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आज भी मजबूती के साथ खड़ा है 150 साल पुराना ब्रिज, पश्चिम मध्य रेलवे ने घोषित किया धरोहर - अंग्रेजों से शासन में बना रेलवे ब्रिज

अंग्रेजों के शासन काल में करीब 150 साल पहले तवा नदी (Tawa River) पर बना रेलवे ब्रिज (Railway Bridge Built During British Rule) आज भी उसी मजबूती के साथ खड़ा है, जोकि पहली बार जबलपुर शहर को बंबई-कलकत्ता (Train Connecting Jabalpur to Mumbai) जैसे बड़े शहरों से रेलवे (Train Transport) के जरिए जोड़ा था.

Railway bridge over Tawa river built during British rule
तवा नदी पर बना रेलवे पुल
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Published : Sep 11, 2021, 2:05 PM IST

जबलपुर। देश की आजादी से पहले जब अंग्रेजों ने रेल यातायात (Train Transport) की शुरुआत की थी, तब ट्रैक पर पड़ने वाले पुलों की गुणवत्ता और ताकत को भी खूब परखा गया था, यही वजह है कि सैकड़ों साल पहले अंग्रेजों के शासन काल में बनाए गए पुल (Railway Bridge Built During British Rule) अब भी पहले जैसी ही मजबूती से खड़े हैं, जबलपुर-इटारसी के बीच तवा नदी पर बना रेलवे पुल 150 साल का हो चुका है. ईस्ट इंडियन रेलवे (East Indian Railway) और ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (Great Indian Peninsula Railway) के जिम्मे ट्रेन चलाने और रेल लाइन बिछाने के साथ ही ब्रिज आदि बनाने की जिम्मेदारी थी. इन दोनों कंपनियों ने मिलकर सन 1870 में बंबई (Train Connecting Jabalpur to Mumbai) और कलकत्ता को पहली बार रेल के जरिए जबलपुर को जोड़ा था.

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इटारसी रेलखण्ड पर नर्मदा नदी की सबसे बड़ी सहायक तवा नदी पड़ती है, इस रेल लाइन पर सबसे पुराना (Railway Bridge On Tawa River) 'तवा ब्रिज एवं बागरातवा सुरंग' ईस्ट इंडियन रेलवे (East Indian Railway) और ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (Great Indian Peninsula Railway) के सिविल इंजीनियर रॉबर्ट मेटलैंड ब्रेरेटन (Civil Engineer Robert Maitland Brereton) ने 19 महीने के अथक प्रयास के बाद 08 मार्च 1870 को पूरा कराया था, इस ऐतिहासिक पुराने पुल के अब 150 वर्ष पूरे हो चुके हैं.

Railway bridge over Tawa river built during British rule
तवा नदी पर बना रेलवे पुल

अंग्रेजों के समय में बना यह रेलवे पुल नर्मदा घाटी की मिट्टी एवं तवा नदी (Tawa River) के रेतीले तल को पार करता है, खास बात यह है कि सुरंग के बाईं ओर लगभग 300 मीटर का वक्र है, तवा ब्रिज और बागरातवा सुरंग आज भी सोनतलाई और बागरातवा स्टेशनों के बीच ट्रैक के आठ किलोमीटर के हिस्से पर है, यह पश्चिम मध्य रेलवे के महत्वपूर्ण ब्रिजों में से एक है, जिसे धरोहर के रूप में संजो कर रखा गया है. हालांकि, सन 1927 में इस पुल को रीगर्डर भी किया गया था.

यह पुल तवा नदी (Tawa River) पर तवा बांध (Tawa Dam) से 07 किमी की दूरी पर स्थित है, इस पुल पर 132 फीट के 02 स्पैन और 202 फीट के 04 स्पैन के नीचे वेब गर्डर हैं. इसके साथ ही 05 नग पियर और 02 नग एबटमेंट लगे हैं, जोकि तत्कालीन समय की एशलर महीन चिनाई से बनी है, पुल की ऊंचाई 22 मीटर है, इस ट्रैक के दोहरीकरण का कार्य भारतीय रेलवे ने फरवरी 2020 में पूरा किया था, वर्तमान में पश्चिम मध्य रेलवे द्वारा तवा नदी पर एक अतिरिक्त नया तवा ब्रिज का निर्माण किया गया है, आज तवा नदी पर अप और डाउन रेल लाइन बनाकर रेलखण्ड की क्षमता में वृद्धि की गई है.

