जबलपुर। राहतगढ़ थाना क्षेत्र में एक हत्या के मामले में पुलिस की लापरवाही पूर्ण कार्रवाई के आरोप लगाते हुए मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. इस मामले में आरोप है कि पुलिस ने फरियादी के बयान दर्ज न कर आरोपियों के बयान पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निर्दोश बता दिया. जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने मामले में जांच अधिकारी SDOP और राहतगढ़ थाना प्रभारी को केस डायरी के साथ हाजिर होने के निर्देश दिये हैं. अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 फरवरी को होगी.
यह मामला नत्थू अहिरवार की ओर से दायर किया गया है. जिसमें कहा गया है कि सितंबर 2019 में उसके छोटे भाई मुन्नालाल की लावारिश हालत में लाश पाई गई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से गला दबाकर हत्या किए जाने का लेख है. आवेदक की मृतक की पहचान के बाद, पुलिस थाना राहतगढ़ ने मामले के पांच दिन बाद 12 सितंबर 2019 को FIR दर्ज की थी. स्पष्ट रूप से फरियादी पक्ष ने आरोपियों के नाम बताए थे, फिर भी पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज किया था. 16 महीने तक कोई कार्रवाई भी नहीं की गई, जिस पर हाईकोर्ट की शरण ली गई.
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इस मामले में कोर्ट ने 15 नवंबर 2019 को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये थे. मामले में आगे हुई सुनवाई पर याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने कोर्ट को बताया कि CRPC 1973 के अंतर्गत इन्वेस्टिगेशन में फरियादी के बजाय आरोपियों के बयान रिकार्ड करने का कोई प्रावधान नहीं है. न ही पुलिस को आरोपियों को निर्दोश साबित करने या न करने का अधिकार है. पुलिस ने इस केस में जो कार्रवाई की है, वो दोषपूर्ण और अवैधानिक है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने मामले को गंभीरता से लेते हुए SDOP और राहतगढ़ थाना प्रभारी को केस डायरी के साथ 3 फरवरी को हाजिर होने के आदेश दिए हैं.