जबलपुर। सादगी भरा चेहरा, बदन पर काला कोट, ये वो शख्स है जिसने मध्यप्रेदश की सियासत में खास पहचान हासिल की है. कांग्रेस के दिग्गज नेता और सियासी मेनेजमेंट के महारथी के तौर पर इस शख्स की पहचान होती है. हम बात कर रहे हैं विवेक तन्खा की. पेशे से सुप्रीम कोर्ट के वकील और मध्यप्रदेश सरकार में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे चुके विवेक तन्खा एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं.
2014 के आम चुनाव में महाकौशल अंचल की हाईप्रोफाइल जबलपुर लोकसभा सीट से हार झेलने वाले विवेक तन्खा पर कांग्रेस ने भरोसा जताकर उन्हें चुनावी अखाड़े में उतारा है.
विवेक तन्खा के सियासी सफर की बात करें तो विवेक तन्खा का सियासी सफर 16 फरवरी 1999 में शुरू हुआ, जब वह मध्यप्रदेश के एडवोकेट जनरल बने. विवेक तन्खा को राजनीतिक विरासत उनके ससुर जबलपुर के पूर्व सांसद और सूबे के वित्त मंत्री रहे अजय नारायण मुशरान की वजह से मिली थी.
विवेक तन्खा 2014 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में थे. हालांकि उन्हें सियासत की पहली पारी में ही हार झेलने पड़ी, बीजेपी के दिग्गज नेता राकेश सिंह ने उन्हें करीब सवा 2 लाख वोटों से हरा दिया.
विवेक तन्खा जाने माने वकील हैं
16 फरवरी 1999 में मध्यप्रदेश सरकार के एडवोकेट जनरल बने
2014 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार मिली
2016 में कांग्रेस की तरफ से राज्यसभा के चुने गये
2019 के लोकसभा में एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं
विवके तन्खा अब अपने सिसासी करियर की दूसरी पारी खेलने के लिये चुनावी रण में हैं. इस बार तन्खा के सामने, उन्हीं राकेश सिंह को हराने की चुनौती हैं, जिन्होंने उनकी पहली सिसायी पारी पर ब्रेक लगा दिया था. जबलपुर सीट पर 1999 से बीजेपी जीत का परचम लहराती आ रही है, ऐसे में देखना चिलचस्प होगी कि तन्खा, राकेश सिंह को हारकर बीजेपी के विजयी रथ को रोकने में पास होते हैं या फेल.