जबलपुर। साल 2023 का विधानसभा चुनाव मध्य प्रदेश की राजनीति के कुछ धुरंधरों के लिए या तो प्रमोशन लेकर आएगा या फिर वे रिटायर ही हो जाएंगे. इस विधानसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियों के शीर्ष नेताओं के सामने उम्र का तकाजा भी है और राजनीति की चाल भी कुछ लोगों के सामने उम्र की वजह से रिटायरमेंट लेने का सवाल खड़ा हुआ है. कुछ लोग राजनीति के चाल में फंसे हुए हैं. जो पार्टी चुनाव जीतेगी उसके नेता प्रमोशन पाएंगे और जो पार्टी चुनाव हार जाएगी. उसके नेताओं के सामने रिटायरमेंट के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है
रिटायरमेंट या प्रमोशन: मध्य प्रदेश की राजनीति में कुछ ऐसे बड़े माहिर खिलाड़ी हैं, जिनका लोहा पूरा भारत मानता है. कांग्रेस पार्टी में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ऐसे दो बड़े नाम हैं. जिनकी राजनीति पर पूरे भारत की नजर होती है. इसी तरीके से भारतीय जनता पार्टी में शिवराज सिंह चौहान, कैलाश विजयवर्गीय, नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल यह कुछ ऐसे स्थापित राजनेता है. जिन्हें मध्य प्रदेश के बाहर भी अपने राजनीतिक कौशल की वजह से शोहरत हासिल है, लेकिन 2023 का चुनाव इन राजनेताओं के सामने एक बड़ा प्रश्न चिन्ह लेकर आ रहा है, जो यह तय करेगा की 2023 के बाद एक पाली के राजनेता प्रमोशन पाएंगे और दूसरे रिटायर हो जाएंगे. इस बार की फाइल जनता के हाथ में है.
उम्र का तकाजा: कांग्रेस के दो बूढ़े शेरों के सामने उम्र का तकाजा है. कमलनाथ 77 साल के हो गए हैं और दिग्विजय सिंह 76 साल के हो गए हैं. हालांकि यह दोनों ही खुद को बूढ़ा मानने को तैयार नहीं है. कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता सज्जन सिंह वर्मा 71 साल के हो गए हैं. अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह राहुल 68 साल के हो गए हैं. वही मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह 73 साल के हो गए हैं. इस बार का चुनाव इन नेताओं के सामने भी रिटायरमेंट और प्रमोशन प्लान लेकर आया है. यदि जीत गए तो राजनीति आगे रहेगी, वरना 2023 का विधानसभा चुनाव उनके राजनीतिक कैरियर का अंतिम चुनाव होगा.
यही सवाल भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के सामने भी हैं. भारतीय जनता पार्टी में भी 60 प्लस नेताओं के सामने प्रमोशन या रिटायरमेंट की तलवार लटक रही है. इसमें शिवराज सिंह चौहान अभी 64 साल के हैं. कैलाश विजय वर्गीय 67 साल के हैं. नरेंद्र सिंह तोमर 66 साल के हो गए हैं. प्रहलाद पटेल 63 साल के हो गए हैं. फगगन सिंह कुलस्ते 64 साल और वीरेंद्र खटीक 69 साल के हो गए हैं.
सबसे ज्यादा खतरे में रीति पाठक का कैरियर: भारतीय जनता पार्टी ने जिन सांसदों के राजनीतिक कैरियर को दांव पर लगाया है. उनमें सबसे ज्यादा संकट में रीति पाठक है. यदि रीति पाठक चुनाव जीतती हैं, तब तो ठीक है और यदि वह हार जाती हैं तो मात्र 46 साल की उम्र में ही उन्हें राजनीति से रिटायरमेंट लेने की स्थिति बन जाएगी. भारतीय जनता पार्टी के बाकी सांसद भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित जरूर हैं, क्योंकि राजनीतिक नजरिए से उनकी उम्र अभी रिटायरमेंट की नहीं है. राकेश सिंह 61 साल के हो गए हैं. उदय प्रताप सिंह अभी 59 साल के हैं. रीति पाठक मात्र 46 साल, गणेश सिंह की उम्र 61 साल है. हालांकि अभी यह तय नहीं है कि यह रिटायर होंगे या प्रमोट होंगे.
ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति: यह चुनाव ज्योतिरादित्य सिंधिया के राजनीतिक भविष्य को तय करने वाला भी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए उम्र के तकाजे पर तो अभी लंबी पारी खेलने का समय है. वह अभी मात्र 52 साल के हैं, लेकिन उन्होंने जो राजनीतिक खेल खेला था. उसमें 2023 का विधानसभा चुनाव बड़ी अहम भूमिका निभाएगा. यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने प्रभाव वाले इलाके से भारतीय जनता पार्टी को बढ़त बनाकर लाये तो उन्हें पुरस्कार मिलेगा, लेकिन यदि परिणाम उल्टा हुआ तो राजनीतिक रूप से ज्योतिरादित्य सिंधिया की राजनीति पर अल्पविराम जरूर लग जाएगा.
कई पुराने विधायक भी अपनी अंतिम पारी में: इनके अलावा कई ऐसे विधायक और सांसद हैं. जिनकी उम्र अब रिटायरमेंट की हो गई है. 2023 के बाद यह मध्य प्रदेश की राजनीति में या तो शिखर पर होंगे या फिर रिटायर हो जाएंगे. इनमें दोनों ही पार्टियों के कई विधायक हैं. जिन्होंने पांच बार से ज्यादा बार विधानसभा चुनाव जीते हैं, लेकिन उम्र का तकाजा या राजनीति की चाल उनके राजनीतिक भविष्य का अंतिम फैसला कर देगा.
यदि कांग्रेस जीतती है तो भारतीय जनता पार्टी के नेता राजनीति की वजह से रिटायर हो जाएंगे और यदि भारतीय जनता पार्टी जीती है तो कांग्रेसी नेता उम्र के तकाजे की वजह से रिटायर हो जाएंगे. राजनीति में हमेशा ही अलग-अलग दौर चले हैं. शिवराज सिंह का कार्यकाल लंबा होने की वजह से 2001 के बाद जन्म लेने वाला मतदाता पुराने दौरों को महसूस नहीं कर पाया है. राजनेता हमेशा ही ऐसा माहौल बनाकर रखते हैं कि उनके बिना राजनीति संभव नहीं है लेकिन वक्त कभी किसी का नहीं हुआ है और कुर्सी वही की वही रहती है बैठने बाले बदल जाते हैं.