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HC का बड़ा फैसला, कोरोना काल तक सिर्फ ट्यूशन फीस ही लेंगे निजी स्कूल

गुरूवार को हाईकोर्ट ने स्कूल फीस मामले में फैसला सुनाया है. HC ने फैसला लेते हुए कहा है कि इस कोरोना काल के दौरान निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस वसूल सकते हैं.

jabalpur high court
हाई कोर्ट
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Published : Nov 5, 2020, 3:04 PM IST

जबलपुर। हाई कोर्ट ने स्कूल फीस के मामले में फैसला सुना दिया है. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि इस कोरोना महामारी काल के दौरान निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस वसूल सकते हैं. छात्र-छात्रों के अभिभावकों से निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा और किसी भी तरह की कोई फीस नहीं वसूल सकते हैं. इसके साथ ही सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि इस दौरान वे शिक्षा की गुणवत्ता की कोई समझौता नहीं कर सकते हैं. लेकिन अगर स्कूल चाहे तो शिक्षकों की 20 फीसदी तक सैलरी कम कर सकते हैं.

स्कूल फीस मामले में हाई कोर्ट का फैसला

इंदौर बेंच और जबलपुर HC में लगी थी जनहित याचिकाएं

कोरोना संकट काल जैसे ही गहराने लगा तो स्कूल बंद हो गए लेकिन स्कूल संचालकों ने पैसे खींचना बंद नहीं किया. ऐसे में पहले सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया लेकिन जब विरोध से भी बात नहीं बनी तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. एक याचिका इंदौर बेंच में लगी और दूसरी भोपाल निवासी एक शख्स ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई लेकिन, इंदौर हाई कोर्ट ने स्कूलों के पक्ष में फैसला सुना दिया और जबलपुर हाईकोर्ट ने अभिभावकों के पक्ष में. जब दोनों फैसले सामने आए तो मामला हाईकोर्ट में दोबारा लगाया गया.

पढ़ें पूरी खबर- स्कूल फीस मामले में दो कोर्ट की अलग-अलग राय, अब समाजसेवी संस्था ने दायर की याचिका

हाई कोर्ट ने इंदौर खंडपीठ और जबलपुर हाईकोर्ट के दोनों फैसलों पर विचार करते हुए स्कूलों, अभिभावकों और सरकार से जवाब मांगा. सब की बहस सुनने के बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला रिजर्व कर लिया. गुरुवार को HC ने 13 पेज का फैसला जारी किया है, इसमें हाई कोर्ट ने स्पष्ट कह दिया है कि स्कूल अभिभावकों से सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूल सकते हैं. इसके अलावा दूसरी कोई फीस वसूलने का अधिकार स्कूलों को नहीं है.

एरियर्स नहीं वसूल सकेंगे स्कूल

HC से स्कूलों की ओर से कहा गया था कि जब कोरोना संकट काल खत्म हो जाएगा और दोबारा स्कूल खुलेंगे तो उन्हें बाकी फीस वसूलने का अधिकार दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने इस पर स्पष्ट मनाही कर दी है. कोर्ट का कहना है कि सरकार की एक समिति बनाई जाएगी, जो कोरोना संकट काल खत्म होने के बाद दोबारा नियमित स्कूल लगने पर स्कूल फीस का निर्धारण करेगी.

शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं होगा

HC के इस आदेश के बाद स्कूलों की कमाई पर थोड़ी सी लगाम जरूर लगेगी, इसलिए ऐसी संभावना है कि स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करें. ऐसे में हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. स्कूलों के पक्ष में एक बात कही गई है कि निजी स्कूल अपने स्टाफ की 20 फीसदी तक सैलरी कम कर सकते हैं.

अभिभावकों को राहत

हाईकोर्ट के ये आदेश के आने के बाद अभिभावक कुछ राहत महसूस कर रहे हैं. क्योंकि अभी तक स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा भी दूसरी फीस वसूल रहा था, जिस पर अब लगाम लगेगी.

प्रेदश भर में जताए जा रहे थे विरोध

कोरोना संक्रमण काल के बीच निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ प्रदेश भर में मोर्चे खोले गए थे. कहीं सामाजिक संगठन तो कहीं अभिभावक सब सड़कों पर उतरकर स्कूलों की मनमानी का विरोध कर रहे थे.

ये भी पढ़ें- अभिभावक कल्याण संघ ने निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ जताया विरोध, 'नो स्कूल नो फीस' नारे के साथ किया प्रदर्शन

ऑनलाइन क्लास बंद करने दर्ज की गई थी याचिका

स्कूल फीस के मुद्दे पर जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी. जनहित याचिकाकर्ता में कहा गया था कि ऑनलाइन क्लासेस बंद करो, जब ऑनलाइन क्लासेज बंद होंगी तो स्कूल को फीस मांगने का अधिकार भी खत्म हो जाएगा. इस दौरान कई निजी स्कूल और CBSE के वकील भी इस मुद्दे पर कोर्ट में मौजूद थे.

