जबलपुर। सतना निवासी चंद्रेश मिश्रा की ओर से अधिवक्ता नीरज तिवारी ने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता तृतीय वर्ग संविदा शाला शिक्षक के पद पर पदस्थ था. उसका चयन पटवारी के लिए हुआ. विभागीय अनुमति लेकर 6 माह का प्रशिक्षण लिया. जब वह वापस मूल सेवा में गया और वहां से त्यागपत्र दिया तो उसे 6 माह का वेतन नहीं दिया गया. याचिका 2017 में दायर की गई थी, लेकिन अभी तक जवाब पेश नहीं किया गया. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ओआईसी पर 10 हजार की कॉस्ट लगाई थी. ओआईसी 6 नवंबर को कोर्ट आए और जुर्माने की राशि जमा कर दी, लेकिन जवाब पेश नहीं किया. इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पुन: 15 हजार की कॉस्ट लगा दी.
नई गाइडलाइन से टेंडर जारी करें : एक अन्य मामले में हाई कोर्ट ने नवंबर के दूसरे सप्ताह में मध्यप्रदेश सरकार को आदेश दिया था कि नई गाडइलाइन के अनुसार टेंडर का विज्ञापन जारी करें. इस मामले में महिला व बाल विकास विभाग द्वारा पुरानी गाइडलाइन की शर्तों के अनुसार टेंडर जारी किए गए थे. सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन टेंडर में नहीं अपनाए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. नई गाइडलाइन टेंडर जारी होने के बाद बनी. हाईकोर्ट जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सरकार को नई गाडइलाइन के अनुसार टेंडर का विज्ञापन जारी करने निर्देश दिये.
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पोषण आहार सप्लाई का मामला : एकलपीठ ने याचिकाकर्ता महिला स्वयं सहायता समूह को 25 हजार रुपये प्रदान करने के आदेश राज्य सरकार को दिये. मां जानकी स्वयं सहायता समूह की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि मार्च 2021 में सागर जिले में पूरक पोषण आहार की सप्लाई के लिए महिला एव बाल विकास विभाग द्वारा विज्ञापन जारी किये गये थे. विज्ञापन में निर्धारित गाइडलाइन के अनुसार शर्तें निर्धारित की गयी थीं. याचिका समूह ने भी टेंडर के लिए आवेदन किया था.