जबलपुर। देश की आजादी से पहले जब अंग्रेजों ने रेल यातायात (Train Transport) की शुरुआत की थी, तब ट्रैक पर पड़ने वाले पुलों की गुणवत्ता और ताकत को भी खूब परखा गया था, यही वजह है कि सैकड़ों साल पहले अंग्रेजों के शासन काल में बनाए गए पुल (Railway Bridge Built During British Rule) अब भी पहले जैसी ही मजबूती से खड़े हैं, जबलपुर-इटारसी के बीच तवा नदी पर बना रेलवे पुल 150 साल का हो चुका है. ईस्ट इंडियन रेलवे (East Indian Railway) और ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (Great Indian Peninsula Railway) के जिम्मे ट्रेन चलाने और रेल लाइन बिछाने के साथ ही ब्रिज आदि बनाने की जिम्मेदारी थी. इन दोनों कंपनियों ने मिलकर सन 1870 में बंबई (Train Connecting Jabalpur to Mumbai) और कलकत्ता को पहली बार रेल के जरिए जबलपुर को जोड़ा था.

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इटारसी रेलखण्ड पर नर्मदा नदी की सबसे बड़ी सहायक तवा नदी पड़ती है, इस रेल लाइन पर सबसे पुराना (Railway Bridge On Tawa River) 'तवा ब्रिज एवं बागरातवा सुरंग' ईस्ट इंडियन रेलवे (East Indian Railway) और ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (Great Indian Peninsula Railway) के सिविल इंजीनियर रॉबर्ट मेटलैंड ब्रेरेटन (Civil Engineer Robert Maitland Brereton) ने 19 महीने के अथक प्रयास के बाद 08 मार्च 1870 को पूरा कराया था, इस ऐतिहासिक पुराने पुल के अब 150 वर्ष पूरे हो चुके हैं.

Railway bridge over Tawa river built during British rule
तवा नदी पर बना रेलवे पुल

अंग्रेजों के समय में बना यह रेलवे पुल नर्मदा घाटी की मिट्टी एवं तवा नदी (Tawa River) के रेतीले तल को पार करता है, खास बात यह है कि सुरंग के बाईं ओर लगभग 300 मीटर का वक्र है, तवा ब्रिज और बागरातवा सुरंग आज भी सोनतलाई और बागरातवा स्टेशनों के बीच ट्रैक के आठ किलोमीटर के हिस्से पर है, यह पश्चिम मध्य रेलवे के महत्वपूर्ण ब्रिजों में से एक है, जिसे धरोहर के रूप में संजो कर रखा गया है. हालांकि, सन 1927 में इस पुल को रीगर्डर भी किया गया था.

यह पुल तवा नदी (Tawa River) पर तवा बांध (Tawa Dam) से 07 किमी की दूरी पर स्थित है, इस पुल पर 132 फीट के 02 स्पैन और 202 फीट के 04 स्पैन के नीचे वेब गर्डर हैं. इसके साथ ही 05 नग पियर और 02 नग एबटमेंट लगे हैं, जोकि तत्कालीन समय की एशलर महीन चिनाई से बनी है, पुल की ऊंचाई 22 मीटर है, इस ट्रैक के दोहरीकरण का कार्य भारतीय रेलवे ने फरवरी 2020 में पूरा किया था, वर्तमान में पश्चिम मध्य रेलवे द्वारा तवा नदी पर एक अतिरिक्त नया तवा ब्रिज का निर्माण किया गया है, आज तवा नदी पर अप और डाउन रेल लाइन बनाकर रेलखण्ड की क्षमता में वृद्धि की गई है.

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