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MP High Court News: एक अपराध के लिए दो FIR क्यों दर्ज की, CBI की कार्यप्रणाली पर नाराजगी, 25 हजार रुपये जुर्माना ठोका

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने एक अहम आदेश में कहा है कि एक ही अपराध के लिए दो एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती. इस मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई पर 25 हजार रुपये का जुर्माना किया है. MP High Court News

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 19, 2023, 4:20 PM IST

MP High Court News:
एक अपराध के लिए दो FIR क्यों दर्ज की, CBI की कार्यप्रणाली पर नाराजगी

जबलपुर। राज्य सरकार द्वारा एफआईआर दर्ज करवाये जाने के बावजूद सीबीआई द्वारा एक अन्य व्यक्ति की शिकायत पर उसी मामले में फिर से एफआईआर दर्ज किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू ने सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं. युगलपीठ ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए 25 हजार रुपये की कॉस्ट भी लगाई है.

ये है मामला : याचिकाकर्ता प्रमोद शर्मा की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह सिवनी जिले से प्रकाशित एक अखबार के संपादक व प्रकाशक हैं. उनके द्वारा घोषित प्रतियों से कम प्रकाशित की शिकायत पर आयुक्त जनसंपर्क ने जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उनके द्वारा मात्र 22 सौ प्रतियों का प्रकाशन किया जाता है. जांच के रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ प्रेस एंड बुक पब्लिकेशन एक्ट की धारा 3,12,14 तथा 15 सहित 420 के तहत प्रकरण दर्ज किया था.

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सीबीआई ने दर्ज किया था केस : आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बावजूद उसी मामले में व्यापारिक प्रतिद्वंदी दूसरे अखबार के सम्पादक ने सीबीआई में शिकायत की थी. सीबीआई ने उनकी शिकायत पर विभिन्न धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर लिया था. याचिका में कहा गया था कि एक ही अपराध के उसके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गयी हैं. युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों एफआईआर में एक ही अपराध से संबंधित हैं. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किये. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि कॉस्ट की राशि जमा की जाये. जिसमें से 15 हजार रुपये याचिकाकर्ता को तथा 10 हजार रुपये मप्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा करवाई जाए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता शिवेन्द्र पांडे ने पैरवी की.

जबलपुर। राज्य सरकार द्वारा एफआईआर दर्ज करवाये जाने के बावजूद सीबीआई द्वारा एक अन्य व्यक्ति की शिकायत पर उसी मामले में फिर से एफआईआर दर्ज किये जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू ने सीबीआई द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं. युगलपीठ ने सीबीआई की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करते हुए 25 हजार रुपये की कॉस्ट भी लगाई है.

ये है मामला : याचिकाकर्ता प्रमोद शर्मा की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि वह सिवनी जिले से प्रकाशित एक अखबार के संपादक व प्रकाशक हैं. उनके द्वारा घोषित प्रतियों से कम प्रकाशित की शिकायत पर आयुक्त जनसंपर्क ने जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी. जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि उनके द्वारा मात्र 22 सौ प्रतियों का प्रकाशन किया जाता है. जांच के रिपोर्ट के आधार पर उनके खिलाफ प्रेस एंड बुक पब्लिकेशन एक्ट की धारा 3,12,14 तथा 15 सहित 420 के तहत प्रकरण दर्ज किया था.

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