जबलपुर। उज्जैन के महाकाल कॉरिडोर की तर्ज पर अब जबलपुर के ग्वारीघाट से भेड़ाघाट तक नया कॉरिडोर बनाने की मांग जोर पकड़ रही है. नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने इस सिलसिले में महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू से मुलाकात करते हुए इसके लिए जरूरी कदम उठाए जाने की मांग की. मंच के पदाधिकारियों ने हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा घोषित धर्म नीति पर भी सवालिया निशान लगाए. (Narmada Corridor) (new corridor from gwarighat to bhedaghat) (narmada corridor demand gained momentum)
नर्मदा कॉरिडोर बनाने की मांग ने जोर पकड़ाः मंच के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार ने धर्म क्षेत्रों के विकास की सूची में मैहर, चित्रकूट, ओंकारेश्वर, सलकनपुर सहित अन्य क्षेत्रों को तो शामिल किया है. इसमें जबलपुर के ग्वारीघाट, तिलवारा घाट और भेड़ाघाट जैसे ऐतिहासिक महत्व के स्थलों का कहीं नामोनिशान तक नहीं है. इस पर मंच ने नाराजगी जताते हुए इन क्षेत्रों के विकास के लिए ठोस योजना बनाने और ग्वारीघाट से भेड़ाघाट तक नर्मदा कॉरिडोर बनाए जाने की मांग की. (narmada corridor demand gained momentum) (new corridor from gwarighat to bhedaghat)
MP का पहला कुबेर मंदिर जबलपुर के नर्मदा किनारे मौजूद, नर्मदा पुराण में है उल्लेख
कांग्रेस शासनकाल में नर्मदा कॉरिडोर के लिए 160 करोड़ प्रस्तावित थेः प्रतिनिधिमंडल से चर्चा के दौरान महापौर जगत बहादुर सिंह ने बताया कि कांग्रेस शासन काल के समय मुख्यमंत्री कमलनाथ ने जबलपुर के विकास के लिए करीब 3000 करोड़ की परियोजनाओं को मंजूरी दी थी. जिसमें 160 करोड़ की लागत से नर्मदा कॉरिडोर के निर्माण का भी प्रस्ताव था, लेकिन सरकार के बदलते ही तमाम योजनाओं पर ब्रेक लग गया है. महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू ने प्रतिनिधिमंडल को भरोसा दिलाया है कि महाकाल की तर्ज पर जबलपुर में नर्मदा कॉरिडोर बनाने के लिए वे भी पुरजोर प्रयास करेंगे. (Congress had passed 160 crores for the corridor) (new corridor from gwarighat to bhedaghat) (narmada corridor demand gained momentum)