जबलपुर। जिले में पिछले दो महीने से लगे लॉकडाउन में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर हो गए हैं. कई लोगों के धंधे चौपट हो गए, तो कई की नौकरी चली गई. ऐसे में अब कई परिवारों के सामने दो वक्त की रोटी का प्रबंध करना तक मुश्किल हो गया है. हालांकि सरकार की तरफ से थोड़ी राहत जरूर दी गई है. दो महीने का निशुल्क राशन बांटा जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी स्थिति बदतर होती जा रही है.
किसान मितेश ठाकुर की Lockdown Story
किसान मितेश ठाकुर का कहना कि लॉकडाउन की वजह से खेत में लगी फसल के लिए न खाद मिल रही है, न कीटनाशक दवाएं. जिससे उनकी फसल बर्बादी की कगार पर है. वहीं चाय-पान की दुकान लगाने वाले राजेश का कहना है कि धंधा तबाह हो चुका है. पहले हजार रुपए से लेकर 12 सौ रुपये दिनभर में कमा लेते थे. अब घर का गुजारा करना मुश्किल हो गया है. वही छोटे व्यवसायियों का कहना है कि जितने लोग कोरोना से नही मरेंगे, उतने भूख से मर जाएंगे. यदि लॉकडाउन कुछ दिनों इसी तरह लगा रहा तो, गरीबों के पास भूख से मरने के अलावा और कुछ नहीं बचेगा.
खाना, रोजगार और सिर पर छत नहीं...लॉकडाउन में गरीबों की बढ़ी परेशानी
कुछ लोगों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लगाए. उनका कहना है कि सरकार भले ही दो महीने का राशन निशुल्क दे रही है, लेकिन चेहरा देखकर राशन दिया जा रहा है. कोरोना काल में पंचायत प्रतिनिधियों के अलावा विधायक, सांसद और अन्य प्रतिनिधि भूमिगत हो गए हैं. बाहर जाते हैं तो पुलिस डंडा मारती है. अब सभी लोग लॉकडाउन खुलने का इंतजार कर रहे हैं.