जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने झोलाछाप डॉक्टरों को लेकर दायर मामले में सरकार को ताजी स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये है. (MP HighCourt) चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 17 फरवरी 2023 को निर्धारित की है. याचिकाकर्ता ऋषिकेश सराफ की तरफ से दायर याचिका में झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा कोरोना काल में नियमों को ताक पर रखकर एलोपैथिक दवाइयों से उपचार किये जाने को चुनौती दी गयी थी. जिसके बाद न्यायालय के निर्देषानुसार कुछ डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
सुप्रीम कोंर्ट ने लगाई गिरफ्तारी पर रोक: डॉक्टरों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर से एक डॉ. जितेन्द्र सिंह वर्मा को पूर्व में अग्रिम जमानत दी गई थी. जिस पर न्यायालय ने सभी जमानत संबंधी मामलें तलब करते हुए आवेदक डॉ. वर्मा को मेडिकल डिग्री संबंधी दस्तावेज पेश करने के निर्देश दिये थे. (MP quack doctors case) मामले की पूर्व सुनवाई दौरान न्यायालय ने डॉक्टर वर्मा की डिग्री को फर्जी पाते हुए दी गई जमानत निरस्त कर दी थी. जिनकी गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोंर्ट ने रोक लगा दी थी. इसके बाद न्यायालय ने अपने आदेश में संशोधन किया था. इसके बाद हुई सुनवाई पर न्यायालय ने सरकार को प्रदेश में झोला छाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्यवाही के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये थे. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता परितोष गुप्ता ने पैरवी की.
जबलपुर: हाईकोर्ट ने एमपी सरकार से झोलाछाप डॉक्टरों की रिपोर्ट पेश करने के दिए आदेश
बिना पंजीयन चला रहे थे औषधालय: मामले में याचिकाकर्ता ने बताया था कि छोलाछाप डॉक्टरों के पास संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन तक नहीं है. याचिका में यह भी कहा गया था कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के अतिरिक्त वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति में शासन से मान्यता प्राप्त संस्था से आयुर्वेद, होम्योपैथिक आदि मान्य चिकित्सा पद्धति से आयुष डॉक्टर वास्तविक या मान्य डॉक्टर की श्रेणी में आते हैं. उन्हें क्लीनिक खोलने से पूर्व संबंधित चिकित्सा परिषद और सीएचएमओ कार्यालय का पंजीयन करवाना आवश्यक है. ऐसे डॉक्टर भी एलोपैथिक तरीके से इलाज कर रहे हैं.