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पुलिसकर्मियों का सरकारी आवास से नहीं छूट रहा मोह, बेदखली की कार्रवाई शुरू

पुलिसकर्मियों का सरकारी आवास से मोह नहीं छूट रहा है. एसपी के निर्देश के बाद अन्य जिलों में पदस्थ पुलिसकर्मियों को सरकारी आवासों से बेदखल करने की तैयारी शुरू कर दी गई है.

पुलिसकर्मी सरकारी आवासों को छोड़ने को तैयार नही
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Published : Oct 21, 2019, 8:25 PM IST

Updated : Oct 21, 2019, 9:56 PM IST

जबलपुर। जिले के पुलिसकर्मियों का सरकारी आवासों से मोह ही नहीं छूट रहा है. आलम ये है कि एसपी के निर्देश के बाद भी अन्य जिलों में पदस्थ पुलिसकर्मी जबलपुर का सरकारी आवास छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में अब एसपी ने सर्वे कराने और उनकी रिपोर्ट तलब करने के लिए थाना प्रभारियों को निर्देश दिए हैं.

पुलिसकर्मी सरकारी आवासों को छोड़ने को तैयार नही

एसपी अमित सिंह ने सर्वे के दौरान निर्देश जारी कर कहा कि अब सरकारी आवास लेने से पहले पुलिसकर्मी और उनके परिवार का सत्यापन किया जाएगा. फिर उन्हें आवास दिया जाएगा. जिन पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग जिले में नहीं है, उन्हें आवास से बेदखल किया जाएगा. एसपी का कहना है कि जिले के बाहर पोस्टिंग वाले पुलिसकर्मियों से सरकारी आवास खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

पिछले दिनों कुछ पुलिसकर्मी जिनका ट्रांसफर, बर्खास्त या रिटायर हो गए हैं, वे सालों से सरकारी आवासों में परिवार के साथ रह रहे हैं, जबकि कुछ पुलिसकर्मी दूसरे जिले में पदस्थ सरकारी आवास में रह रहे हैं. जिले में करीब 500 से अधिक सरकारी आवास फुल हैं, जबकि पुलिस बल की संख्या तीन हजार से भी अधिक है.

जबलपुर। जिले के पुलिसकर्मियों का सरकारी आवासों से मोह ही नहीं छूट रहा है. आलम ये है कि एसपी के निर्देश के बाद भी अन्य जिलों में पदस्थ पुलिसकर्मी जबलपुर का सरकारी आवास छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं. ऐसे में अब एसपी ने सर्वे कराने और उनकी रिपोर्ट तलब करने के लिए थाना प्रभारियों को निर्देश दिए हैं.

पुलिसकर्मी सरकारी आवासों को छोड़ने को तैयार नही

एसपी अमित सिंह ने सर्वे के दौरान निर्देश जारी कर कहा कि अब सरकारी आवास लेने से पहले पुलिसकर्मी और उनके परिवार का सत्यापन किया जाएगा. फिर उन्हें आवास दिया जाएगा. जिन पुलिसकर्मियों की पोस्टिंग जिले में नहीं है, उन्हें आवास से बेदखल किया जाएगा. एसपी का कहना है कि जिले के बाहर पोस्टिंग वाले पुलिसकर्मियों से सरकारी आवास खाली कराने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है.

पिछले दिनों कुछ पुलिसकर्मी जिनका ट्रांसफर, बर्खास्त या रिटायर हो गए हैं, वे सालों से सरकारी आवासों में परिवार के साथ रह रहे हैं, जबकि कुछ पुलिसकर्मी दूसरे जिले में पदस्थ सरकारी आवास में रह रहे हैं. जिले में करीब 500 से अधिक सरकारी आवास फुल हैं, जबकि पुलिस बल की संख्या तीन हजार से भी अधिक है.

Intro:जबलपुर
लाख आदेश के बाद भी जबलपुर में पुलिस कर्मियों का सरकारी आवासों से मोह नहीं छूट रहा है। आलम यह है कि एसपी के निर्देश के बाद भी अन्य जिले में पदस्थ पुलिसकर्मी जबलपुर में सरकारी आवासो को छोड़ने के लिए तैयार नही है ऐसे में अब एसपी ने सर्वे करने और बाद में उनकी रिपोर्ट तलब करने थाना प्रभारियों को निर्देश दिए है।


Body:जबलपुर एसपी अमित सिंह ने सर्वे के दौरान यह निर्देश जारी किए हैं कि अब सरकारी आवास लेने से पहले पुलिसकर्मी और उनके परिवार का सत्यापन देना होगा फिर उन्हें आवास मिलेगा।साथ ही वो पुलिसकर्मी जिनकी पोस्टिंग जिले में नही है उन्हें भी आवास से बेदखल किया जाएगा। एसपी अमित सिंह के मुताबिक जिले के बाहर पोस्टिंग रहने वाले पुलिसकर्मियों से सरकारी आवास लेने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई है।दर्शल हाल के दिनों में यह बात सामने आई है कि कुछ पुलिसकर्मी जो कि ट्रांसफर,बर्खास्त या फिर रिटायर हो गए हैं वह भी सालों से सरकारी आवासों में अपने परिवार के साथ रह रहे हैं।इतना ही नहीं कुछ पुलिसकर्मी तो ऐसे भी हैं जो कि दूसरे जिले में पदस्थ रहकर वहाँ पर सरकारी आवास का फायदा ले रहे हैं और इधर अपने परिवार को भी सरकारी मकान में रखे हुए हैं।


Conclusion:जानकारी के मुताबिक जबलपुर जिले में करीब 500 से अधिक सरकारी आवास हाउसफुल है जबकि पुलिस बल की संख्या 3000 से भी अधिक है।जाहिर है कि सरकारी घर मिलने के लिए मारामारी तो होगी ही। एसपी के सर्वे के दौरान हाल ही में यह बात भी सामने आई है कि एक प्रधान आरक्षक जो कि 2007 में बर्खास्त हो चुका है बावजूद इसके वह पुलिस लाइन में मकान बनवा कर रह रहा था। वही गढ़ा थाने में पदस्थ रहे एक एसआई जो कि रिटायर हो चुके हैं पर उन्होंने भी थाना परिसर में ही मंदिर की आड़ में एक मकान बनवा कर उसमे रह रहे है।
बाईट.1- डॉ संजीव उईके.....एएसपी
Last Updated : Oct 21, 2019, 9:56 PM IST
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