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MP High Court: फर्जी नर्सिंग कॉलेज के 2600 से अधिक फैकल्टी को आपात्र घोषित

एमपी हाईकोर्ट ने 2600 से अधिक कॉलेज फैकल्टी को अपात्र घोषित किया है ये वही फैकल्टी हैं जो फर्जी तरीके से संचालित नर्सिंग कॉलेजों में कागजों में पदस्थ किए गए थे. कोर्ट ने पाया कि एक ही स्टॉफ एक समय पर कई कॉलेज में पदस्थ थे.

MP High Court
मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय
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Published : Apr 28, 2023, 9:28 PM IST

जबलपुर। प्रदेश में फर्जी तथा नियम विरुद्ध तरीके से संचालित नर्सिंग कॉलेजों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि माइग्रेट 2697 फैकल्टी को आपात्र घोषित किया गया है. फैकल्टी के फर्जी आधार तथा पेन कार्ड के आधार पर मान्यता लेने वाले दो कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इसके अलावा फैकल्टी फर्जीवाडे़ को रोकने के लिए आधार वेरिफिकेशन का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है.

कागज में कॉलेज: लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी. एमपी नर्सिंग रजिस्टेशन कॉउसिंल ने निरिक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी. वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारित मापदंड पूरा करता है. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है.

कई कॉलेज में एक ही स्टॉफ: पूर्व में याचिकाकर्ता की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया था कि 80 कॉलेज ऐसे हैं जिसमें एक व्यक्ति उसी समय में कई स्थानों में काम कर रहा है. दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य है और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ो किलोमीटर है. टीचिंग स्टॉफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहे थे. हाईकोर्ट ने एमपी नर्सिंग रजिस्टेशन काउंसिल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे. पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया था कि साल 2022-23 के लिए जिन कॉलेजों को मान्यता दी गयी है, उसमें से 20 कॉलेज में एक ही फैकल्टी दो या उससे अधिक कॉलेज में नियुक्त है.

स्टॉफ फर्जी प्रमाण पत्र: मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने निर्णय लिया था कि माइग्रेट फैलक्टी को एक माह में आधार कार्ड तथा पेन कार्ड वेरिफिकेशन के बाद स्थाई प्रमाण-पत्र दिया जाएगा. इसके बावजूद भी साल 2020 से अभी तक माइग्रेट फैकल्टी को स्थाई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है. अलग-अलग आधार कार्ड व पैन कार्ड के आधार पर सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित कॉलेज में एक फैकल्टी कार्य कर रहा है. युगलपीठ के समक्ष एक फैकल्टी के दो पैन कार्ड व आधारकार्ड पेश भी किये गए.

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फर्जी कॉलेजों को संरक्षण: याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान एमपी नर्सिंग रजिस्टेशन काउंसिल की तरफ से उक्त जवाब पेश किया गया. एमपी मेडिकल सांइस यूनिवर्सिटी की तरफ से ग्वालियर खंडपीठ में नर्सिंग कॉलेज संबंधित याचिकाओं सुनवाई के लिए मुख्यपीठ स्थानांतरित करने के मांग करते हुए आवेदन पेश किया गया. याचिकाकर्ता की तरफ से आवेदन पेश करने हुए बताया गया कि हाईकोर्ट ने काउंसिल की रजिस्टार सुनीता सिजु को हटाने के आदेश दिये थे. उन्हें पुनः कांउसिल का रजिस्टार बना दिया गया है. इसके अलावा शासन की अनुमत्ति के बिना ही रजिस्टार पदनाम से सर्वोच्च न्यायालय में एसएलपी दायर की गयी है. फर्जी कॉलेजों को मान्यता देने में कार्रवाई की बजाय उन्हें संरक्षण प्रदान किया जा रहा है. युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 3 मई को निर्धारित की है. याकिचाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आलोक वागरेजा ने पैरवी की.

जबलपुर। प्रदेश में फर्जी तथा नियम विरुद्ध तरीके से संचालित नर्सिंग कॉलेजों को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. याचिका पर शुक्रवार को हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ को बताया गया कि माइग्रेट 2697 फैकल्टी को आपात्र घोषित किया गया है. फैकल्टी के फर्जी आधार तथा पेन कार्ड के आधार पर मान्यता लेने वाले दो कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. इसके अलावा फैकल्टी फर्जीवाडे़ को रोकने के लिए आधार वेरिफिकेशन का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है.

कागज में कॉलेज: लॉ स्टूडेंट्स एसोशिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी. एमपी नर्सिंग रजिस्टेशन कॉउसिंल ने निरिक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी. वास्तविकता में यह कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं. ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारित मापदंड पूरा करता है. अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है. कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं. ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं है. बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है.

कई कॉलेज में एक ही स्टॉफ: पूर्व में याचिकाकर्ता की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया था कि 80 कॉलेज ऐसे हैं जिसमें एक व्यक्ति उसी समय में कई स्थानों में काम कर रहा है. दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य है और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ो किलोमीटर है. टीचिंग स्टॉफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहे थे. हाईकोर्ट ने एमपी नर्सिंग रजिस्टेशन काउंसिल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे. पिछली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया था कि साल 2022-23 के लिए जिन कॉलेजों को मान्यता दी गयी है, उसमें से 20 कॉलेज में एक ही फैकल्टी दो या उससे अधिक कॉलेज में नियुक्त है.

स्टॉफ फर्जी प्रमाण पत्र: मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने निर्णय लिया था कि माइग्रेट फैलक्टी को एक माह में आधार कार्ड तथा पेन कार्ड वेरिफिकेशन के बाद स्थाई प्रमाण-पत्र दिया जाएगा. इसके बावजूद भी साल 2020 से अभी तक माइग्रेट फैकल्टी को स्थाई प्रमाण पत्र जारी नहीं किया गया है. अलग-अलग आधार कार्ड व पैन कार्ड के आधार पर सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित कॉलेज में एक फैकल्टी कार्य कर रहा है. युगलपीठ के समक्ष एक फैकल्टी के दो पैन कार्ड व आधारकार्ड पेश भी किये गए.

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