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27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर रोक बरकरार, 17 फरवरी को अंतिम सुनवाई

कमलनाथ सरकार ने ओबीसी वर्ग (OBC) का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था. सरकार के उस फैसले को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी.हाईकोर्ट में आज इस मामले में फिर से सुनवाई हुई है.

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Published : Jan 8, 2021, 8:23 PM IST

Updated : Jan 8, 2021, 9:32 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश में OBC वर्ग को फिलहाल 14 फीसदी आरक्षण ही मिल सकेगा. जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण पर लगी रोक को बरकरार रखा है. इस मामले पर अंतिम सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

17 फरवरी को फाइनल हियरिंग

ओबीसी आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर आज एक साथ सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है. कोर्ट ने इस मामले पर अंतिम बहस की सुनवाई तय कर दी है.आज करीब 1 घण्टे तक सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तय किया है कि 4 हफ्ते बाद अब मामले पर फायनल हियरिंग यानि अंतिम बहस सुनी जाएगी.

कमलनाथ सरकार ने बढ़ाई थी सीमा

कमलनाथ सरकार ने साल 2019 ओबीसी वर्ग का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था. इसके खिलाफ जबलपुर निवासी असिता दुबे और अन्य की ओर से याचिकाएं दायर की गईं थीं. सरकार के फैसले को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

क्या कहा याचिकाओं में ?

याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 करके आरक्षण प्रावधानों का उल्लंघन किया है. याचिकाओं में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में दिए गए फैसले में साफ किया था कि ओबीसी, एसटी और एससी वर्ग सबको मिलाकर कुल 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता. लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसदी करने से आरक्षण का दायरा 63 प्रतिशत पहुंच गया है. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश देते हुए बढ़ा हुए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने पर रोक लगा दी थी. इसे हाईकोर्ट ने जारी रखा है.

किसने किसका पक्ष रखा ?

याचिका की सुनवाई के दौरान ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के खिलाफ दायर इंटरविनयर आवेदनों को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किए गए हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी,वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ,अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने पक्ष रखा. जबकि सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने रखा.

जबलपुर। मध्यप्रदेश में OBC वर्ग को फिलहाल 14 फीसदी आरक्षण ही मिल सकेगा. जबलपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण पर लगी रोक को बरकरार रखा है. इस मामले पर अंतिम सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

17 फरवरी को फाइनल हियरिंग

ओबीसी आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर आज एक साथ सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश को बरकरार रखा है. कोर्ट ने इस मामले पर अंतिम बहस की सुनवाई तय कर दी है.आज करीब 1 घण्टे तक सभी पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने तय किया है कि 4 हफ्ते बाद अब मामले पर फायनल हियरिंग यानि अंतिम बहस सुनी जाएगी.

कमलनाथ सरकार ने बढ़ाई थी सीमा

कमलनाथ सरकार ने साल 2019 ओबीसी वर्ग का आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था. इसके खिलाफ जबलपुर निवासी असिता दुबे और अन्य की ओर से याचिकाएं दायर की गईं थीं. सरकार के फैसले को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.

क्या कहा याचिकाओं में ?

याचिकाओं में कहा गया है कि राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 करके आरक्षण प्रावधानों का उल्लंघन किया है. याचिकाओं में ये भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी मामले में दिए गए फैसले में साफ किया था कि ओबीसी, एसटी और एससी वर्ग सबको मिलाकर कुल 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता. लेकिन प्रदेश सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण बढ़ाकर 27 फीसदी करने से आरक्षण का दायरा 63 प्रतिशत पहुंच गया है. याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने एक अंतरिम आदेश देते हुए बढ़ा हुए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण देने पर रोक लगा दी थी. इसे हाईकोर्ट ने जारी रखा है.

किसने किसका पक्ष रखा ?

याचिका की सुनवाई के दौरान ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किये जाने के खिलाफ दायर इंटरविनयर आवेदनों को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश जारी किए गए हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी,वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ,अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने पक्ष रखा. जबकि सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पुरुषेंद्र कौरव ने रखा.

Last Updated : Jan 8, 2021, 9:32 PM IST
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