जबलपुर। इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने खुलासा किया है कि वे तो चाहते हैं कि आम जनता को पेट्रोल और डीजल सस्ता मिले लेकिन सरकारें इस पर राजी नहीं हैं. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने बताया कि ''मध्यप्रदेश में पेट्रोल-डीजल पर लगभग 70% टैक्स लग रहा है. कंपनियों के हिस्से में मात्र एक तिहाई पैसा ही आता है, जिसमें रिफाइनरी से लेकर आम आदमी तक पहुंचाने का खर्च भी शामिल है, बाकी 70% पैसा टैक्स के जरिए सरकार के पास जाता है.
राज्य और केंद्र नहीं चाहते पेट्रोल सस्ता हो: इंडियन ऑयल के अधिकारी का कहना है कि ''यदि पेट्रोल के दाम ₹100 हैं तो इसमें से पेट्रोल कंपनी को मात्र ₹35 ही मिलता है बाकी ₹66 राज्य और केंद्र सरकार का टैक्स है. इसलिए यदि आम जनता इस गलतफहमी में है कि महंगे पेट्रोल और डीजल की वजह से पेट्रोलियम कंपनियां फायदे में हैं तो लोगों को यह बात माननी चाहिए कि महंगे पेट्रोल और डीजल का फायदा राज्य और केंद्र सरकारों के पास जाता है ना कि पेट्रोलियम कंपनियों के पास.''
यूक्रेन युद्ध के चलते बढ़े थे ऑयल के दाम: वहीं, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के अधिकारी दीपक कुमार विश्वास का कहना है कि ''बीते दिनों जब यूक्रेन का युद्ध शुरू हुआ था तो क्रूड ऑयल के दाम बहुत ज्यादा बढ़ गए थे और कई निजी कंपनियों ने अपने पेट्रोल पंप बंद कर दिया था. लेकिन इंडियन ऑयल ने अपने पेट्रोल पंप बंद नहीं किए थे, बल्कि दूसरे पेट्रोल पंपों को भी पेट्रोल दिया था. उस समय इंडियन ऑयल को पेट्रोल पर लगभग ₹15 और डीजल पर ₹25 तक का घाटा हो रहा था.''
सरकारों से बातचीत: इंडियन ऑयल के अधिकारी का कहना है कि ''उनकी राज्य सरकार के अधिकारियों से कई स्तर पर बातचीत हो चुकी है जिसमें इंडियन ऑयल पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने के लिए कह चुका है लेकिन राज्य सरकार इसे कम करना नहीं चाहती. वही, पेट्रोलियम कंपनियों की कोशिश है कि वन नेशन वन टैक्स के दायरे में पेट्रोल और डीजल को रख दिया जाए. इससे जीएसटी का अधिकतम स्लैब जो लगभग 28% है उसमें पेट्रोल और डीजल आ जाएगा इसकी वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम लगभग 50% तक कम हो जाएंगे.''
इंडियन आयल और कूनो में चीते: इंडियन ऑयल के अधिकारियों का कहना है कि ''कूनो अभ्यारण में दक्षिण अफ्रीका से जो जीते लाए गए हैं उस पर इंडियन ऑयल ने ही पैसा खर्च किया है.'' हालांकि इंडियन ऑयल के अधिकारी इस बात से दुखी हैं कि उनकी इस कोशिश के बाद चीजों को सही ढंग से इस अभ्यारण में रखा नहीं जा रहा है और उनकी लगातार मौत हो रही है. मध्य प्रदेश सरकार का बजट 3 लाख करोड़ तक पहुंच गया है आम आदमी अपनी हैसियत से कहीं ज्यादा टैक्स दे रहा है और जब इसी टैक्स को वह बर्बाद होते हुए देखता है उसे तकलीफ होती है. बढ़ती महंगाई ने आदमी की कमर तोड़ दी है और सरकारें कह रही हैं कि विकास हो रहा है.