ये भी पढ़ें- ऑनलाइन क्लासेज पर हाईकोर्ट में याचिका दायर, कोर्ट ने राज्य सरकार से मांगा जवाब

जबलपुर। हाई कोर्ट ने स्कूल फीस के मामले में फैसला सुना दिया है. एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस राजीव कुमार दुबे की डिवीजन बेंच ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि इस कोरोना महामारी काल के दौरान निजी स्कूल सिर्फ ट्यूशन फीस वसूल सकते हैं. छात्र-छात्रों के अभिभावकों से निजी स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा और किसी भी तरह की कोई फीस नहीं वसूल सकते हैं. इसके साथ ही सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि इस दौरान वे शिक्षा की गुणवत्ता की कोई समझौता नहीं कर सकते हैं. लेकिन अगर स्कूल चाहे तो शिक्षकों की 20 फीसदी तक सैलरी कम कर सकते हैं.

स्कूल फीस मामले में हाई कोर्ट का फैसला

इंदौर बेंच और जबलपुर HC में लगी थी जनहित याचिकाएं

कोरोना संकट काल जैसे ही गहराने लगा तो स्कूल बंद हो गए लेकिन स्कूल संचालकों ने पैसे खींचना बंद नहीं किया. ऐसे में पहले सामाजिक संगठनों ने इसका विरोध किया लेकिन जब विरोध से भी बात नहीं बनी तो मामला हाईकोर्ट पहुंच गया. एक याचिका इंदौर बेंच में लगी और दूसरी भोपाल निवासी एक शख्स ने जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई लेकिन, इंदौर हाई कोर्ट ने स्कूलों के पक्ष में फैसला सुना दिया और जबलपुर हाईकोर्ट ने अभिभावकों के पक्ष में. जब दोनों फैसले सामने आए तो मामला हाईकोर्ट में दोबारा लगाया गया.

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हाई कोर्ट ने इंदौर खंडपीठ और जबलपुर हाईकोर्ट के दोनों फैसलों पर विचार करते हुए स्कूलों, अभिभावकों और सरकार से जवाब मांगा. सब की बहस सुनने के बाद हाई कोर्ट ने इस मामले में फैसला रिजर्व कर लिया. गुरुवार को HC ने 13 पेज का फैसला जारी किया है, इसमें हाई कोर्ट ने स्पष्ट कह दिया है कि स्कूल अभिभावकों से सिर्फ ट्यूशन फीस ही वसूल सकते हैं. इसके अलावा दूसरी कोई फीस वसूलने का अधिकार स्कूलों को नहीं है.

एरियर्स नहीं वसूल सकेंगे स्कूल

HC से स्कूलों की ओर से कहा गया था कि जब कोरोना संकट काल खत्म हो जाएगा और दोबारा स्कूल खुलेंगे तो उन्हें बाकी फीस वसूलने का अधिकार दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने इस पर स्पष्ट मनाही कर दी है. कोर्ट का कहना है कि सरकार की एक समिति बनाई जाएगी, जो कोरोना संकट काल खत्म होने के बाद दोबारा नियमित स्कूल लगने पर स्कूल फीस का निर्धारण करेगी.

शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता नहीं होगा

HC के इस आदेश के बाद स्कूलों की कमाई पर थोड़ी सी लगाम जरूर लगेगी, इसलिए ऐसी संभावना है कि स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करें. ऐसे में हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता करने वाले स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. स्कूलों के पक्ष में एक बात कही गई है कि निजी स्कूल अपने स्टाफ की 20 फीसदी तक सैलरी कम कर सकते हैं.

अभिभावकों को राहत

हाईकोर्ट के ये आदेश के आने के बाद अभिभावक कुछ राहत महसूस कर रहे हैं. क्योंकि अभी तक स्कूल ट्यूशन फीस के अलावा भी दूसरी फीस वसूल रहा था, जिस पर अब लगाम लगेगी.

प्रेदश भर में जताए जा रहे थे विरोध

कोरोना संक्रमण काल के बीच निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ प्रदेश भर में मोर्चे खोले गए थे. कहीं सामाजिक संगठन तो कहीं अभिभावक सब सड़कों पर उतरकर स्कूलों की मनमानी का विरोध कर रहे थे.

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ऑनलाइन क्लास बंद करने दर्ज की गई थी याचिका

स्कूल फीस के मुद्दे पर जनहित याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी. जनहित याचिकाकर्ता में कहा गया था कि ऑनलाइन क्लासेस बंद करो, जब ऑनलाइन क्लासेज बंद होंगी तो स्कूल को फीस मांगने का अधिकार भी खत्म हो जाएगा. इस दौरान कई निजी स्कूल और CBSE के वकील भी इस मुद्दे पर कोर्ट में मौजूद थे.

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