जबलपुर। यहां राज्य वन अनुसंधान केंद्र में एक सीता वाटिका बनाई गई है. इस सीता वाटिका में जो पेड़ लगाए गए हैं ऐसा माना जाता है कि ये वही अशोक के पेड़ हैं जो श्रीलंका में अशोक वाटिका में लगे हुए थे. सीता अशोक एक बेहद सुंदर और औषधीय गुणों से भरपूर पेड़ होता है. इसमें लाल रंग के फूल आते हैं और इसकी छाया घनी होती है. यह साल भर हरा बना रहता है. इसमें लगातार पत्तियां आती रहती हैं. सामान्य अशोक के पेड़ की अपेक्षा यह ज्यादा छायादार भी होता है.
इसी पेड़ के नीचे बैठीं थीं माता सीता: ऐसा कहा जाता है कि माता सीता अपहरण के बाद जब रावण के पास थीं तब उन्हें अशोक वाटिका में रखा गया था. उस वाटिका में अशोक के पेड़ लगे हुए थे. सीता अशोक का पेड़ सामान्य अशोक के पेड़ से अलग होता है. यह एक छायादार पेड़ होता है जिसके नीचे आसानी से बैठ जा सकता है. इसमें लाल रंग के फूल होते हैं जबकि सामान्य अशोक के पेड़ में कोई फूल नहीं मिलते.
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सीता वाटिका बनाने के लिए तैयारी: जबलपुर के ग्वारीघाट रोड पर राज्य वन अनुसंधान केंद्र है. इस वन अनुसंधान केंद्र में जंगल में उगने वाले वृक्षों पर रिसर्च की जाती है और उन्हें जंगल में लगाने के लिए तैयार किया जाता है. यहीं पर सीता अशोक पर भी शोध चल रहा है. यहीं एक सीता वाटिका भी बनाई गई है जहां सीता अशोक के पेड़ लगाए गए हैं. राज्य वन अनुसंधान केंद्र के सीनियर रिसर्च एनालिस्ट डॉक्टर उदय बताते हैं कि उनके पास अभी सीता अशोक के 2000 पेड़ मौजूद हैं जिन्हें सामान्य लोगों को भी बेचा जाता है.
औषधीय गुणों से भरपूर है सीता अशोक: सीता अशोक का पेड़ केवल सुंदरता बढ़ाने के लिए ही नहीं लगाया जाता बल्कि इस पेड़ में औषधीय गुण भी हैं. सीता अशोक का औषधीय उपयोग अशोकारिष्ट बनाने के लिए किया जाता है. अशोकारिष्ट एक बहु उपयोगी दवाई है. सामान्य तौर पर महिलाओं के लिए माहवारी से जुड़ी हुई बीमारियों को ठीक करने में अशोकारिष्ट का इस्तेमाल किया जाता है. इसे बनाने में सीता अशोक की छाल, जड़ और पत्तियों का इस्तेमाल किया जाता है.