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Lockdown Story: 'साहब लॉकडाउन हटाओ! 'दो वक्त की रोटी हम कहां से लाएं'

जबलपुर में पिछले दो महीने से लॉकडाउन लगा है. इस बीच लॉकडाउन की कई कहानियां (Lockdown Story) सामने आईं हैं, लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर अब गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार पर आया है, जो आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गए हैं. कई परिवारों के सामने दो वक्त की रोटी तक का संकट मंडराने लगा है.

people asking for removing corona curfew in jabalpur
कोरोना कर्फ्यू से परेशान गरीब
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Published : May 31, 2021, 10:22 AM IST

जबलपुर। जिले में पिछले दो महीने से लगे लॉकडाउन में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गए हैं. कई लोगों के धंधे चौपट हो गए, तो कई की नौकरी चली गई. ऐसे में अब कई परिवारों के सामने दो वक्त की रोटी का प्रबंध करना तक मुश्किल हो गया है. हालांकि सरकार की तरफ से थोड़ी राहत जरूर दी गई है. दो महीने का निशुल्क राशन बांटा जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी स्थिति बदतर होती जा रही है.

कोरोना कर्फ्यू से परेशान गरीब

किसान मितेश ठाकुर की Lockdown Story

किसान मितेश ठाकुर का कहना कि लॉकडाउन की वजह से खेत में लगी फसल के लिए न खाद मिल रही है, न कीटनाशक दवाएं. जिससे उनकी फसल बर्बादी की कगार पर है. वहीं चाय-पान की दुकान लगाने वाले राजेश का कहना है कि धंधा तबाह हो चुका है. पहले हजार रुपए से लेकर 12 सौ रुपये दिनभर में कमा लेते थे. अब घर का गुजारा करना मुश्किल हो गया है. वही छोटे व्यवसायियों का कहना है कि जितने लोग कोरोना से नही मरेंगे, उतने भूख से मर जाएंगे. यदि लॉकडाउन कुछ दिनों इसी तरह लगा रहा तो, गरीबों के पास भूख से मरने के अलावा और कुछ नहीं बचेगा.

खाना, रोजगार और सिर पर छत नहीं...लॉकडाउन में गरीबों की बढ़ी परेशानी

कुछ लोगों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लगाए. उनका कहना है कि सरकार भले ही दो महीने का राशन निशुल्क दे रही है, लेकिन चेहरा देखकर राशन दिया जा रहा है. कोरोना काल में पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा विधायक, सांसद और अन्य प्रतिनिधि भूमिगत हो गए हैं. बाहर जाते हैं तो पुलिस डंडा मारती है. अब सभी लोग लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं.

जबलपुर। जिले में पिछले दो महीने से लगे लॉकडाउन में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गए हैं. कई लोगों के धंधे चौपट हो गए, तो कई की नौकरी चली गई. ऐसे में अब कई परिवारों के सामने दो वक्त की रोटी का प्रबंध करना तक मुश्किल हो गया है. हालांकि सरकार की तरफ से थोड़ी राहत जरूर दी गई है. दो महीने का निशुल्क राशन बांटा जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी स्थिति बदतर होती जा रही है.

कोरोना कर्फ्यू से परेशान गरीब

किसान मितेश ठाकुर की Lockdown Story

किसान मितेश ठाकुर का कहना कि लॉकडाउन की वजह से खेत में लगी फसल के लिए न खाद मिल रही है, न कीटनाशक दवाएं. जिससे उनकी फसल बर्बादी की कगार पर है. वहीं चाय-पान की दुकान लगाने वाले राजेश का कहना है कि धंधा तबाह हो चुका है. पहले हजार रुपए से लेकर 12 सौ रुपये दिनभर में कमा लेते थे. अब घर का गुजारा करना मुश्किल हो गया है. वही छोटे व्यवसायियों का कहना है कि जितने लोग कोरोना से नही मरेंगे, उतने भूख से मर जाएंगे. यदि लॉकडाउन कुछ दिनों इसी तरह लगा रहा तो, गरीबों के पास भूख से मरने के अलावा और कुछ नहीं बचेगा.

खाना, रोजगार और सिर पर छत नहीं...लॉकडाउन में गरीबों की बढ़ी परेशानी

कुछ लोगों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लगाए. उनका कहना है कि सरकार भले ही दो महीने का राशन निशुल्क दे रही है, लेकिन चेहरा देखकर राशन दिया जा रहा है. कोरोना काल में पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा विधायक, सांसद और अन्य प्रतिनिधि भूमिगत हो गए हैं. बाहर जाते हैं तो पुलिस डंडा मारती है. अब सभी लोग लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं.

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