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मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 की संवैधानिकता को HC में चुनौती

एमपी में 'लव जिहाद' के खिलाफ शिवराज सरकार के नए कानून पर रोक लगाने के लिए एक लॉ स्टूडेंट अम्रतांश नेमा ने जबलपुर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. कोर्ट ने प्रदेश सरकार, विधि व विधाई कार्य विभाग सहित गृह विभाग से जवाब मांगा है.

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लव जिहाद
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Published : Jan 29, 2021, 7:25 PM IST

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 की संवैधानिकता को चुनौती गई है. लॉ स्टूडेंट अम्रतांश नेमा इस कानून के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 की धारा 4, 10 और 12 गलत है. नए कानून में धर्मांतरण की परिभाषा और प्रक्रिया भी गलत है. अम्रतांश की याचिका पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार, विधि एवं विधाई कार्य विभाग सहित गृह विभाग को नोटिस जारी किए हैं. बता दें ये कानून 17 सेक्शन का नया कानून है.

धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 की संवैधानिकता को चुनौती

संविधान में दिए अधिकारों का हनन !

याचिकाकर्ता अमृतांश नेमा का कहना है कि संविधान हमें समता, समानता व धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी देता है. लेकिन सरकार इसे हमसे छीनना चाहती है. ये कानून भारत संविधान की मौलिक भावना का हनन करता है. जनहित याचिका में दलील दी गई है कि नए कानून में धर्मांतरण की परिभाषा और प्रक्रिया को गलत ढंग से बताया गया है.

इस मसले पर भी आपत्ति

नए कानून में धर्मांतरण के पहले कलेक्टर को सूचना देने का प्रावधान रखा गया है. धर्मांतरण के पुराने कानून में प्रावधान था कि जिसका धर्म परिवर्तन हो रहा है, यदि वह किसी दबाव में है तो वो खुद इसकी शिकायत कर सकता है. लेकिन नए कानून में अब परिजन भी इस बात की शिकायत कर सकते हैं कि किसी का जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने इस पर भी आपत्ति दर्ज की है.

कानून के मुख्य प्रावधान

  • बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबरदस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान. यह गैर जमानती अपराध होगा.
  • धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा.
  • बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.
  • धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है.
  • सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा. उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी.
  • जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा.
  • इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा.
  • इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
  • अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा.
  • पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है.
  • आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा.

9 जनवरी को हुई थी अधिसूचना जारी

बता दें 9 जनवरी को मध्‍य प्रदेश सरकार ने राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 के लिए अधिसूचना जारी की थी. सरकार के इस कदम के साथ ही कथित 'लव जिहाद' के खिलाफ राज्य में सख्त कानून लागू हो गया. दिसंबर 2020 में शिवराज सिंह कैबिनेट ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को मंजूरी दी थी.

जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 की संवैधानिकता को चुनौती गई है. लॉ स्टूडेंट अम्रतांश नेमा इस कानून के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 की धारा 4, 10 और 12 गलत है. नए कानून में धर्मांतरण की परिभाषा और प्रक्रिया भी गलत है. अम्रतांश की याचिका पर हाई कोर्ट ने प्रदेश सरकार, विधि एवं विधाई कार्य विभाग सहित गृह विभाग को नोटिस जारी किए हैं. बता दें ये कानून 17 सेक्शन का नया कानून है.

धर्म स्वातंत्र्य कानून 2020 की संवैधानिकता को चुनौती

संविधान में दिए अधिकारों का हनन !

याचिकाकर्ता अमृतांश नेमा का कहना है कि संविधान हमें समता, समानता व धार्मिक स्वतंत्रता की आजादी देता है. लेकिन सरकार इसे हमसे छीनना चाहती है. ये कानून भारत संविधान की मौलिक भावना का हनन करता है. जनहित याचिका में दलील दी गई है कि नए कानून में धर्मांतरण की परिभाषा और प्रक्रिया को गलत ढंग से बताया गया है.

इस मसले पर भी आपत्ति

नए कानून में धर्मांतरण के पहले कलेक्टर को सूचना देने का प्रावधान रखा गया है. धर्मांतरण के पुराने कानून में प्रावधान था कि जिसका धर्म परिवर्तन हो रहा है, यदि वह किसी दबाव में है तो वो खुद इसकी शिकायत कर सकता है. लेकिन नए कानून में अब परिजन भी इस बात की शिकायत कर सकते हैं कि किसी का जबरन धर्म परिवर्तन किया जा रहा है. याचिकाकर्ता ने इस पर भी आपत्ति दर्ज की है.

कानून के मुख्य प्रावधान

  • बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबरदस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान. यह गैर जमानती अपराध होगा.
  • धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा.
  • बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है.
  • धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है.
  • सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा. उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी.
  • जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा.
  • इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा.
  • इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
  • अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा.
  • पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है.
  • आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा.

9 जनवरी को हुई थी अधिसूचना जारी

बता दें 9 जनवरी को मध्‍य प्रदेश सरकार ने राजपत्र में धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक 2020 के लिए अधिसूचना जारी की थी. सरकार के इस कदम के साथ ही कथित 'लव जिहाद' के खिलाफ राज्य में सख्त कानून लागू हो गया. दिसंबर 2020 में शिवराज सिंह कैबिनेट ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता विधेयक-2020 को मंजूरी दी थी.

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