विश्वविद्यालय में शामिल कर दिए गए हैं.