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Jabalpur High Court: मां की हत्या के आरोपी को हाईकोर्ट से राहत, आजीवन कारावास की सजा निरस्त

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Published : Jun 21, 2023, 10:54 PM IST

मां की हत्या के मामले में बेटे को आजीवन कारावास की सजा से दंडित किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी. इसमें हाईकोर्ट ने माना कि जिला न्यायालय ने भौतिक पहलुओं की जांच किए बिना अभियोजन की यांत्रिकी रूप से पेश की गई कहानी पर भरोसा किया. हाईकोर्ट ने शेष कारावास निरस्त कर दिया है.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाईकोर्ट

जबलपुर। मां की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास से दण्डित पुत्र को हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस ए के पालीवाल की युगलपीठ ने पाया कि जिला न्यायालय ने भौतिक पहलुओं की जांच किये बिना अभियोजन की यांत्रिकी रूप से पेश की गयी कहानी पर भरोसा किया है. युगलपीठ ने आरोपी की शेष सजा निरस्त करने के आदेश जारी किये है.

जानए क्या है पूरा मामला: याचिकाकर्ता सुदामा सिंह राठौर ने अनूपपुर जिला न्यायालय द्वारा मां की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किये जाने के खिलाफ अपील दायर की थी. याचिकाकर्ता की तरफ से दायर अपील में कहा गया था कि उसकी मां मुन्नी बाई निवासी ग्राम भीलमट थाना जैतहारी की हत्या सितम्बर 2019 में हो गयी थी. वह मोजर मेयर कंपनी का विरोध कर रहा था, इसलिए पुलिस उससे दुर्भावना रखती थी. इसी कारण से उसे झूठा फंसाया गया है. वह 14 सितम्बर 2019 से लेकर 12 अप्रैल 2021 तक न्यायिक अभिरक्षा में था. जिला न्यायालय अनूपपुर ने उसे 29 नवम्बर 2022 को साज से दण्डित किया था, तब से वह जेल में है.

एमपी हाईकोर्ट से जुड़ी खबरें:

  1. MP High Court: धार जिले में बाओबाब वृक्ष काटने व परिवाहन पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई
  2. सरकार ने 38 साल पहले दिया पट्टा,अब अतिक्रमणकारी बताकर उजाड रहे आशियाना,स्टे मिला

कैदी को हाईकोर्ट से राहत: अपीलकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार मृतिक के हाथ में मिले बाल उसके थे जबकि मृतिका व घटनास्थल की फोटो ली गयी थी. उन्हें न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया गया. इतना ही नहीं जिस पुलिस कर्मी के उपस्थिति में अपीलकर्ता के बाल का नमूना लिया गया. वह न्यायालय में गवाही के लिए उपस्थित नहीं हुआ. जिला न्यायालय ने सिर्फ एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर उसे सजा से दण्डित किया है.

मामले हुई थी पैरवी: युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि मृतिका के हाथ में अपीलकर्ता के बाल पाये गये या नहीं. जिला न्यायालय ने जिला न्यायालय ने भौतिक पहलुओं की जांच किये बिना अभियोजन की यांत्रिकी रूप से पेश की गई कहानी पर भरोसा कर अपीलकर्ता को सजा से दण्डित किया है. युगलपीठ ने अपीलकर्ता की पेश सजा निरस्त करने के आदेश जारी किये है. अपीलकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंजना कुररिया ने पैरवी की.

जबलपुर। मां की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास से दण्डित पुत्र को हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट जस्टिस सुजय पॉल तथा जस्टिस ए के पालीवाल की युगलपीठ ने पाया कि जिला न्यायालय ने भौतिक पहलुओं की जांच किये बिना अभियोजन की यांत्रिकी रूप से पेश की गयी कहानी पर भरोसा किया है. युगलपीठ ने आरोपी की शेष सजा निरस्त करने के आदेश जारी किये है.

जानए क्या है पूरा मामला: याचिकाकर्ता सुदामा सिंह राठौर ने अनूपपुर जिला न्यायालय द्वारा मां की हत्या के आरोप में आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किये जाने के खिलाफ अपील दायर की थी. याचिकाकर्ता की तरफ से दायर अपील में कहा गया था कि उसकी मां मुन्नी बाई निवासी ग्राम भीलमट थाना जैतहारी की हत्या सितम्बर 2019 में हो गयी थी. वह मोजर मेयर कंपनी का विरोध कर रहा था, इसलिए पुलिस उससे दुर्भावना रखती थी. इसी कारण से उसे झूठा फंसाया गया है. वह 14 सितम्बर 2019 से लेकर 12 अप्रैल 2021 तक न्यायिक अभिरक्षा में था. जिला न्यायालय अनूपपुर ने उसे 29 नवम्बर 2022 को साज से दण्डित किया था, तब से वह जेल में है.

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कैदी को हाईकोर्ट से राहत: अपीलकर्ता की तरफ से तर्क दिया गया कि एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार मृतिक के हाथ में मिले बाल उसके थे जबकि मृतिका व घटनास्थल की फोटो ली गयी थी. उन्हें न्यायालय के समक्ष पेश नहीं किया गया. इतना ही नहीं जिस पुलिस कर्मी के उपस्थिति में अपीलकर्ता के बाल का नमूना लिया गया. वह न्यायालय में गवाही के लिए उपस्थित नहीं हुआ. जिला न्यायालय ने सिर्फ एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर उसे सजा से दण्डित किया है.

मामले हुई थी पैरवी: युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि मृतिका के हाथ में अपीलकर्ता के बाल पाये गये या नहीं. जिला न्यायालय ने जिला न्यायालय ने भौतिक पहलुओं की जांच किये बिना अभियोजन की यांत्रिकी रूप से पेश की गई कहानी पर भरोसा कर अपीलकर्ता को सजा से दण्डित किया है. युगलपीठ ने अपीलकर्ता की पेश सजा निरस्त करने के आदेश जारी किये है. अपीलकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंजना कुररिया ने पैरवी की.

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