जबलपुर। मां नर्मदा की गोद में बसी संस्कारधानी जबलपुर में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में बराबरी पर छूटने वाले मुकाबले का आखिरी राउंड 23 मई को होना है, लोकसभा चुनाव के इस रण में जबलपुर पूर्व, पश्चिम, उत्तर मध्य और कैंट शहरी विधान सभा क्षेत्र शामिल हैं, जबकि पनागर, पाटन बरगी और कुंडम ग्रामीण क्षेत्र की विधानसभा सीटें शामिल हैं. जहां कुल मिलाकर लगभग 17 लाख मतदाता हैं और 8 विधानसभा सीटों में से 4-4 पर बीजेपी-कांग्रेस काबिज हैं.
जबलपुर से बीजेपी के प्रदेश सेनापति राकेश सिंह खुद मैदान में हैं और पिछले 15 साल से यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. पिछले आम चुनाव में कांग्रेस के विवेक तन्खा को लगभग सवा दो लाख वोटों से मात दी थी. राकेश सिंह अपने चार महारथियों अजय विश्नोई, इंदु तिवारी, नंदनी मरावी और अशोक रोहाणी के साथ सेना का नेतृत्व कर रहे हैं.
वहीं, कांग्रेस की ओर से नामी वकील व राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा मैदान में हैं, 2014 के चुनाव में लाखों वोट के अंतर से हारने के बावजूद तन्खा मैदान में डटे हैं. हालांकि, पिछले आम चुनाव में सवा दो लाख वोटों का फासला पिछले विधानसभा चुनाव में घटकर 40000 पर आ गया, जबकि इस बार तन्खा के पास चार महारथियों तरण भनोत, लखन घनघोरिया, विनय सक्सेना, संजय यादव में से दो मंत्री भी हैं और प्रदेश में कांग्रेस की सरकार भी.
राकेश सिंह भले ही विकास का आईना जनता को नहीं दिखा पाये, लेकिन बीजेपी जबलपुर की जनता को मोदी के विकास का महत्व समझा चुकी है, इसलिए भाजपाई मानसिकता वाले मोदी के नाम पर राकेश सिंह को वोट देने को तैयार हैं, जबकि कांग्रेस तीन महीने की सरकार और विवेक तन्खा के कुछ निजी कामों (आईटी कंपनी) के जरिए ये माहौल बना रही है कि यदि जबलपुर का विकास कोई कर सकता है तो विवेक तन्खा ही हैं. हालांकि, वोटर का मन विकास के नाम पर वोट देने का है, फिर भी असमंजस में है कि विकास की कसौटी पर कौन खरा उतर सकता है.
1811140 मतदाताओं वाली इस सीट पर इस बार 18 से 19 साल के 36 हजार नये मतदाता शामिल हुए हैं, जबकि कुल 70000 नए मतदाता इस बार वोट करेंगे. यहां कुल 2128 मतदान केंद्र बनाए गए हैं, जिसमें 350 संवेदनशील, 30 अति संवेदनशील और 217 पिंक बूथ शामिल हैं. इस बार यहां 1000 पुरुष मतदाता के मुकाबले 933 महिला मतदाता हैं, जोकि पिछले चुनाव से 2 फीसदी ज्यादा है.
जबलपुर में चुनाव प्रचार चरम पर है, तन्खा को जिताने के लिए राहुल-सिंधिया से लेकर सचिन-भूपेश तक ज्यादातर स्टार प्रचारक अपना दम दिखा चुके हैं. वहीं राकेश सिंह या तो अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हैं या फिर स्टार प्रचारकों को जबलपुर लाने में नाकाम रहे, उनके लिए सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक सभा करने वाले हैं, इसके अलावा शिवराज सिंह ने ग्रामीण इलाकों में तीन सभाएं की थी, जबकि सोशल मीडिया के अलावा दोनों महारथी डोर टू डोर दस्तक दे रहे हैं.