जबलपुर। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के निर्धारित नियमों का पालन नहीं किये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में कहा गया था कि रेन-वॉटर हार्वेस्टिंग नहीं किये जाने के कारण भूमि के जल स्तर में लगातार गिरावट आ रही है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस व्हीके शुक्ला की युगलपीठ ने नगरीय प्रशासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को अनावेदक बनाये जाने के आवेदन को स्वीकार करते हुए नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
अधिवक्ता आदित्य संघी की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि संविधान की धारा 21 के तहत लोगों को राइट टू लाइफ का अधिकार मिला है. जीवन सहित अन्य जीव-जन्तु के जीने के लिए पानी जरूरी है. पानी के बिना जीवन संभव नहीं है. भूमि का जल स्थल लगातार नीचे गिरता जा रहा है. प्रदेश में भूमि का जल स्तर 5 सौ मीटर नीचे तक पहुंच गया है. प्रदेश के कई जिलों में लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है.
याचिका में कहा गया है कि भूमि विकास नियम के तहत रेन-वॉटर-हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने पर ही मकान का नक्शा स्वीकृत किये जाने का प्रावधान है. नियम का कड़ाई से पालन नहीं किये जाने के कारण जबलपुर में ही बारिश के मौसम में अरबों लीटर पानी नाले-नाली के माध्यम से व्यर्थ में बह जाता है. यह स्थिति पूरे प्रदेश की है. नगर निगम रेन-वॉटर-हार्वेस्टिंग के लिए निर्धारित शुल्क लेती है, लेकिन यह सिर्फ कागजों तक में सीमित है.
पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान न्यायालय ने याचिकाकर्ता को अनावेदकों के नाम में संशोधन करने के निर्देश जारी करते हुए भोपाल व जबलपुर नगर निगम से जवाब मांगा था. युगलपीठ ने नगरीय प्रशासन व पंचायत एव ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव को अनावेदक बनाये जाने के आवेदन को स्वीकार करते हुए उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.