जबलपुर। शहर में प्रस्तावित फ्लाईओवर के मामले में हाई कोर्ट में फिर सुनवाई हुई. इस मामले में हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एसएस झा, उनके अधिवक्ता पुत्र केएस झा, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश पीपी नावलेकर, पूर्व महाधिक्ता ए अग्रवाल सहित आधा दर्जन याचिकाओं में प्लाई ओवर के लिए जबरन भूमि अधिग्रहण किए जाने को चुनौती दी गयी है. याचिका में कहा गया है कि नगर निगम द्वारा शहर के अंदर फ्लाई ओवर का निर्माण किया जा रहा है. पं लज्जा शंकर मार्ग में फ्लाई ओवर जहां उतारा जा रहा है, उक्त मार्ग की चौड़ाई 80 फुट से अधिक निर्धारित की गयी है, जो मास्टर प्लान से अधिक है.
जबरन भूमि अधिग्रहण का विरोध : इस फ्लाई ओवर के लिए लोगों की व्यक्तिगत भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है. इसके अलावा दमोह नाका से मदन महल मार्ग में भी लोगों की भूमि का जबरन अधिग्रहण किया जा रहा है. पूर्व में हाईकोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए आपसी समझौते के लिए आर्बिटेटर नियुक्त करने के आदेश जारी किये थे. आर्बिटेटर की तरफ से पेश की गयी रिपोर्ट में कहा गया था कि भवन के लिए शत प्रतिशत मुआवजा दिया जाना चाहिए. लीज की जमीन का 80 तथा फ्री होल्ड जमीन का शत प्रतिशत मुआवजा दिया जाना चाहिए.
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सरकार ने रिपोर्ट पर आपत्ति ली थी : वहीं, सरकार ने आर्बिटेटर की रिपोर्ट पर आपत्ति व्यक्त करते तर्क दिये थे कि सड़क का निर्धारण राजस्व अभिलेख के अनुसार किया गया है. पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने सरकार को निर्देशित किया है कि सीमांकन प्रक्रिया प्रारंभ कर उसकी वीडियोंग्राफी करवाएं. इसके साथ ही सरकार सुरक्षा निधि के रूप में दस करोड़ रुपये कोर्ट में जमा करें. युगलपीठ ने मुआवजे को निर्धारित याचिका के अंतिम आदेश के अधीन रखते हुए सरकार द्वारा निर्धारित अंतरिम मुआवजा प्रदान करने के आदेश भी जारी किये थे. पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया था कि अंतरिम मुआवजा दिये बिना भवनों को तोड़ रहे हैं. इस पर युगलपीठ ने सरकार से जवाब मांगा था. याचिका पर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने उक्त जानकारी पेश की. याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की.