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जबलपुर: विस्थापितों ने प्रशासन को दी मतदान के बहिष्कार की चेतावनी, आवास नहीं, तो वोट नहीं - displace

प्रदेश में आंधी तूफान ने विस्थापित लोगों के अशियानों को तबाह कर दिया है. विस्थापितियों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार  हमे मदन महल पहाड़ी से विस्थापित करके भूल गई है.

जबलपुर
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Published : Apr 18, 2019, 10:01 PM IST

जबलपुर। प्रदेश में आंधी तूफान ने विस्थापित लोगों के अशियानों को तबाह कर दिया है. विस्थापित लोगों का कहना है कि अभी तक प्रशासन ने हमारे लिए कोई इंतेजाम नहीं किया है. इसलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करने का फैसला किया है. विस्थापितियों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने जब से हमे मदन महल पहाड़ी से विस्थापित करके भूल गया है.

विस्थापितों ने प्रशासन को दी मतदान के बहिष्कार की चेतावनी

विस्थापित भगवानदास ने बताया कि भारी बारिश और आंधी ने तिरपाल के बने घरों को तबाह कर दिया है .जब से प्रशासन ने विस्थापितियों को यहां लाकर बसाया है. यहां पर प्रशासन ने पलटकर नहीं देखा है कि जनता मर रही है या जी रही है. विस्थापितियों ने प्रशासन को दो टूक में कहा है कि जनता का वोट चाहिए तो आंधी-तूफान में तबाह हुए घरों को दुबारा बनाकर देना होगा.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट के आदेश पर जबलपुर प्रशासन ने गढ़ा मदन महल की पहाड़ियों में घर बनाकर रह रहे सैकड़ों परिवारों को पर्यावरण और अतिक्रमण का हवाला दे यहां से हटाने की कार्रवाई की. तभी से विस्थापित तिलहरी में खुले आसमान के नीचे पंडाल में रहने को मजबूर हैं. पीड़ित विस्थापितों का आरोप है कि शासन ने कोर्ट के आदेश पर उनके घरों को तोड़ तो दिया,लेकिन उसके बाद उनकी कोई सुध नहीं ली. जिसके चलते हजारों लोग न सिर्फ बेघर हो गए हैं. हालात ये हैं कि गर्मी में पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं. इसलिए विस्थापित लोगों ने वोट नहीं देने का निर्णय लिया है.

जबलपुर। प्रदेश में आंधी तूफान ने विस्थापित लोगों के अशियानों को तबाह कर दिया है. विस्थापित लोगों का कहना है कि अभी तक प्रशासन ने हमारे लिए कोई इंतेजाम नहीं किया है. इसलिए उन्होंने लोकसभा चुनाव में मतदान नहीं करने का फैसला किया है. विस्थापितियों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने जब से हमे मदन महल पहाड़ी से विस्थापित करके भूल गया है.

विस्थापितों ने प्रशासन को दी मतदान के बहिष्कार की चेतावनी

विस्थापित भगवानदास ने बताया कि भारी बारिश और आंधी ने तिरपाल के बने घरों को तबाह कर दिया है .जब से प्रशासन ने विस्थापितियों को यहां लाकर बसाया है. यहां पर प्रशासन ने पलटकर नहीं देखा है कि जनता मर रही है या जी रही है. विस्थापितियों ने प्रशासन को दो टूक में कहा है कि जनता का वोट चाहिए तो आंधी-तूफान में तबाह हुए घरों को दुबारा बनाकर देना होगा.

गौरतलब है कि हाईकोर्ट के आदेश पर जबलपुर प्रशासन ने गढ़ा मदन महल की पहाड़ियों में घर बनाकर रह रहे सैकड़ों परिवारों को पर्यावरण और अतिक्रमण का हवाला दे यहां से हटाने की कार्रवाई की. तभी से विस्थापित तिलहरी में खुले आसमान के नीचे पंडाल में रहने को मजबूर हैं. पीड़ित विस्थापितों का आरोप है कि शासन ने कोर्ट के आदेश पर उनके घरों को तोड़ तो दिया,लेकिन उसके बाद उनकी कोई सुध नहीं ली. जिसके चलते हजारों लोग न सिर्फ बेघर हो गए हैं. हालात ये हैं कि गर्मी में पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग तरस रहे हैं. इसलिए विस्थापित लोगों ने वोट नहीं देने का निर्णय लिया है.

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