जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने कोरोना संबंधी मामलों में ऑक्सीजन की कमी व रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर पूर्व में जारी आदेश का पालन न होने पर चिंता जाहिर की है. चीफ जस्टिस मो. रफीक व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने सरकार की ओर से पेश की गई एक्शन टेकन रिपोर्ट का अवलोकन करने व हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से उठायी गई आपत्तियों को गंभीरता से लेते हुए मामले में विस्तृत आदेश जारी किये हैं.
6 मई को निर्धारित की अगली सुनवाई
युगलपीठ ने आदेश में कहा कि बिना ऑक्सीजन जीवन के अस्तित्व की कल्पना नहीं की जा सकती. राज्य का संवैधानिक दायित्व है कि जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चि करायें. इसके साथ ही न्यायालय ने आयुष्मान, सीजीएचएस व बीपीएल कैशलेस कार्ड धारियों का उपचार करने से अस्पताल इनकार नहीं कर सकते यदि ऐसा किया जाता है तो सरकार उचित कार्रवाई करे. युगलपीठ ने अंतरिम आवेदनों का निराकरण करते हुए उक्त निर्देश देते हुए मूल मामले की अगली सुनवाई 6 मई को निर्धारित की है
हाईकोर्ट ने अवकाश के दिन की थी सुनवाई
उल्लेखनीय है कि अस्पताल में बिल राशि का भुगतान नहीं होने पर एक वृद्ध मरीज को बंधक बनाये जाने के मामले में संज्ञान याचिका के साथ अन्य कोरोना संबंधी मामलों की हाईकोर्ट में सुनवाई हो रही है, जिसमें विगत 19 अप्रैल को हाईकोर्ट ने अवकाश के दिन मामले की सुनवाई करते हुए विस्तृत
दिशा-निर्देश जारी किये थे.
हाईकोर्ट के आदेश की हुई अवहेलना
मामले में इंदौर के वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने एक आवेदन दायर कर कहा था कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने कहा था, लेकिन इसके बावजूद भी आपूर्ति नहीं की जा रही है. आवेदन में अनुरोध किया गया था ऑक्सीजन व रेमडेसिविर की आपूर्ति की मॉनिटरिंग हाईकोर्ट द्वारा की जाये. वहीं हाईकोर्ट एडवोकेट बार एसोसिएशन की ओर से भी एक आवेदन पेश कर कहा गया कि बोकारों से एक ऑक्सीजन टैंकर सागर भेजा गया था, लेकिन यूपी में उसे रास्तें में रोक लिया गया, जिसे बाद में रिलीज किया गया. जबकि सागर सहित अन्य जिलों में ऑक्सीजन की कमी से मरीजों की मौते हो रहीं है.
36 घंटे में रिपोर्ट देने के दिये निर्देश
36 घंटे में मिले रिपोर्ट मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ व अधिवक्ता जुबीन प्रसाद ने पक्ष रखते हुए बताया कि कोविड-19 की दूसरी वेव के हिसाब से स्टेट की तैयारी दुरुस्त नहीं है. प्राइवेट लैबों में टेस्टिंग के लिये कई जगह इनकार किया जा रहा है, जिससे स्थिति और भयावह होती जा रही है. वहीं सरकार की ओर से प्राइवेट लैबों में कहां और कितने टेस्ट हुए इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है. इस पर न्यायालय ने टेस्टिंग बढ़ाना सुनिश्चित करने के साथ ही रोगियों की रिपोर्ट 36 घंटे में मिले यह सुनिश्चित करने के निर्देश भी सरकार को दिये हैं.
ऑक्सीजन व इंजेक्शन करा रहे उपलब्ध
सरकार की ओर से मामले में कहा गया कि ऑक्सीजन व रेमडेसिविर इंजेक्शन सहित अन्य जरूरी दवाएं जरूरतमंदों को निरंतर उपलब्ध करायी जा रहीं हैं. वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी मो. सुलेमान व छबि भारद्वाज ने कहा कि बेड व ऑक्सीजन उपलब्ध करायी जा रही है. उनकी सुनिश्चिता निरंतर की जा रही है. वहीं ट्रेन और वायु मार्ग से भी रेमडेसिविर इंजेक्शन अस्पतालों को सीधे पहुंचाये जा रहे हैं.
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हाईकोर्ट ने ये दिये निर्देश
- ऑक्सीजन व रेमडेसिविर इंजेक्शन की निरंतर आपूर्ति की जाये. इस संबंध में 19 अप्रैल को ही आदेश जारी किये गये थे.
- कालाबाजारी फल-फूल रही है. ऐसे में अस्पतालों में स्थिति अराजक हो सकती है. कानून-व्यवस्था बिगड़ने की भी आशंका है. ऐसे राज्य को दवा वितरण नीति को फिर से ध्यान देकर युक्ति संगत बनाना चाहिये.
- अस्पतालों के स्वयं के ऑक्सीजन प्लांट के लिये वित्तीय मदद मिले और ऋण आसानी से उपलब्ध हो सकें. सरकार भी सब्सिडी पर विचार करे, ताकि अस्पतालों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके.
- टेस्टिंग रिपोर्ट 36 घंटे पर मिले, इसके साथ ही तकनीशियनों, विशेषज्ञों व लैब अटेंडेंट की संख्या बढ़ाने पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है.
- कैशलेस कार्ड धारियों के उपचार से अस्पताल इनकार नहीं कर सकते. यदि वह ऐसा करते हैं तो सरकार शिकायत प्राप्त होने पर उचित कार्रवाई करे.
- बीएसएल 37 प्रमाणित लैब हैं, जिन्हें बढ़ाये जाने के भी निर्देश दिये हैं.
- ऑक्सीजन आवंटन पर भी सरकार को जवाब पेश करने के निर्देश दिये हैं.
- ग्रामीणों इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाने के भी निर्देश दिये हैं.
- इसके साथ बायोमेडीकल डिस्पोजल खुले में पड़े होने के मुद्दे को भी गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने पीसीबी व सरकार को उसके निपटान के लिये आवश्यक कार्रवाई के निर्देश देते हुए परिपालन रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये हैं.
- केन्द्र व राज्य सरकार जीवन रक्षक दवाओं व ऑक्सीजन की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित करे.