ग्वालियर : ग्वालियर शहर की कभी जीवनदायिनी रही स्वर्ण रेखा नदी को पुनर्जीवित करने वाली जनहित याचिका पर हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में सुनवाई हुई. इस दौरान नगर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने अब तक की कार्ययोजना की रिपोर्ट पेश की. साथ ही कोर्ट को बताया कि स्वर्ण रेखा नदी को स्वच्छ बनाने के लिए कई बिंदुओं पर काम किया जा रहा है.
स्वर्ण रेखा नदी में कचरा फेंकने पर एक हजार जुर्माना
नगर निगम ने हाई कोर्ट को बताया "स्वर्ण रेखा नदी अगर कोई कचरा फेंकेगा तो उस पर एक हजार रुपए की जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी. साथ ही सीसीटीवी लगाए जा रहे हैं, जिससे कोई नदी को गंदा न कर सके." ये सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा "इतने भर से कुछ नही होगा." इसके बाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने एक कमेटी बनाने के आदेश दिए, 10 दिन में स्वर्ण रेखा की वस्तुस्थिति पर अपनी रिपोर्ट कोर्ट में सौपेंगी. कमेटी में न्याय मित्रों के साथ,जल संसाधन विभाग, पीएचई, नगर निगम, वन विभाग, पुलिस ओर एसडीएम को शामिल किया गया है.
स्वर्ण रेखा का फिजिकल वेरिफिकेशन करेगी टीम
हाई कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी स्वर्ण रेखा का फिजिकल वेरिफिकेशन करेगी. नदी में स्वच्छ पानी बहे, इस पर क्या हो सकता है, नदी में क्या कमियां हैं, उस पर क्या काम किया जा सकता है, इन बिंदुओं पर कमेटी अपनी रिपोर्ट एक महीने में कोर्ट में पेश करेगी. इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च होगी.
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मध्य प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को आदेश
हाई कोर्ट ने निगम आयुक्त से कहा है "शहर के प्रबुद्ध लोगों को भी नदी से जोड़ें, क्योंकि शहर उनका है. अधिकारी आते और जाते रहते हैं." इसके साथ हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी को आदेश दिया "स्वर्ण रेखा की डीपीआर के लिए 547 करोड़ से मांगे गए हैं, उस डीपीआर का अध्ययन करें और इसके जीर्णोद्धार के लिए पैसा क्यों नहीं दिया जा रहा है, ये भी बताएं. ये जानकारी याचिकाकर्ता अधिवक्ता विश्वजीत रतौनिया ने दी."