जबलपुर। किशोरी चौधरी, डीएल चौधरी सहित 55 याचिकाकर्ताओं की तरफ से हाईकोर्ट में मध्य प्रदेश राज्य परीक्षा नियम 2015 में 17 फरवरी 2020 को किये गये संशोधन की संवैधनिकता को चुनौती दी गयी थी. याचिका में कहा गया था कि संशोधित नियम आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यार्थियों को अनारक्षित वर्ग में चयन से रोकते हैं. जो इंद्रा शाहनी के निर्णय से असंगत है तथा संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16 तथा 21 का उल्लंघन करते हुए कम्युनल आरक्षण लागू करता है.
याचिकाओं में ये दलील दी : याचिकाओं में कहा गया था कि अनारक्षित वर्ग में सिर्फ अनारक्षित वर्ग के अभ्यार्थियों को ही रखा गया. जबकि पुराने नियमों के अनुसार अनारक्षित वर्ग में आरक्षित एवं अनारक्षित वर्ग के प्रतिभावान छात्रों को ही चयन किया जाता था. याचिकाकर्ताओं की तरफ से न्यायालय को बताया गया था कि नियमों को निरस्त किये जाने के बावजूद मुख्य परीक्षा का रिजल्ट उसके अनुसार जारी किया गया है. इसके अलावा इंटनव्यू की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है. जिससे आरक्षित वर्ग के सीट पर उसी वर्ग के छात्र का चयन हो सके.
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युगलपीठ ने पहले ये आदेश दिया था : युगलपीठ ने 7 अप्रैल को जारी अपने आदेश में संशोधित नियमों को निरस्त करते हुए पीएससी 2015 के पूर्व नियम अनुसार रिजल्ट जारी करने के निर्देश दिये थे. इसके खिलाफ उक्त पुनर्विचार याचिका मुख्य परीक्षा में चयनित जय प्रताप तथा अन्यय गोयल की तरफ से दायर की गयी थी. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से युगलपीठ को बताया गया कि अथॉरिटी उक्त आदेश का गलत व्याख्या कर रही है. इसके खिलाफ हाईकोर्ट की एकलपीठ के समक्ष रिट याचिकाएं दायर की गयी हैं. इसके अलावा राजस्थान कोर्ट द्वारा पारित आदेश का हवाला भी याचिकाकर्ताओं द्वारा दिया गया. युगलपीठ ने याचिका का निराकरण करते हुए उक्त आदेश जारी किए.